पशु परिचर की तैयारी के लिए , राजस्थान के चौहान वंश के महत्त्वपूर्ण नोट्स

पशु परिचर की तैयारी के लिए , राजस्थान के चौहान वंश के महत्त्वपूर्ण नोट्स 



राजस्थान के बेरोजगार युवा जो  पशु परिचर की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए हमारी टीम की तरफ से राजस्थान के इतिहास से सम्बन्धित राजवंशों को लेकर एग्जाम में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण सवालों को आपके लिए  लेकर आए हैं  ये  अध्ययन करने योग्य सामग्रियों से पढ़ाई रस का पूरा निचोड़ हैं ।


राजस्थान का इतिहास 

चौहान वंश 

प्र. चौहान की उत्पति को लेकर ब्रह्मण वंशिय मत का उल्लेख किस शिलालेख में मिलता है ?

उ: बिजौलिया शिलालेख 

       * चौहानों की उत्पत्ति को लेकर मत*

अग्निवंशीय मत

सूर्यवंशी मत

चंद्रवंशी मत :- हांसी शिलालेख - हरियाणा

                 अचलेश्वर शिलालेख - माउंट आबू 


ब्राह्मणवंश  बिजौलिया शिलालेख भीलवाड़ा 

इस शिलालेख को 1170 ई सोमेश्वर चौहान ने  चौहानों को वत्सगोत्रीय ब्राह्मण माना  हैं।

इंद्र का वंशज : सेवाड़ी लेख (पाली)

गुरु वशिष्ठ की आंख : सुंधा माता अभिलेख 



प्र. :राजस्थान में चौहान वंश की नींव किसने रखी ?

उ : राजस्थान में सर्वप्रथम नाडोल के राजा अल्हन के पुत्र वासुदेव चौहान ने 551 में सपादलक्ष्य में शाकम्भरी (वर्तमान में सांभर ) चौहान वंश की नींव रखी ।

                    *वासुदेव चौहान


१.चौहान वंश का संस्थापक

      राजधानी :- अहिछतपुर ( वर्तमान - नागौर जिला / धातु नगरी )

२.शाकंभरी माता के मंदिर का निर्माण

3. सांभर झील का निर्माण


२.दुर्लभ राज 1

  गुर्जर प्रतिहार शासक वत्सराज का   सामंत था ।


3. गुवक प्रथम 

  नागभट्ट द्वितीय का सामंत ।

                       नागभट्ट द्वितीय ने वीर राजा की                             उपाधि दी ।

                       हर्षनाथ मंदिर का निर्माण शुरू                               करवाया ।

4.चंदनराज 

 कोई खास महत्वपूर्ण नहीं।


                     5. सिंहराज चौहान 

  महाराजाधिराज की उपाधि

  हर्षनाथ मंदिर का निर्माण पूर्ण करवाया ।


                     6. विग्रह राज द्वितीय

   चौहान वंश का प्रथम प्रतापी शासक

    चालुक्य गुजरात शासक मूलराज चालुक्य को हराया ।

 भड़ौच (गुजरात) में आशापुरा माता मंदिर का निर्माण करवाया ।


7. वीर्य राम चौहान 

इसके समय में गठ बिठली पर महमूद गजनवी ने आक्रमण किया ।


8. पृथ्वीराज चौहान प्रथम

तुर्क सेना विजेता कहते हैं ।


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