राजस्थान इतिहास :- चौहान वंश के संस्थापक और उनकी उत्त्पति के मत

 राजस्थान इतिहास :- चौहान वंश के संस्थापक और उनकी उत्त्पति के मत 





राजस्थान राज्य में  अनेक राजाओं और राजवंशों ने राज्य किया , और इतिहास के संदर्भ में जब भी किसी प्रतियोगी परीक्षा में प्रश्न पूछा जाता है तो राजाओं के राजवंश और उनकी उत्तपति के लेकर बने मतों से और उनके शासनकाल को प्रमुख घटनाओ और उनकी उपलब्धियों के बारे में मुख्यत पूछा जाता हैं।


राजस्थान को राजपुताना के नाम से जाना जाता था , और यहां अनेक राजपूत जाति के अलग अलग वंशों के राजाओं ने शासन किया , इसमें से एक ही चौहान वंश जो परीक्षा की दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है ।


राजस्थान के चौहान वंश के राजा 

 स्थान                      संस्थापक           वर्ष 

  • शाकंभरी के चौहान - वासुदेव चौहान - 551 ईस्वी

  • अजमेर के चौहान  - अजयराज चौहान - 1113 ईस्वी 

  • रणथंबोर के चौहान - गोविंदराज - 1194 ईस्वी 
  • नाडोल के चौहान - लक्ष्मण देव - 960 ईस्वी
  • जालौर के चौहान - कीर्तिपाल - 1181 ईस्वी 
  • कोटा के चौहान - माधोसिंह हाड़ा 
  • बूंदी के चौहान  - राम देवा हाड़ा - 1240/41 /ईस्वी 
  • सिरोही के चौहान - लुंबा देवड़ा 
  • झालावाड़ के चौहान - झाला मदन सिंह 


चौहान वंश 

  • कुल देवता / आराध्य देव - हर्षनाथ जी ( गणभैरव के रूप में इनकी पूजा की जाती है - प्रमुख मंदिर रेवासा, सीकर जिले में स्तिथ है ।
  • कुल देवी - शाकम्भरी माता , सांभर, जयपुर ग्रामीण जिले में मुख्य मंदिर है।
  • इस्ट देवी / आराध्य देवी - जीण माता ( हर्षनाथ की बहन - इनका मंडी भी रेवासा, सीकर जिले में है )


चौहानों की उत्त्पति 

चौहानों की उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग विद्वानों ने अपने-अपने मत प्रकट किया जिसमें से प्रमुख चार मत ही पढ़ने योग्य हैं 


1. अग्निवंशीय / अग्निकुंड 

पृथ्वीराज चौहान तृतीय के दरबारी कवि चंदबरदाई ने अपनी रचना पृथ्वीराज रासौ में इसका उल्लेख किया हैं ।


कथन:- माउंट आबू के अंदर गुरू वसिष्ठ द्वारा यज्ञ से चार योद्धाओं का जन्म हुआ 

गुर्जर प्रतिहार

परमार

चालुक्य

चौहान 

राजस्थान के अबुल फ़ज़ल के नाम से जाने जाने वाले विद्वान मुहनोत नैनसी ने और सूर्यमल्ल मिश्रण ने भी इस अग्निकुंड मत का समर्थन किया हैं।


2. सूर्यवंशी 

कुछ विद्वानों द्वारा चौहानों को सूर्यवंशी माना ।

नयनचंद सूरी - हम्मीर महाकाव्य 

जोधराज - हम्मीर रासौ ( 18 वीं सदी )

सारंगधर - हम्मीर रासौ ( 13 वीं सदी )

चंद्रशेखर - हम्मीर हठ 

जयानक - पृथ्वीराज विजय 


3. चंद्रवंशीय

चौहानों के चंद्रवंशीय होने की जानकारी निम्न शिलालेखों में मिलती हैं

हांसी शिलालेख ( हरियाणा)

अचलेश्वर शिलालेख ( माउंट आबू )


4. ब्राह्मणवशीय 


चौहनों के ब्राह्मणवशीय होने की और चौहानों के बारे में जानकारी देने वाला प्रमुख शिलालेख

बिजौलिया शिलालेख - शाहपुरा जिला 

इस शिलालेख में चौहानों को वात्सगोत्रीय ब्राह्मण बताया गया हैं , इस शिलालेख का निर्माण 1170 ईस्वी में सोमेश्वर चौहान के काल में हुआ 

 रचीयता - गुणभद्र 

उत्कीर्ण - केशव कायस्थ 

लगवाया गया - जैन श्रावक लोलाक 


चौहानों के ब्राह्मणवशीय मत को  समर्थन करने वाले विद्वान 

डॉक्टर दशरथ शर्मा ने अपनी पुस्तक " द अर्ली चौहान डायनेस्टिज" मे इसका समर्थन किया हैं।

जान कवि नियामत ने "कायम खां रासो ग्रन्थ" में इसका समर्थन किया हैं।


चौहानों की उत्त्पति को लेकर अन्य मत 

5. इंद्र के वंशज - सेवाड़ी लेख ( पाली)

6. गुरू वसिष्ठ की आंख - सुंधा माता अभिलेख 


चौहानों की उत्त्पति को लेकर को दिए मतों और राजस्थान के चौहान वंश के संस्थापकों को लेकर प्रदत्त जानकारी उसे आपको आपने वाले एग्जाम में बहुत मदद मिलेगी और आगे आप हमारे इस ब्लॉग को अपने सहपाठी मित्रों के साथ शेयर करेंगे तो हमें भी अधिक से अधिक एग्जाम पॉइंट्स आपको उपलब्ध करवाने का मनोबल बढ़ेगा।








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