बीकानेर का राठौड़ वंश : महाराजा अनूपसिंह से महाराजा गंगासिंह के बारे में अति महत्त्वपूर्ण जानकारियां

बीकानेर का राठौड़ वंश : महाराजा अनूपसिंह से महाराजा गंगासिंह के बारे में अति महत्त्वपूर्ण जानकारियां 




राजस्थान का प्राचीन इतिहास जितना कम हैं उससे कई गुना अधिक राजस्थान का मध्यकालीन इतिहास हैं , राजपुताने की धरती ने ही मुगलों और विदेशी आक्रमणकारियों से इस देश को 500 सालों तक बचा के रखा । तराइन के द्वितीय युद्ध 1192  में पृथ्वीराज चौहान तृतीय की हार के बाद से दिल्ली पर हमेशा मुगल और विदेशियों का कब्जा रहा, आखिर में दिल्ली आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू को मिली । आखिर में हम ये कह सकते हैं राजपुताने की धरती के वीरों ने ही अपने खून से इस देश को सुरक्षित रखा ।



पिछले ब्लॉग्स में हमने राजस्थान इतिहास के चौहान वंश , मारवाड़ के राठौड़ वंश और बीकानेर के राठोड़ वंश के महाराजा कर्णसिंह तक अच्छे से सभी महत्त्वपूर्ण बातों को कवर किया है , अगर आपने अभी तक हमारे पिछले ब्लॉग्स नहीं पढ़े हैं तो नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें:- 

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आज की इस ब्लॉग में बीकानेर के राठोड़ वंश के महाराजा अनूपसिंह से आखिरी महाराजा गंगासिंह तक के समय की अति महत्वपूर्ण पूर्ण जानकारी मिलेगी ।


महाराजा अनूपसिंह 

  • महाराज अनूपसिंह जी को मुगल औरंगजेब ने महाभरातिब  और महाराजधिराज की उपाधि दी ।
  • अनूपसिंह का शासनकाल, बीकानेर चित्रकला का स्वर्णकाल है ।
  • बीकानेर और राजस्थान में " उस्ताकला" को लाहौर से पहली बार राजस्थान इन्ही के द्वारा लाया गया।

नोट :- उस्ताकला के प्रसिद्ध कलाकार - हिसामुद्दीन उस्ता थे और वर्तमान कलाकार हनीफ उस्ता हैं।

उस्ता कला :- ऊटो के उपर की जाने वाली चित्रकारी।


निर्माण कार्य 

  • चुंघेर कस्बा ( वर्तमान अनूपगढ़ ) बसाया ।
  • जूनागढ़, बीकानेर में अनूपसंग्रहालय की स्थापना की।
  • 33 करोड़ देवी देवताओं का मंदिर बीकानेर में बनवाया।

नोट :- 33 करोड़ देवी देवताओं की साल , मंडोर जोधपुर में है ।


अनूपसिंह की रचनाएं:- 

  •     अनूपोदय ( जयदेव की गीतगोविंद पर टीका)
  •     श्राद्धप्रबोध 
  •     अनूप विवेक 
  •     काम प्रबोध 


दरबारी विद्वान और उनकी रचनाएं 

 अनूप सिंह के दरबार में भावभट्ट औरंगजेब के दरबार से आए थे ।



अनूप सिंह के दरबारी विद्वान और उनकी रचनाएं   
दरबारी विद्वान भावभट्ट गाड़न वीरभानमणिराय
रचनाएं अनूप संगीत रत्नाकर कुंवर अनूपसिंह री वेद अनूप व्यहार सागर
 अनूप अंकुश विलास  अनूप विलास सागर
 अनूप संगीत विलास  

स्वरूप सिंह ( 1698 - 1700 ईस्वी)

  • इनकी मृत्यु चेचक बीमारी से हुई ।

सुजानसिंह ( 1700 -1734 ईस्वी)

  • इनके समय में कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं हुए ।

जोरावर सिंह ( 1734 -1746 ईस्वी)

  • 17 जुलाई 1734 ईस्वी को हुरडा सम्मेलन, भीलवाड़ा में भाग लिया ।
  • गंगवाना का युद्ध , अजमेर 1741
यह युद्ध मारवाड़ शासक अभयसिंह और जोरावर सिंह के मध्य हुआ , इस युद्ध में जोरावर सिंह की सहायता सवाई जयसिंह ने की ।
  • इस युद्ध में जोरावर सिंह की जीत हुई ।


गजसिंह ( 1746 - 1786 ईस्वी) 


  • इनको मुगल शासक अहमदशाह ने " श्री राजराजेश्वर महाराजाधिराज परमेश्वर गजसिंह" की उपाधि दी।

सूरत सिंह ( 1786 - 1828 ईस्वी)

 
  • 1805 ईस्वी में भटनेर दुर्ग पर आक्रमण किया ।
  • भटनेर के राजा जस्ता भाटी को हरा कर , भटनेर दुर्ग का नाम बदलकर " हनुमानगढ़" कर दिया ।
  • इनके शासनकाल में मराठा सेनापति जोर्ज थॉमस ने 2 बार आक्रमण किया ।
  • गिंगोली के युद्ध में आमेर के राजा जगतसिंह द्वितीय की सहायता की ।

  • 1814 ईस्वी मे चुरू के किले पर आक्रमण किया ।
चुरू के शासक शिवसिंह ( श्योसिंह )को हराया ।
इस युद्ध में चुरू के शासक शिवसिंह ( श्योसिंह ) ने गोला बारूद समाप्त होने पर " चांदी के गोले " दागे गए ।

दरबारी विद्वान व उनकी रचनाएं 

  •   दयालदास :- दयालदास री ख्यात 

  • 1818 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ महाराजा सूरत सिंह ने संधि कर ली ।

रतनसिंह ( 1828 - 1851 ईस्वी)

 
  • 1836 ईस्वी में बिहार के गया में राजपूतों को कन्यावध नहीं करने की शपथ दिलाई।
  • जवाहर सिंह जी को बीकानेर में शरण दी और अंग्रेजों को देने से मना किया ।

निर्माण कार्य :- 

  •   बीकानेर में रतनबिहारी मन्दिर का निर्माण करवाया।


सरदारसिंह (1851 - 1872 ईस्वी )


  • 1857 की क्रांति के समय बीकानेर के राजा।
  • राज्य के एक मात्र शासक, जो क्रांति के समय अपनी सेना लेकर राज्य से बाहर गए ।
  • अंग्रेजों ने इनको साथ देने के बदले , टिब्बी परगने के 41 गांव दिए ।

महाराजा डुंगरसिंह ( 1872 - 1887 ईस्वी )


  •  इनके शासनकाल में ही बीकानेरी भुंजिया की शुरआत हुई ।
  • 800 ऊटो का काफिला तैयार किया ।
  • हिमालय की नदियों का पानी राजस्थान में लाने का सर्वप्रथम सपना देखा ।


महाराजा गंगासिंह ( 1887 - 1943 )

 
  • महाराजा डुंगर सिंह के पुत्र नहीं होने के कारण इनको डुंगर सिंह जी ने गोद लिया ।
  • इनके पिता का नाम - लालसिंह था ।
  • इन्होंने ऊटो की सेना - गंगारीसाला बनाई ।
  • अग्नि नृत्य को संरक्षण दिया ।
  • मांड गायिका " अल्लाई जिलाई बाई" को संरक्षण दिया ।
  • जयनारायण व्यास को मदद दी ।
  • एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक में भाग लेने गए ।
  • इनके शासनकाल में 1899 ईस्वी ( विक्रम संवत् 1956 ) में अकाल पड़ा।
  • 1919 ईस्वी में " पेरिस शांति सम्मेलन" व वर्शाय की संधि में भाग लिया ।
  • 1921 ईस्वी में नरेशमंडल या नरेंद्रमंडल के प्रथम चांसलर बने ।
  • 1931 - 32 में तीनों गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने वाले एकमात्र राजा थे ।
  • 56 वर्ष तक शासन किया ।
  • सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाले राजस्थान के शासक।




उपनाम :- 

  •  राजस्थान का भगीरथ 
  • आधुनिक भारत का भागीरथ



निर्माण कार्य :- 

  • बीकानेर में डूंगर कॉलेज की स्थापना की ।
  • गोगामेड़ी मंदिर ( हनुमानगढ़) को वर्तमान स्वरूप दिया ।
  • रूणेचा, जैसलमेर में रामदेव जी के मन्दिर का निर्माण करवाया।
  • गंगानिवास पार्क का निर्माण करवाया ।
  • लालगढ़ पैलेस ( अपने पिता लालसिंह की याद में) का निर्माण करवाया।
  • 1927 ईस्वी में गंगनहर का निर्माण करवाया ।
  • नोट :- गंगनहर राज्य की सबसे प्राचीन नहर है ।
  •          इसका उदघाटन " लॉर्ड इरविन " ने किया ।
  • 1927 ईस्वी में श्रीगंगानगर की स्थापना की, श्रीगंगानगर का प्राचीन नाम रामनगर था ।

1943 ईस्वी में मुंबई में इनकी मृत्यू हो गई ।


शार्दुल सिंह ( 1943 - 1956 ईस्वी)

  •  आजादी और एककीकरण के समय बीकानेर के राजा ।
  • इंदिरा गांधी नहर परियोजना का निर्माण करवाया।
नोट :- इस परियोजना के इंजीनियर " कंवर सेन" थे ।
  • एककीकरण के विलय पत्र पर सर्वप्रथम हस्ताक्षर किए ।




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