राजस्थान का इतिहास :- राठौड़ वंश , जोधपुर का राठौड़ वंश से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण जानकारी

 राजस्थान का इतिहास :- राठौड़ वंश , जोधपुर का राठौड़ वंश से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण जानकारी || History of Rajasthan: - Rathore dynasty, important information related to Rathore dynasty of Jodhpur




राजस्थान की सरकारी नौकरी पाने के लिए मेहनत कर रहे युवाओं के लिए किए जा रहे हमारे एक प्रयास में आज आपको इस ब्लॉग माध्यम से राजस्थान के इतिहास में राठौड़ वंश के संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी और सारांश पढ़ने के लिए मिलेगा , जिसके आपको मारवाड़ के राठौड़ वंश की संपूर्ण जानकारी मिलेगी , अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो राठौड़ वंश के कोई भी प्रश्न इस ब्लॉग से बाहर नहीं मिलेगा ।



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राजस्थान इतिहास :- चौहान वंश के संस्थापक और उनकी उत्त्पति के मत

चौहान वंश :- शाकंभरी और अजमेर के चौहान

चौहान वंश :- रणथंभौर के चौहान और जालौर के सोनगरा चौहान


 मारवाड़ का राठौड़ वंश 


राजपुताने की इस पावन धरा पर कई राजवंशों ने राज्य किया है  , मारवाड़ पर राठौड़ वंश का आधिपत्य था ।


 राठौड़ वंश की उत्पत्ति :- 

 राठौड़ वंश की उत्त्पति को लेकर अनेक इतिहासकारों ने अपने अपने मत दिए ।

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कन्नौज के गहड़वाल के वंशज

मुंहनौत नैनसी :- प्रसिद्ध इतिहासकार नैनसी ने मारवाड़ के राठौड़ों कन्नौज के गहड़वाल के वंशज कहा।

मारवाड़ के राठोड़ों को कमद्ज कहते थे ।

चंदबरदाई द्वारा लिखित पृथ्वीराज रासो में गहड़वालों को भी कमद्ज कहा है ।


चंद्रवंशी 

गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने कहा की राठौड़ अपने अभिलेखों में स्वयं को चंद्रवंशी बताते हैं।


सूर्यवंशी 

घोड़े वाले बाबा कर्नल जेम्स टॉड ने इनको सूर्यवंशी कहा है ।

राठौरों की उत्त्पति पर सभी इतिहासकार अपनी एक ही बात पर सहमति दर्शाते है की " इनकी उत्त्पति दक्षिण भारत के राष्ट्रकूटों से मानते हैं।


मारवाड़ में राठौड़ वंश की स्थापना 

मारवाड़ में राठौड़ वंश के संस्थापक " राव सीहा" को जाना जाता हैं।

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राव सीहा 

  • कन्नौज के पास बदायू के " राव सेतराम " के 51 वें पुत्र 
  • पाली क्षेत्र के पालीवाल ब्राह्मणों के आग्रह पर 1240 में उनकी रक्षा हेतु मारवाड़ आए ।
  • राव सीहा ने सर्वप्रथम अपनी राजधानी " खेड़ वर्तमान - बालोतरा " पूर्व में बाड़मेर जिले को बनाया।
  • राव सीहा पालीवाल ब्राह्मणों की रक्षा करते हुए शहीद हो गए ।
  • राव सीहा की छतरी - बिठु, पाली में स्तिथ है ।


राव आस्थान 

  •  1291 ईस्वी में जलालुलुद्दीन खिलजी से युद्ध करते हुए मारे गए।


राव धुहड़ 

  • राव धुहड़ ने नागाणा गांव वर्तमान बालोतरा में कुलदेवी नागणेची माता का मंदिर बनवाया।


राव मल्लीनाथ 

  • राव मल्लीनाथ ने मेवानगर (बाड़मेर) को अपनी राजधानी बनाया ।
  • मल्लीनाथ जी के कारण बाड़मेर क्षेत्र - मालानी क्षेत्र कहलाया।
  • मल्लीनाथ की पत्नी रूपा दे संयासिन हो गई तो , इनसे प्रभावित होकर स्वयं मल्लिनाथ जी ने भी संन्यास धारण कर लिया ।
  • मल्लीनाथ ने अपने पुत्र जगमाल को राजा न बनाकर अपने भाई वीरमदेव को राजा बनाया ।


राव वीरमदेव 

  • जोहिया राजपूतों के खिलाफ़ लड़ते हुए मारे गए।
  • वीरमदेव के दो पुत्र थे 
  • राव चुड़ा  :- मारवाड़ के अगले राजा बने।
  • गांग देव राठौड़ - इनको शेरगढ़ का ठिकानेदार बनाया, बाद में इतिहास में गांग देव राठौड़ संत तल्लीनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए ।


राव चुंडा ( 1394 - 1423 )

  • प्रतिहारों ने अपनी पुत्री इंदा प्रतिहार का विवाह राव चुंडा से की और देहज में " मंडोर " दिया ।
  • चुंडा ने मंडोर की अपनी राजधानी बनाया ।
  • राव चुंडा ने  अपनी पुत्री हंसा बाई का विवाह मेवाड़ शासक राणा लाखा के साथ किया ।
  • राव चुंडा की रानी चंदकंवर ने चांद बावड़ी का निर्माण करवाया।
  • राव चुंडा के दो पुत्र थे :- 
  • राव रणमल और राव कान्हा 


राव कान्हा (1423 - 1427 )

  • राव चुंडा ने अपने बड़े बेटे राव रणमल को राजा न बनाकर राव कान्हा को राजा बनाया ।
  •  1427 में राव कान्हा की मृत्यु के बाद राव रणमल मारवाड़ के राजा बने।


राव रणमल (1427 - 1438 )

  • राव रणमल को राजा न बनाने के बाद राव रणमल मेवाड़ चले गए ।
  • 1427 में राव रणमल मारवाड़ के राजा बने ।
  • राव रणमल मेवाड शासक महाराणा मोकल की हत्या होने बाद महाराणा कुम्भा के संरक्षक बने और राणा मोकल के हत्यारे चाचा और मेरा की हत्या की ।
  • राव रणमल ने महाराणा कुम्भा का राज्याभिषेक करवाया।
  • 1438 में राव रणमल की हत्या महाराणा कुम्भा ने उनकी दासी भारमली  की सहायता से करवाई।


राव जोधा ( 1438 - 1489 )

  •  पिता का नाम - राव रणमल 
  •   माता का नाम - कोडम दे 
  • राव रणमल की हत्या के बाद राव जोधा ने बीकानेर के कुहनी नामक स्थान पर शरण ली ।
  • 1453 ईस्वी में राव जोधा ने मंडोर विजय प्राप्त की ।


आवल बावल की संधि 

  • मेवाड़ और मारवाड़ के मध्य सीमा विवाद को लेकर जोधा की बुआ हंसाबाई के हस्तछेप से राव जोधा और मेवाड़ महाराणा कुम्भा के बीच हुई ।
  • राव जोधा ने अपनी पुत्री सिंगारदेवी का विवाह राणा कुम्भा के पुत्र रायमल के साथ किया ।
  • 1459 ईस्वी में राव जोधा ने चिड़ियाटोक पहाड़ी पर मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया।
  • 1459 में राव जोधा ने जोधपुर शहर बसाया।
  • राव जोधा की रानी जस्मादे हाड़ी ने रानीसर तालाब का निर्माण करवाया।
  • राव जोधा की माता कोडम दे ने कोडमदेसर तालाब बनवाया।
  • राव जोधा के पुत्र राव बीका ने बीकानेर और दूदा ने मेड़ता, नागौर में राठौड़ वंश की नींव रखी।

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राव सांतल (1489 - 1492 )

  • पिता - राव जोधा 
  • माता - जस्मादे हाड़ी 
  • कोसाना का युद्ध 
  •  राव सांतल और अजमेर के शासक मल्लू खां के मध्य हुआ।
  • इस युद्ध में राव सांतलर ने मल्लू खां के सेनापति घुड़ले खां की हत्या कर दी ।
  • इस युद्ध में राव सांतल की जीत हुई परंतु घायल होने के कारण इनकी मृत्यु हो गई।
  • राव सांतल की याद में चैत्र कृष्णा अष्टमी से चैत्र शुक्ला तृतीया तक घुड़ला नृत्य किया जाता है ।
  • घुडला नृत्य - छिद्रित मटके के अंदर दीप जलाकर, यह छिद्रित मटका घुड़ले खां का प्रतीक है ।


राव सूजा (1492 - 1515 )

  • राव सांतल के भाई 
  • इनके समय में इनके भाई बीकानेर के राजा राव बीका ने राज्य चिन्हों को प्राप्त करने के लिए आक्रमण किया ।
  • राव सूजा और राव बीका के मध्य जस्मादे हाड़ी ने समझोता करवाया ।
  • राव सूजा के पुत्र विरमदेव की मृत्यु समय से पहले ही हो गई।


राव गांगा (1515 - 1531)

  • राव सूजा के पौत्र 
  • इनके समय में सेवकी का युद्ध ( नागौर) में हुआ , जिसमें राव गाँगा के पुत्र मालदेव ने लडा।
  • सेवकी का युद्ध 
  • राव मालदेव और दौलत खां के मध्य हुआ ।
  • इसमें राव मालदेव की विजय हुई ।
  • राव गांगा की हत्या इनके पुत्र राव मालदेव ने की थी , , राव मालदेव की " मारवाड़ का पितृ हंता" कहते हैं।

  • राव गांगा ने अपने पुत्र राव मालदेव को राणा सांगा की खानवां के की सहायता करने के लिए भेजा ।


राव मालदेव ( 1531 - 1562 )

पिता - राव गांगा

माता - पद्मा कुमारी ( सिरोही के शासक जगमाल देवड़ा की पुत्री )

राव मालदेव और मेवाड के संबंध 

खानवा का युद्ध 

राव मालदेव ने मेवाड़ के शासक राणा सांगा की खानवा के युद्ध में सहायता की ।


मावली का युद्ध 

मेवाड़ के दासी पुत्र बनवीर और राणा उदयसिंह के मध्य हुआ , इसमें राव मालदेव ने उदयसिंह की सहायता की ।


हरमाड़ा का युद्ध 

  • राणा उदय सिंह और हाजी खान पठान के मध्य , इसमें राव मालदेव ने झालीरानी के कारण उत्तपन द्वेषता की वजह से हाजी खान पठान का साथ दिया ।


मालदेव के मेड़ता के साथ संबंध 

  • सेवकी के युद्ध में मालदेव की मदद मेड़ता के विरमदेव ने की , उसी युद्ध में एक दरियाजोश हाथी जिस पर मालदेव की नजर थे उसे विरमदेव मेड़ता लेकर चला गया ।
  • दरियाजोश हाथी के मालदेव ने मेड़ता के विरमदेव पर आक्रमण किया । 
  • इस युद्ध में विरमदेव - राव ईदा का पुत्र की हार हुई और विरमदेव दिल्ली के शेरशाह सूरी की शरण में चला गया ।

मालदेव और बीकानेर के साथ संबंध 


पाहेबा साहेबा का युद्ध 1541

  • मालदेव और बीकानेर के राजा राव जैतसी के मध्य पाहेबा साहेबा का युद्ध 1541 में लडा गया ।
  • इस युद्ध में मालदेव के सेनापति कूपा ने राव जैतसी की हत्या कर दी ।
  • इस युद्ध में मिली हार के कारण राव जैतसी का पुत्र राव कल्याणमल दिल्ली के शेरशाह सूरी की शरण में चला गया ।
  • राव मालदेव ने कूपा को बीकानेर का प्रशासक नियुक्त किया ।


शेरशाह सूरी और राव मालदेव 


गिरी सुमेल का युद्ध 

  • 5 जनवरी 1544 ईस्वी 
  • राव मालदेव के खिलाफ दिल्ली शासक शेरशाह सूरी ने गिरी सुमेल का युद्ध लडा ।
  • इस युद्ध को जैतारण का युद्ध भी कहा जाता है ।
  • इस युद्ध में राव मालदेव धोखे की आशंका के चलते अपने सेनापति जैता और कूपा को युद्ध में छोड़कर वापिस जोधपुर लौट गया ।
  • यह युद्ध  राव मालदेव के सेनापति जैता और कूपा और शेरसाह सूरी के साथ विरमदेव, कल्याणमल और सूरी के सेनापति जलाल खां जलवानी के मध्य लडा गया ।
  • इस युद्ध में जैता और कूपा वीरगति को प्राप्त हुए ।

  • इस युद्ध के बाद शेरशाह सूरी ने कहा की " मैं मुठ्ठी भर बाजरे के लिए हिंदुस्थान की बादशाहत खो देता ।

  • शेरशाह सूरी ने अपने सेनापति "खव्वास खां" को जोधपुर पर आक्रमण करने भेजा , राव मालदेव जोधपुर से सिवाना दुर्ग चले गए ।

  • मध्य प्रदेश में कालिंजर अभियान के दौरान शेरशाह सूरी की मृत्यु होने के बाद राव मालदेव ने वापस जोधपुर पर अधिकार कर लिया ।


राव मालदेव की रूठी रानी 

  • रूठी रानी ( उमा दे भट्टयानी)
  • जैसलमेर शासक " लूनकरण भाटी की पुत्री "
  • उमा दे भट्टयानी अपनी दासी भारमली के कारण पति मालदेव से नाराज होकर अजमेर दुर्ग में रही ।
  • मालदेव की मृत्यु के पश्चात् " केलवा - राजसमंद" में मालदेव की पगड़ी के साथ सती हो गई।


मालदेव के निर्माण कार्य 

  • मेड़ता, रिया, सोजत, पोकरण में दुर्ग बनवाए।
  • जोधपुर शहर का परकोटा बनवाया।


उपाधियां 

  • हसमत वाला शासक 
  • हिंदू बादशाह 
  • 52 युद्धों और 58 परगनों का विजेता।


दरबारी विद्वान 

1. आशानंद जी :- 

    प्रमुख रचनाएं 

            उमा दे भट्टयानी री कविता 

            बाघा भारमली रा दूहा 

            गोगा जी री पेड़ी 

२. इसरदास जी :- 

         प्रमुख रचनाएं

                 देवीयान 

                 हरीरस 

                 हाला झाला री कुंडलियां 


राव मालदेव ने अपने बड़े पुत्र राम और उदयसिंह को राजा न बनाकर तीसरे पुत्र राव चंद्रसेन को राजा बनाया।


राव चंद्रसेन (1562 - 1581)

  •  पिता - मालदेव 
  •  माता - स्वरूप दे 


राव चंद्रसेन की उपाधियां 

मारवाड़ का प्रताप 

प्रताप का अग्रगामी 

मारवाड़ का भूला बिसरा राजा 


लोहावट का युद्ध ( 1562 ईस्वी)

  • लोहावट का युद्ध राव चंद्रसेन और उनके भाई उदयसिंह के मध्य हुआ , इस युद्ध में चंद्रसेन की जीत हुई ।
  • इनके दोनो बड़े भाई राम और उदयसिंह अकबर की शरण में चले गए ।

  • अकबर ने अपने सेनापति " हुसैन कूली खां" के नेतृत्व में जोधपुर सेना भेजी , परंतु राव चंद्रसेन जोधपुर से भाद्रजुन चले गए ।

  • चंद्रसेन 1570 के अकबर के नागौर दरबार में मिलने गए लेकिन अपने भाई उदयसिंह को वहां देखकर वापिस लौट आए ।

  • अकबर ने 1572 ईस्वी में बीकानेर के राजा कल्याण के पूत्र "रायसिंह "को जोधपुर का प्रशासक नियुक्त किया । रायसिंह ने 1572 से 1574 तक जोधपुर के प्रशासक के रूप में कार्य किया ।
  • रायसिंह ने राव चंद्रसेन पर भाद्राजून पर आक्रमण किया , चंद्रसेन वहां से सिवाना चले गए ।
  • रायसिंह ने चंद्रसेन की तलाश में 1574 ईस्वी में सोजत पर आक्रमण किया और सोजत के सामंत कल्ला राठौड़ को हराया।
  • रायसिंह ने सिवाना  दुर्ग पर आक्रमण किया , चंद्रसेन सिवाना दुर्ग की जिम्मेदारी पत्ता राठौड़ को देकर स्वयं पीपलूद (बाड़मेर) चले गए ।
  • 1576 ईस्वी में शाहबाज खां ( अकबर के सेनापति ) ने सिवाना पर अधिकार कर लिया ।
  • 1581 ईस्वी में " सारण के जंगलों" में सींचियाई के सामंत " वेरिसाल" के जहर देने के कारण राव चंद्रसेन की मृत्यु हो गई ।
  • अकबर ने 1581 से 1583 ईस्वी तक जोधपुर को खालसा ( खालसा का अर्थ स्वयं के अधिकार) रखा ।


मोटा राजा उदयसिंह ( 1583 - 1595 ईस्वी )

राव मालदेव के बड़े बेटे 

  • मुगल अधीनता स्वीकार करने वाला मारवाड़ का प्रथम शासक 
  • मुगलों के साथ वैवाहिक संबंध स्तापित करने वाला पहला मारवाड़ शासक 
  • मोटा राजा उदयसिंह ने अपनी पुत्री मानी बाई ( जोधा बाई) का विवाह अकबर के बेटे सलीम ( जहांगीर) से किया ।
  • मानीबाई की उपाधि - जगत गुसाई 
  • मानीबाई के पुत्र का नाम - खुर्रम ( शाहजहां)

  • मोटा राजा उदायसिंह के कारण सिवाना का दूसरा साका हुआ 

सिवाना का दूसरा साका - 1589 ईस्वी 

  • अकबर के कहने पर मोटा राजा उदयसिंह ने सिवाना के कल्लारायमलौत पर 1589 ईस्वी में आक्रमण किया ।
  • इस युद्ध में कल्लारायमलौत ने केसरिया किया और उनकी मंगेतर भानकंवर ( बूंदी के राजा सुरजन हाड़ा की पुत्री)ने कुंवारी होने के बाबजूद जोहर किया ।
  • प्रथ्वीसिंह राठौड़ ने कल्लारायमलौत के जीवित मर्सिये लिखे ( मर्सिये:- मरने के बाद प्रसंशा मे लिखी गई कविता रस )


सूरसिंह ( 1595 - 1615 ईस्वी )

  • सूरसागर तालाब का निर्माण करवाया।
  • अकबर और जहांगीर के समकालीन 
  • अकबर ने सूरसिंह को " सवाई" की उपाधि दी , क्योंकि गुजरात विद्रोह के दौरान सूरसिंह जी ने अकबर के पुत्र दानयाल और मुराद की सहयता की ।


गजसिंह ( 1615 - 1638 ईस्वी )

  • मुगल बादशाह जहांगीर और शाहजहां के समकालीन 
  • गजसिंह के प्रेमिका - अनारा बेगम
  • गजसिंह ने अनारा बेगम के कहने पर अपने बड़े पूत्र अमरसिंह राठौड़ को राजा न बनाकर, जसवंत सिंह को राजा बनाया ।
  • गजसिंह को जहांगीर ने " दलथम्वन" की उपाधि दी ।


अमरसिंह राठौड़ 

  •  अनारा बेगम के कहने पर गजसिंह जी ने जसवंत सिंह को राजा बनाया ।
  • राजा न बनाने के कारण अमरसिंह जी शाहजहां के दरबार गए ।
  • शाहजहां ने अमरसिंह राठौड़ को नागौर का राजा बनाया 


अमरसिंह राठौड़ और बीकानेर राजा कर्णसिंह

मतीरे की राड युद्ध ( 1644 ईस्वी )


  • जोखनिया गांव, नागौर और बीकानेर के सीलवा गांव के दो किसानों के मध्य मतीरे को लेकर विवाद हुआ ।
  • इस विवाद ने दो राजाओं को आपस में युद्ध करवा दिया ।
  • अमरसिंह राठौड़ और बीकानेर राजा कर्णसिंह के मध्य यह युद्ध लड़ा गया लेकिन इस युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला ।


सलावत खां और अमरसिंह राठौड़ 

  • सलावत खां मुगल बादशाह शाहजहां का साला और मुगल सेना का सबसे बड़ा सेनापति " मीरबक्शी" था 
  • अमरसिंह राठौड़ ने सलावत खां की मुगल दरबार में गर्दन काट दी थी ।
  • अमर सिंह राठौड़ को " कटार का धनी " कहते हैं।
  • अमरसिंह राठौड़ की हत्या उन्ही के साले " अर्जुन सिंह गौड़" ने की ।
  • अमरसिंह राठौड़ की छतरी " नागौर" में स्थित है ।


जसवंत सिंह ( 1638 - 1678 ईस्वी )

  • आसोप के सामंत राजसिंह कुंपावत जसवंत सिंह जी के संरक्षक थे ।
  • जसवंत सिंह जी ने मुगल उत्तराधिकार संघर्ष में धरमत युद्ध में दारासिकोह की तरफ से भाग लिया।

धरमत का युद्ध 1658 ( मध्यप्रदेश)

  • औरंगजेब और उनके भाई दाराशिकोह के मध्य 
  • दारा शिकोह के साथ जसवंत सिंह जी , कोटा के राजा मुकुंद सिंह और रतन सिंह राठौड़ ( रतलाम) और कासिम खां थे ।
  • इस युद्ध में औरंगजेब की जीत हुई और कासिम खां ने धोखा दिया ।
  • मुकुंद सिंह और रतनसिंह राठौड़ वीरगति को प्राप्त हुए ।
  • जसवंत सिंह युद्ध छोड़कर वापिस जोधपुर लौट आए ।



हाड़ी रानी जसवंत दे 

  • हाड़ी रानी जसवंत दे ने जोधपुर के किले के दरवाजे बंद करवा दिए, क्युकी जसवंत सिंह जी युद्ध का मैदान छोड़कर भागे थे ।

  • सामुगढ़ के युद्ध के पश्चात् मिर्जा राजा जयसिंह ने औरंगजेब तथा जसवंत सिंह के मध्य संधि करवाई।


खजुआ का युद्ध (1659 - उत्तर प्रदेश )

  • औरंगजेब ने जसवंत सिंह को अपने भाई सूजा से लड़ने खजुआ के युद्ध में भेजा ।
  • इस युद्ध में जसवंत सिंह जी बिना लड़े ही लौट गए जिससे सूजा की अप्रत्याशित मदद हुई ।
  • औरंगजेब ने जसवंतसिंह जी को मराठों के खिलाफ़ दक्षिण भारत भेजा , कालांतर में इन्हें " जमरूद का थाना - अफगानिस्तान " भेजा ,  वहीं पर जसवंत सिंह जी की मृत्यु हुई ।
  • जसवंत सिंह की मृत्यु पर औरंगजेब ने कहा की " आज कुफ्र का दरवाजा टूट गया "।


जसवंत सिंह जी रचनाएं

  •          आनंद विलास
  •           भाषा भूषण 
  •           प्रबोध चंद्रोदय 
  •         अपरोक्ष सिद्धांत 

दरबारी विद्वान 

 मुहनौत नैनसी 

           नैनसी री ख्यात 

           मारवाड़ के परगणा री विगत 

  • मुहनौत नैनसी  ने जेल में अपने भाई सुंदरदास के साथ आत्महत्या की ।
  • मुंशी देवीप्रसाद ने इन्हे " राजस्थान का अबुल फजल" कहा।
  • इन्हे " मारवाड़ का गजेटियर" भी कहते हैं ।


निर्माण कार्य 

  • दक्षिण भारत में जसवंतपुरा बसाया।
  • जोधपुर में कागा उद्यान बनवाया।
  • इनकी रानी अतिरंग दे ने शेखावत जी का तालाब बनवाया ।
  • हाड़ी रानी जसवंत दे ने राई का बाग पैलेस बनवाया व कल्याणसागर तालाब बनवाया जिसे वर्तमान में रातानाडा का तालाब के नाम से जाना जाता हैं।

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