राजस्थान का इतिहास :- बीकानेर का राठौड़ वंश, संस्थापक, उत्त्पति और राव बीका से महाराजा कर्णसिंह के बारे में जानकारी

राजस्थान का इतिहास :- बीकानेर का राठौड़ वंश, संस्थापक, उत्त्पति और  राव बीका से महाराजा  कर्णसिंह के बारे में जानकारी || History of Rajasthan: - Information about the Rathore dynasty of Bikaner, founder, origin and from Rao Bika to Maharaja Karn Singh







राजस्थान के इतिहास के मुख्य टॉपिक राजस्थान के राजवंश में हमने चौहान वंश  और मारवाड़ के राठौड़ वंश की महत्त्वपूर्ण जानकारी हमने हमारे ब्लॉग की राजस्थान के इतिहास सीरीज से अब तक दी , आज हम राजस्थान के बीकानेर के राठौर वंश से संबंधित जानकारी पड़ेंगे ।
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आज के इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको राजस्थान में राठौड़ वंश की सत्ता के दूसरे प्रमुख केंद्र बीकानेर के राठौड़ वंश के बारे में जानकारी देंगे 

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बीकानेर का राठौर वंश 


बीकानेर के प्राचीन नाम :-

  •  कुरू जांगला ( महाभारत काल में )
  • जांगल प्रदेश 
  • रातीघाटी 

नोट:- जांगल प्रदेश की राजधानी अहिछत्रपुर ( वर्तमान में नागौर जिसे धातु नगरी के नाम से भी जाना जाता हैं ) थी ।

बीकानेर में राठौड़ वंश की स्थापना :- 


मारवाड़ के शासक राव जोधा के पुत्र राव बीका ने 1465 ईस्वी अपने चाचा कांधल के साथ जांगल प्रदेश में राठौर वंश की नीव रखी ।

नोट:- राव जोधा के दूसरे पुत्र राव दुदा ने मेड़ता में राठौड़ वंश की नीव रखी थी ।

राठौर वंश की कुल देवी :- नागणेची माता ( नागाणा गांव - वर्तमान बालोतरा जिला )

आराध्य देवी :- करणी माता  ( देशनोक, बीकानेर )

बीकानेर के राठौर वंश की वंशावली :- 



बीकानेर के शासक                              कार्यकाल 
राव बीका 1465 - 1504
राव नरा 1504 - 1505
राव लूनकरण 1505 - 1526
राव जैतसी 1526 - 1542
राव कल्याणमल 1542 - 1574
रायसिंह 1574 - 1612
दलपत सिंह 1612 - 1613
सूरसिंह 1613 - 1631
कर्णसिंह 1631 - 1669
अनूपसिंह1669 - 1698
स्वरूपसिंह1698 - 1700
सुजानसिंह1700 - 1734
जोरावर सिंह 1734 - 1746
गजसिंह 1746 - 1786
सूरतसिंह1786 - 1828
रतनसिंह1828 - 1851
सरदारसिंह1851 - 1872
डुंगरसिंह1872 - 1887
गंगासिंह 1887 - 1943


राव बीका


  • सन 1465 ईस्वी में जंगल प्रदेश के अंदर राठौड़ वंश की नींव रखी 
  • बीकानेर राठौर वंश का संस्थापक 
  • करणी माता के मंदिर ( देशनोक,बीकानेर) का निर्माण करवाया।
  • राव बीका ने आखातीज के दिन 1488 में करणी माता के आशीर्वाद से बीकानेर की स्थापना की ।

नोट :- करणी माता का बचपन का नाम रिद्धि या रिद्धू बाई था ।
  • करणी माता ने राव बीका और  शेखा भाटी के मध्य समझौता करवाया।
  • शेखाभाटी ने अपनी पुत्री रंगकंवर का विवाह राव बीका के साथ किया ।

  • राव बीका ने सर्वप्रथम " कोडमदेसर" को अपनी राजधानी बनाया 
  • 1488 ईस्वी में रानी घाटी क्षेत्र में बीकानेर की स्थापना के बाद बीकानेर को अपनी दूसरी राजधानी बनाया ।

  • राव बीका ने अपने भाई राव सूजा ( मारवाड़ शासक) पर  राज्य चिन्हों के लिए आक्रमण किया ।
  • इस युद्ध में  राव जोधा की पत्नी जस्मादे हाड़ी ने दोनों के मध्य समझौता करवाया ।
  • राव बीका 3 राज्य चिन्ह मारवाड़ से लेकर आए 
  नागणेची माता की मूर्ति 
 लक्ष्मीनाथ जी की मूर्ति
लोकदेवता हड़बू जी की कटार।

निर्माण कार्य 

  • कोडमदेसर में भैरव मंदिर का निर्माण 
  • बीकानेर की स्थापना
  • देशनोक बीकानेर ने करणी माता का मंदिर बनवाया ।


राव नरा 

 इनके शासनकाल में कोई महतवपूर्ण कार्य नहीं हुए ।

राव लूनकरण 

  • जसनाथ जी के आशीर्वाद से राजा बने ।
  • जैसलमेर के शासक जैतसी को हराया ।
  • राव जैतसी से दरबारी कवि बिठू सूजा ने अपने ग्रंथ " राव जैतसी रो छंद" में इनको " कलयुग का कर्ण " कहा हैं।
  • राव लूनकरण की मृत्यु ढोसी के युद्ध 1526 में नारनौल के अविमीरा से लड़ते हुए मृत्यु हो जाती है ।

निर्माण कार्य 

  • लूनकरण झील का निर्माण करवाया।
  • लक्ष्मीनाथ जी का मन्दिर बनवाया।
लूनकरण कसवा बसाया।
नोट :- लूनकरण कस्बे को राजस्थान का राजकोट कहा जाता है ।
 यह राजस्थान में मूंगफली के लिए प्रसिद्ध स्थान है ।
सबसे बडी मूंगफली मंडी भी यही है ।

राव जैतसी 

  • राव जैतसी ने खानवां के युद्ध में राणा सांगा की सहायता हेतु अपने पुत्र " कल्याणमल " को भेजा ।

  • 1534 ईस्वी में रतिघाटी के युद्ध में मुगल बादशाह हुमायूं के भाई कामरान को हराया ।

  • 1541 - 42 में पहेबा साहेबा के युद्ध में राव मालदेव के सेनापति "कुपा" ने राव जैतसी की हत्या कर दी।

  • राव मालदेव ने कूप़ा को बीकानेर का प्रशासक नियुक्त किया ।
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राव कल्याणमल 


  • राव जैतसी के पुत्र 
  • दिल्ली शासक इल्तुतमिस की सहायता से पुनः राजा बने।
  • ठाकुरियासर गांव में राज्याभिषेक
  • 1570 ईस्वी में नागौर दरबार में भाग लिया ।
  • नागौर दरबार में अपने पुत्र रायसिंह और पृथ्वीराज राठौड़ के साथ भाग लिया ।
  • मुगल अधीनता स्वीकार करने वाले प्रथम राठौड़ शासक।
  • इन्होंने मुगल राजपुत वैवाहिक संबंध स्थापित किए ( अपने पुत्र रायसिंह की पुत्री का विवाह अकबर के साथ करवाया ।
    

पृथ्वीराज राठौड़ 

  •  राव कल्याणमल के पुत्र
  •  अकबर के दरबारी विद्वान 

उपनाम :- 

  •   कलम का धनी 
  •   डिंगल का हैरोस ( एल. पी. टेसिटोरी ने कहा )
  •  साहित्यिक भाषा में पिथल 

  •     ये पीथल नाम से कविताएं लिखते थे ।
  •     पृथ्वीराज राठौड़ ने गागरोन के दुर्ग में रहते हुए           डिंगल भाषा में "वेली कृष्ण रुक्मणि री वचनिका 
  •      ग्रंथ लिखा ।
  •      इस ग्रंथ को 5 वा वेद व 19 वा पुराण कहते हैं ।
  •      अकबर ने इन्हें गागरोन की जागीर दी ।

अन्य रचनाएं:- 

     दशम भागवत रा दुहा 
     गंगालहरी/ राउतलहरी 
  •  इनकी मृत्यु आगरा में हुई 


Lp टेसिटोरी 

  •   उदेनिगाव, इटली के रहने वाले 
  •   महाराजा गंगासिंह ने संरक्षण दिया ।
  •   इनकी छतरी बीकानेर में स्तिथ है ।
  •   इनकी कर्मस्थली बीकानेर है ।
  •  पृथ्वीराज राठौड़ के ग्रंथ वेली कृष्ण रुक्मणि री वचनिका को प्रकाश में लाने का श्रेय इनको ही दिया जाता है ।


 रायसिंह 

  • रायसिंह मुगल बादशाह अकबर और जहांगीर के समकालीन थे ।
  • जहांगीर का प्रथम विश्वासपात्र 
  • अकबर का दूसरा विश्वासपात्र 
  • अकबर ने 1576 में इन्हें 4000 का मनसब और 51 परगने दिए ।
  • जहांगीर ने इनकी मनसबदारी में 1000 मनसब बड़ा कर 5000 कर दिया ।

उपाधियां 

  • अकबर ने इन्हें " राय " की उपाधि दी ।
  • जायसोम ने अपने ग्रंथ कर्मचंद्रवंशोकीर्तनम काव्यम में इन्हें " राजेन्द्र" की उपाधि दी ।
  • मुंशी देवीप्रसाद ने इन्हे " राजपुताने का कर्ण " कहा।
  • महाराजाधीराज 

  • 1572 ईस्वी में अकबर ने इन्हे जोधपुर का प्रशासक नियुक्त किया , 1574 तक जोधपुर के प्रशासक के तौर पर कार्य किया।
  • 1573 ईस्वी में कठोली के युद्ध ( डीडवाना - परवतसर) के युद्ध में रायसिंह ने गुजरात इब्राहिम मिर्जा पर आक्रमण किया , इस युद्ध में रायसिंह की जीत हुई और इब्राहिम मिर्जा पंजाब भाग गया ।
  • सौराष्ट्र जाते समय सिरोही शासक " सुरतान" तथा जालौर के शासक "ताज खां " की अकबर से संधि करवाई।
  • 1574 ईस्वी में मारवाड़ के शासक राव चंद्रसेन की तलाश में इन्होंने सोजत पर आक्रमण किया और कल्ला राठौर को हराया ।


निर्माण कार्य 

  • जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया 
  • जयमल व फत्ता सिसोदिया की मूर्तियां लगवाई।
  • ये मूर्तियां जूनागढ़ दुर्ग के सुरजपोल के बाहर, पाषाण गजारूढ़ मूर्तियां हैं ।
  •   मंत्री कर्मचंद की देखरेख में 

  दुर्ग के उपनाम 

      जमीन का जेवर 
       रातीघाटी दुर्ग 
       चिंतामणि दुर्ग 
  • इनके शासनकाल में जेड़ता मुनि ने जूनागढ़ दुर्ग में रायसिंह प्रसस्ति लिखी।
  • रायसिंहनगर कसवा बसाया 

  • इन्हीं के शासनकाल में बीकानेर चित्रशैली की शुरूआत की गई।

रायसिंह की रचनाएं 

रायसिंह महोत्सव 
वैधक वंशावली 
ज्योतिष रत्नमाला 
बाल बोधिनी 

  • 1612 ईस्वी में अहमद नगर अभियान के दौरान बुरहानपुर (mp) में मृत्यु हो गई ।

दलपत सिंह 

इनकी 6 रानियां सती हुई थी , इनकी रानियों की छतरी भटनेर दुर्ग घग्गर नदी के किनारे बनी हुई हैं।

सूरसिंह 

इन्होंने 18 वर्ष तक शासन किया ।

महाराजा कर्णसिंह 


  • इन्हे मुगल बादशाह औरंगजेब ने कटक अभियान के दौरान औरंगजेब और राजपूत शासकों को बाहर निकाला था , राजपूत शासकों के द्वारा इन्हे " जय जांगलधर बादशाह" कहा गया ।
  • मुगल बादशाह शाहजहां और औरंगजेब के समकालीन।
  • 1644 ईस्वी में नागौर के प्रशासक अमरसिंह राठौड़ के साथ मतीरो की राड़ युद्ध लडा , इस युद्ध का निर्णय अनिर्णायक रहा।
  • 1669 ईस्वी में कर्णपुरा गांव में इनकी मृत्यु हो गई ।

दरबारी विद्वान और इनकी रचनाएं 



दरबारी विद्वान रचनाएं
गंगाधर मैथिली "कर्णभूषण व काव्यडाकिनी "
  
होसिंग भट्ट कर्णवत्स                                   

  • कर्णसिंह ने  "साहित्य कल्पद्रुम " की रचना की ।


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