राजस्थान कला और संस्कृति :- हिन्दू धर्म के त्यौहार || Rajasthan Art and Culture:- Festivals of Hinduism
राजस्थान की कला और संस्कृति के प्रथम पार्ट में हमने भारतीय हिंदू कैलेंडर व राष्ट्रीय पंचांग और अन्य धर्मों के कलेंडर के बारे में जानकारी दी , जिसमें विक् सम्वत, शक संवत् और हिजरी संवत् की विस्तृत लेख से आपको एग्जाम संबंधी महत्त्वपूर्ण जनकारी दी हुई है।
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राजस्थान कला और संस्कृति :- कैलेंडर व राष्ट्रीय पंचांग
आज के कला और संस्कृति के इस दुसरे अध्याय में हम आपको हिंदु त्यौहारों, मुस्लिम धर्म और अन्य धर्मों के प्रमुख त्योहारों के बारे में जानकारी देंगे ।
हिंदू धर्म के त्यौहार
संपूर्ण विश्व में अगर त्यौहार मनाए जाते हैं तो हिंदू धर्म में सबसे अधिक त्यौहार आते हैं , हम इनको हिंदी कैलेंडर के अनुसार मानते हैं आइए जानते हैं हिंदु त्यौहारों के बारे में
चैत्र मास के त्यौहार :-
नव संवत् :-
- भारतीय नवबर्ष या नव संवत्सर भी इसे कहा जाता हैं ।
- भारतीय नववर्ष "चैत्र शुक्ल प्रतिपदा" को मनाया जाता है ।
- खाते बदले जाते हैं।
नोट :- राजस्थान एकीकरण के चौथे चरण वृहद राजस्थान का निर्माण चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 2006 को हुआ । ( अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार :- 30 मार्च 1949 ~ 30 मार्च को राजस्थान दिवस भी मनाया जाता हैं।)
नवरात्रा स्थापना :-
- चैत्र शुक्ल.1 या चैत्र शुल्क प्रतिपदा
- इस दिन ही वसंतीय नवरात्रों की शुरूआत होती है ।
- 9 दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है ।
गणगौर :-
- चैत्र शुक्ल 3 या चैत्र शुक्ल तृतीया
- इस दिन गण के रूप में भगवान शिव की पूजा और गौरा के रूप में मां पार्वती की पूजा की जाती हैं।
- शिव और पार्वती को अखंड सुहाग का प्रतीक माना जाता है ।
- जयपुर का गणगौर का त्यौहार प्रसिद्ध है , इस दिन जयपुर में मेला भरता है और सवारी निकाली जाती हैं।
नोट :-
राजस्थान में अन्य गणगौर भी मनाई जाती हैं
जैसे :-
गुलाबी गणगौर :- चैत्र शुक्ल 5 ( यह नाथद्वारा की प्रसिद्ध है ।)
बिना ईसर की गवर:- चैत्र शुक्ल 4 ( यह जैसलमेर की प्रसिद्ध हैं ।
बिना गवर का ईसर :- चैत्र शुल्क 4 ( यह बीकानेर की प्रसिद्ध है ।)
कर्नल जेम्स टॉड ने , उदयपुर की गणगौर का वर्णन किया हैं।
गणगौर पर हिन्दू त्यौहारों का अंत माना जाता है ।
अशोकाष्टमी :-
- चैत्र शुक्ल अष्टमी
- इस दिन अशोक के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
रामनवमी :-
- चैत्र शुल्क नवमी
- श्री राम चंद्र का जन्मोत्सव मनाया जाता है ।
हनुमान जन्मोत्सव :-
- चैत्र पूर्णिमा
- हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है ।
- नोट :- इस दिन सालासर बालाजी मेला , चुरू में और मेहंदीपुर बालाजी मेला दौसा में भरता हैं।
वैशाख माह के त्यौहार
धीगा गणगौर :-
- वैशाख कृष्णा तृतीया
- यह त्यौहार मारवाड़ का प्रसिद्ध है ।
- इस त्यौहार में कुंवारी गौरा की पूजा की जाती है ।
- उपनाम :- वेतमार गणगौर
- धीगा गणगौर मेला जोधपुर में भरता है ।
हाली अमावस :-
- वैशाख अमावस्या
- हाली का अर्थ होता है - हल जोतने वाला
- इस दिन हाली की नियुक्ति की जाति है ।
हाली बीज :-
- वैशाख शुक्ला द्वितीय
- इस दिन सूखे खेतों की जुताई शुरू की जाती है ।
अक्षय तृतीय ( आखातीज) :-
- वैशाख शुक्ल तृतीय
- इस दिन किसान 7 अनाजों की पूजा करते हैं ।
- इसी दिन ही 1488 ईस्वी में राव बीका ने बीकानेर की नीव रखी।
- इस दिन स्वर्ण खरीदना शुभ माना जाता है ।
- इस दिन भगवान परशुराम का जन्मोत्सव होता है ।
- आखातीज के दिन "अबूझ सावा" होता हैं ।
पीपल पूर्णिमा :-
- वैशाख पूर्णिमा
- पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है ।
- उपनाम :- बुद्ध पूर्णिमा
ज्येष्ठ माह के त्यौहार
वटामावस :-
- ज्येष्ठ अमावस
- इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है ।
- इस दिन महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती है ।
गंगा दशहरा :-
- ज्येष्ठ शुक्ला दशमी
- इस दिन भागीरथ जी ने गंगा नदी देवी का अवतरण धरती पर हुआ।
- इस दिन गंगा दशहरा मेला - कामां ( डींग जिला ) में भरता है ।
- यह ज्येष्ठ शुक्ला सप्तमी से ज्येष्ठ शुक्ला द्वादशी तक भरता हैं।
निर्जला एकादशी :-
- ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी
- इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं , बिना अन्न जल के यह व्रत रखा जाता हैं।
आषाढ़ माह के त्यौहार
भडल्या नवमी :-
- आषाढ़ शुक्ला नवमी
- इस दिन " अबूझ सावा " होता है ।
- हिंदू धर्म में शुभ मांगलिक कार्य करते हैं ।
देवशयनी एकादशी :-
- आषाढ़ शुक्ला एकादशी
- इस दिन से देवता चार माह के लिए सो जाते हैं ।
गुरू पूर्णिमा :-
- आषाढ़ पूर्णिमा
- इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्मदिवस मनाया जाता है।
- इसे " व्यास पूर्णिमा" भी कहा जाता है ।
- इस दिन गुरुओं की पूजा की जाती है ।
श्रावण मास के त्यौहार
नाग पंचमी :-
- श्रावण कृष्ण पंचमी
- इस दिन नाग नागिन की चांदी या तांबे की प्रतिमा की पूजा की जाती हैं।
- इस दिन मंडोर में नाग पंचमी का मेला भरता हैं।
नीडरी नवमी :-
- श्रावण कृष्ण एकादशी
- इस दिन नेवला की पूजा की जाती है ।
कामिका एकादशी :-
- श्रावण कृष्ण एकादशी
हरियाली अमावस्या :-
- श्रावण अमावस्या
- हरियाली अमावस्या का संबंध प्रकृति, पितृ तथा शिव से है ।
- इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
- वृक्षारोपण कर वृक्षों की देखभाल का संकल्प लिया जाता है ।
- इस दिन सन 1917 में विजय सिंह पथिक द्वारा उपरमाल पंच बोर्ड की स्थापना की ।
- इस दिन भरे जाने वाले मेले :-
डिग्गीपुरी कल्याण जी का मेला - जयपुर
कल्पवृक्ष मेला :- मांलियावास, ब्यावर
गुरुद्वारा बुड्ढा जोहड़ मेला :- रायसिंह नगर , अनूपगढ़
इस दिन महिलाएं जिनके प्रसूति के दौरान शिशु का देहांत हो जाता है वो इस दोष के निवारण हेतु " पिट्ठोरी व्रत" रखती हैं।
सिंजारा :-
- श्रावण शुक्ला द्वितीया
- इस दिन जिन लड़कियों की सगाई हो जाती है या नव विवाहिता को सुसराल से सिंजारा दिया जाता है ।
- सिंजारा में साड़ी, मेंहदी , लाख की चूड़ियां, लहरिया अन्य श्रृंगार का सामान , मठरी, पंजीरी, मिठाई तथा विशेषकर घेवर शामिल है।
हरियाली तीज / तीज :-
- श्रावण शुक्ला तृतीया
- उपनाम :-
- इस त्यौहार में महिलाएं सामूहिक रूप से देवी पार्वती की पूजा करती है ।
- इस दिन को महिलाएं श्रृंगार दिवस के रूप में मानती हैं , महिलाएं इस दिन सजती संवरती हैं और झूला झूलती हैं , लोकगीत गाती हैं।
- हिन्दू धर्म में इस दिन को त्यौहारों की शुरूआत के रूप में जाना जाता हैं।
- इस जयपुर में तीज का मेला भरता हैं और तीज की सवारी निकाली जाती हैं।
एकादशी/ श्रावण पुत्रदा एकादशी :-
- श्रावण शुक्ला एकादशी
- इस दिन मेड़ता सिटी , नागौर में चारभुजानाथ मेला भरता हैं , जो श्रावण शुक्ला एकादशी से सात दिन तक चलता है ।
रक्षा बंधन :-
- श्रावण पूर्णिमा
- अन्य नाम :-
- इस दिन श्रवन कुमार की पूजा की जाती हैं।
- नोट :- चारण समाज रक्षा बंधन नहीं मनाते हैं ।
- श्रावण शुक्ला ( अंतिम सोमवार) को मंडोर, जोधपुर में वीरपुरी मेला लगता है ।
भाद्रपद माह के त्यौहार
बड़ी तीज :-
- भाद्रपद कृष्णा तृतीया
- अन्य नाम :- कजली तीज, सातुड़ी तीज , बूढ़ी तीज , बड़ी तीज ।
- इस दिन मां पार्वती की पूजा व नीम के पेड़ की जाती है ।
- इस दिन बूंदी का प्रसिद्ध कजली तीज महोत्सव का आयोजन किया जाता है ।
- इस महोत्सव का आकर्षण " चकरी नृत्य" है ।
हल छठ/ ऊब छठ :-
- भाद्रपद कृष्णा षष्ठी
- इस दिन बलराम जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है ।
- अन्य नाम :- चंदन षष्ठी , बलराम जयंती।
- ऊब छठ के दिन संतान प्राप्ति के लिए खड़े होकर व्रत किया जाता हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी :-
- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी
- श्री कृष्ण का जन्मोत्सव।
- संत जम्भोजी का जन्मोत्सव।
गोगानवमी/ गोगामेड़ी मेला :-
- भाद्रपद कृष्ण नवमी
- संत गोगा जी का मेला गोगामेड़ी में भरता है ।
- इसी दिन संत गोगा जी का जन्म हुआ था ।
नरहर के पीर का उर्स भरता है ।
बच्छवारस/ वात्सद्वादशी / वैदिक धेनुद्वादशी :-
- भाद्रपद कृष्णा द्वादशी
- इस दिन गाय , बछड़ा की पूजा की जाती हैं।
- इस दिन गाय से निर्मित वस्तुओ का उपयोग नहीं करता है ।
सतिया अमावस :-
भाद्रपद अमावस।
भादवी दूज/ बाबे री बीज :-
- भाद्रपद शुक्ला द्वितीय
- बाबा रामदेव जी का जन्मदिवस
- इस दिन रामदेवरा मेला जी का मेला शुरू होता है और एकादशी तक चलता है ।
गणेश चतुर्थी :-
- भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी
- अन्य नाम :- शिवा चतुर्थी, चतरा चौथ
- इस दिन भरे जाने वाले मेले
- त्रिनेत्र गणेश जी मेला रणथंभौर में भरता हैं।
- चुंघी जैन तीर्थ मेला जैसलमेर में भरता हैं।
- पांडुपोल मेला ( हनुमान जी का मेला ) - अलवर में भरता है।
हरतालिका तीज :-
- भाद्रपद शुक्ला तृतीया
- इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं ।
- इस दिन बांगर क्षेत्र में सिंजारा मनाया जाता हैं।
ऋषि पंचमी :-
- भाद्रपद शुक्ला पंचमी
- इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है , दान पुण्य किए जाते हैं।
- इस दिन माहेश्वरी, पारीक समाज रक्षा बंधन का पर्व मनाते हैं।
राधाष्टमी :-
- भाद्रपद शुक्ला अष्टमी
- इस दिन दधीची जयंती भी मनाई जाती है ।
- इस दिन भरे जाने वाले मेले -
- भर्तृहरि मेला - अलवर
- निंबार्क संप्रदाय का मेला - निंबार्क नगर, सलेमाबाद ( निंबार्क संप्रदाय में राधा कृष्ण के युगल रूप की पूजा की जाती हैं।)
तेजादशमी :-
- भाद्रपद शुक्ल दशमी
- अन्य नाम - धूप सुगंध दशमी , विश्वकर्मा जयंती।
- तेजादश्मी तेजा जी की पुण्यतिथि के रूप में मनाते हैं
- पर्वतसर, डीडवाना - कुचामन में पशु मेला भरता है ।
देवउठनी ग्यारिश / जलझूलनी एकादशी :-
- भाद्रपद शुक्ल एकादशी
- अन्य नाम - रेवाड़ी ग्यारिस, ढोला ग्यारस।
- गढ़बौर राजसमंद में चुरभुजा मेला भरता है ।
अनंत चतुर्दशी पर्व :-
- भाद्रपद शुक्ल 14
- इस दिन गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है ।
श्राद्ध पक्ष :-
- भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस
- 16 दिनों का होता है ।
- पितृओं को तर्पण दिया जाता है ।
सांझी पर्व :-
- सांझी मां पार्वती का प्रतीक होती है ।
- कुंवारी कन्याओं द्वारा 16 दिन तक पूजा की जाती है ।
- पूर्णिमा से दशमी तक :- छोटी सांझी
- एकादशी से अमावस तक :- बड़ी सांझी।
नोट :- नाथद्वारा मंदिर में स्तिथ कमलचौक की केले के पत्तों की सांझी प्रसिद्ध है ।
आश्विन माह के त्यौहार
शारदीय नवरात्रा :-
- आश्विन शुक्ल प्रथम से आश्विन शुक्ल नवमी।
- मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है ।
दुर्गाष्टमी :-
- आश्विन शुक्ल अष्टमी
- यह बंगाल का प्रसिद्ध त्यौहार है ।
दशहरा/ विजयादशमी :-
- आश्विन शुक्ल दशमी
- इस दिन श्री राम ने रावण का वध किया था ।
- इस दिन अस्त्रों की पूजा की जाती है ।
- रजवाड़ों मैं शस्त्र पूजा व दरबार आयोजन किया जाता है ।
- इस दिन कोटा में दशहरा मेला भरता है जी विश्व प्रसिद्ध है ।
- मंडोर के ब्राह्मण इस दिन को शोक दिवस के रूप में मनाते हैं।
शरद पूर्णिमा :-
- आश्विन शुक्ल पूर्णिमा
- इस दिन वर्ष की सबसे अधिक चांदनी होती हैं।
- इस दिन चंद्रमा को खीर के दर्शन करवाते है ।
- इस पूर्णिमा को रास पूर्णिमा व कोजागिरी भी कहा जाता है ।
कार्तिक माह के त्यौहार
करवा चौथ :-
- कार्तिक कृष्ण चतुर्थी
- सुहागिन महिलाएं चौथ माता का व्रत रखती हैं।
अहोई अष्टमी :-
- कार्तिक कृष्णा अष्टमी
- स्याउ माता की पूजा की जाति है ।
- माता पुत्र की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है ।
तुलसी एकादशी :-
- कार्तिक कृष्णा एकादशी
- महिलाए व्रत रखती हैं और तुलसी माता की पूजा की जाती हैं।
धनतेरस :-
- कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी
- धन की पूजा की जाती हैं।
- कुबेर देवता की पूजा की जाती है ।
- यमराज की पूजा की जाती है ।
- चांदी और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है ।
- इस दिन धनवंतरी जयंती भी मनाई जाती है ।
रूप चतुर्दशी :-
- कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी
- छोटी दीपावली भी इसी दिन मनाई जाती है ।
- रूप सौंदर्य का त्योहार है ।
दीपावली :-
- कार्तिक अमावस्या
- श्री राम जी के 14 वर्ष वनवास काटकर अयोध्या लौटने की खुशी में ।
- दीपोत्सव किया जाता है ।
- हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है ।
- संध्या में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है ।
- इसी दिन विक्रम संवत जारी किया गया ।
- इसी दिन धर्मराज युधिस्टर का राज्यभिषेक हुआ ।
- इस दिन महावीर स्वामी व स्वामी दयानंद सरस्वती को मोक्ष प्राप्ति हुई।
गोवर्धन पूजा :-
- कार्तिक शुक्ल 1
- गोबर से गोवर्धन बनकर पूजा की जाती है ।
- इसे भगवान श्री कृष्ण का प्रतीक माना जाता है ।
- इस दिन नाथद्वारा में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन होता है , इस महोत्सव का भीलों द्वारा लूट दृश्य प्रसिद्ध है ।
भैया दूज :-
- कार्तिक शुक्ल द्वितीया
गोपाष्टमी :-
- कार्तिक शुक्ल अष्टमी
- इस दिन गायों और बछड़ों की पूजा की जाती है ।
आंवला नवमी :-
- कार्तिक शुक्ल नवमी
- आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है ।
देवोत्थान एकादशी :-
- कार्तिक शुक्ल एकादशी
- अन्य नाम :- प्रबोधिनी ग्यारस, देवउठनी ग्यारस
- देवता 4 माह बाद जागते हैं।
- इस दिन भगवान विष्णु और तुसली का विवाह कराया जाता है ।
नोट :- हिंदु धर्म में 4 माह बाद शुभ मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं।
त्रिपुर पूर्णिमा :-
- कार्तिक पूर्णिमा
- इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था ।
- अन्य नाम :- देव पूर्णिमा ( भगवान विष्णु का प्रथम अवतार मत्स्य अवतार इसी दिन लिया गया था )
- गुरू नानक देव ( सिख धर्म) का जन्म इसी दिन हुआ
- इसे सत्यनारायण पूर्णिमा भी कहते हैं।
नोट :- मार्गशीष और पौष माह में कोई त्यौहार नहीं आते हैं ।
मकर सक्रांति :-
- हिंदु धर्म के एक त्यौहार जिसे अंग्रेजी कलेंडर की 14 जनवरी को मानते हैं ।
- इस दिन को दान पुण्य और गंगा स्नान की दृष्टि से बहुत शुभ जाना जाता हैं।
- सुहागिन महिलाएं सुहाग की 13 वस्तुओं को दान करती है इसे " तेरुण्डा" कहते हैं।
- बहु द्वारा रूठी सास को मनाया जाता है ।
- जयपुर में इस दिन पतंगोत्सव मनाया जाता हैं।
माघ माह के त्यौहार
संकट चतुर्थी :-
- माघ कृष्ण चतुर्थी
- अन्य नाम - तिलचौथ, तिलकुटा चौथ।
- इस दिन महिलाएं चौथ माता का व्रत रखती हैं।
- चौथ का बरवाड़ा, सवाई माधोपुर में चौथ माता का मेला भरता हैं।
मौनी अमावस :-
- माघ अमावस्या
- भगवान मनु का जन्म दिवस।
- इस दिन मौन व्रत रखा जाता है ।
सूर्या सप्तमी :-
- माघ शुक्ला सप्तमी
- इस भगवान सूर्य का व्रत रखा जाता है एवम पूजा की जाती है ।
- जयपुर में सूर्य भगवान की रथ यात्रा निकलती है।
बसंत पंचमी :-
- माघ शुक्ला पंचमी
- बसंत ऋतु की शुरूआत
- इस दिन को यौवनोत्सव के रूप में मनाया जाता है , इस दिन प्रकृति यौवन रूप में दिखाई देती लगती है ।
- मां सरस्वती की पूजा की जाती है और पीले मिष्ठान का भोग लगता है।
- इस दिन कामदेव की भी पूजा की जाती है।
नोट :- इस दिन चरणदासी संप्रदाय का मेला डेहरा, अलवर में लगता है ।
भीमाष्टमी :-
- माघ शुक्ल अष्टमी
- इस दिन भीष्म पितामह ने देह त्याग किया था ।
फाल्गुन माह के त्यौहार
महाशिवरात्रि :-
- फाल्गुन कृष्णा त्रयोदशी
- भगवान शिव के विवाह की याद में ।
- इस दिन शिवरात्रि मेला शिवाड़, सवाई माधोपुर में जहां द्वादशवा ज्योतिर्लिंग, घुमेश्वर महादेव है ।
- इसी दिन करौली में शिवरात्रि पशु मेला भरता है ।
फुलेरा दूज :-
- फाल्गुन शुक्ला द्वितीय
- अबूझ सावा होता हैं , विवाह और शुभ मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम दिन होता है ।
ढूंढ :-
- फाल्गुन शुक्ला एकादशी
- ढूंढ , यह एक तरह का रिवाज माना जाता है ।
- इस दिन ननिहाल पक्ष में संतान प्राप्ति पर मिठाई बांटी जाती है।
होली :-
- फाल्गुन पूर्णिमा
- हिंदु धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार ।
- इस दिन होलिका दहन किया जाता है ।
राजस्थान की प्रसिद्ध होलियां
कंडामार होली - गलियाकोट , डुंगरपुर
लट्ठमार होली - महावीर जी , करौली
देवर भाभी होली - ब्यावर
अंगारों की होली - लालसोठ, दौसा व केकड़ी।
जन्म मरण परण होली - जयपुर
कपड़ाफाड़ होली - पुष्कर, अजमेर।
कोडामार होली - भिनाय, केकड़ी।
पत्थरमार होली - बाड़मेर
बाल्टीमार होली - बीकानेर
दूध दही की होली - नाथद्वारा
कंकन मार होली - जैसलमेर
नहान होली - सांगोद, जयपुर।
बादशाह की होली - ब्यावर
फूलडोल महोत्सव - शाहपुरा
हुरंगा होली - डींग
फूलों की होली - गोविंद देव जी जयपुर।
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष के त्यौहार
धुलंडी :-
- चैत्र कृष्ण १
- बाड़मेर, जालौर क्षेत्र में इलोजी ( होलिका का मंगेतर) इनको कुंवारों का देवता भी कहा जाता है , की बारात निकाली जाती है ।
शीतलाष्टमी :-
- चैत्र कृष्णा अष्टमी
- शीतला माता की पूजा की जाती है ।
- शीतला माता को बस्योडा का भोग लगाया जाता है ।
- शीतला माता के अन्य नाम -
- इनका पुजारी कुम्हार होता है और वाहन गधा है ।
नोट :- अनगड़े फफोलेदार पत्थर पर वासे भोजन का भोग लगाया जाता है ।
इस दिन शीलडूंगरी, चाकसू में मेला भरता है , इस मेले को बैलगाड़ियों का मेला भी कहा जाता है।
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