कला और संस्कृति :- राजस्थान के प्रमुख मेले || Art and Culture:- Major fairs of Rajasthan

कला और संस्कृति :-  राजस्थान के प्रमुख मेले  || Art and Culture:- Major fairs of Rajasthan




राजस्थान के एग्जाम्स से संबंधित राजस्थान के कला और संस्कृति के पाठ्यक्रम में से हमने कैलेंडर, संवत, त्यौहार को पिछले ब्लॉग्स में अच्छे से करवाया है, जिस भी विद्यार्थी ने अभी तक अध्ययन नहीं किया तो वो हमारे ब्लॉग्स के art and culture पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं और अपनी तैयारी को एक अनोखा आयाम दे सकते हैं ।

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आज के ब्लॉग में हम राजस्थान के प्रमुख मेले जो एक्जाम की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण टॉपिक है उसको अच्छे से समझने का प्रयास करेंगे ।

राजस्थान के प्रमुख मेले


मेला शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है - मिलन
विभिन्न सभ्यता और संस्कृति के मिलन को मेला कहते हैं ।

  • राजस्थान में सर्वाधिक मेले  - डुंगरपुर जिले ( एक वर्ष में लगभग 21 मेलों का आयोजन किया जाता है ।)
  • सर्वाधिक पशु मेले -    नागौर जिले में
  • सबसे बड़ा मेला -       पुष्कर मेला ( कार्तिक पूर्णिमा)
  • सबसे बड़ा पशु मेला -  वीर तेजा जी पशु मेला  ( परवतसर - डीडवाना कुचामन)


  • राजस्थान का सबसे प्राचीन पशु मेला - श्री मल्लीनाथ जी पशु मेला  ( तिलवाड़ा - वर्तमान बालोतरा जिला )
इस मेले की शुरआत मारवाड़ के शासक मोटा राजा उदयसिंह ने 1593 - 94 ईस्वी में लूनी नदी के किनारे की गईं).
 चैत्र कृष्णा एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक इस मेले का आयोजन किया जाता हैं।


अब हम हिंदी महीनों के अनुसार क्रम से हर महीने के प्रमुख मेलों के बारे में अध्ययन करेंगे 

चैत्र मास के प्रमुख मेले


फूल डोल मेला - 

  •      स्थान  :     शाहपुरा ( भीलवाडा)
  •   इस मेले का आयोजन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र कृष्ण पंचमी तक किया जाता है ।
  • इस मेले का संबंध रामस्नेही संप्रदाय से है ।

धनोप माता मेला 

  •    स्थान  : धनोप ( भीलवाड़ा )
  • इस मेले का आयोजन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र कृष्ण नवमी तक किया जाता है ।

ऋषभदेव मेला 

  •  स्थान :  धुलैव ( उदयपुर) कोयल नदी के किनारे 
  • आयोजन :- चैत्र कृष्ण अष्टमी से चैत्र कृष्ण नवमी  
  •  ऋषभदेव जी का संबंध जैन धर्म से है एवम इन्हे आदिनाथ कहा जाता है ।
  • इस स्थान पर जैन धर्म और भीलों के मध्य पूजा को लेकर विवाद है ।
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शीतला माता मेला 

  • स्थान :- शीलडूंगरी, चाकसू ( जयपुर )
  • आयोजन :- चैत्र कृष्ण अष्टमी 
  • इसे बैलगाड़ियों का मेला भी कहा जाता हैं ।

जौहर मेला 

  • स्थान : - चितौड़गढ़ 
  • आयोजन :- चैत्र कृष्ण एकादशी

घोटिया अम्बा मेला 

  •  स्थान :-  घोटीया ( बांसवाड़ा)
  •  आयोजन :- चैत्र अमावस 
  •  इस मेले को भीलों का कुम्भ भी कहा जाता है ।

विक्रमादित्य मेला 

  • स्थान :- उदयपुर 
  • आयोजन :- चैत्र अमावस 

पाबूजी मेला 

  • स्थान :- कोलुमंड, फलोदी ( जोधपुर) 
  • पाबू जी का जन्मस्थल भी यही है ।
  • आयोजन :- चैत्र अमावस 


सोनाण खेतलाजी मेला

  • स्थान :- सोनाण गांव, देसूरी तहसील ( पाली )
  • आयोजन :- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 

कैलादेवी मेला 

  • स्थान :- कैलादेवी ( करौली )
  • आयोजन :- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल अष्टमी।
  • कैलादेवी के भक्तों को लांगुरिया कहते हैं ।

गणगौर मेला 

  • स्थान :- जयपुर व उदयपुर 
  • आयोजन :- चैत्र शुक्ल तृतीया 

करणी माता मेला 

  • स्थान :- देशनोक, बीकानेर 
  • आयोजन :- चैत्र व आश्विन माह के नवरात्रा।

जीण माता मेला 

  • स्थान :- रेवासा, सीकर 
  • आयोजन :- चैत्र व आश्विन माह के नवरात्रा।

महावीर जी मेला 

  • स्थान :- श्री महावीर जी , करौली 
  • आयोजन :- चैत्र शुक्ल त्रयोदशी 
  • इस मेले का संबंध जैन धर्म से है ।

सालासर बालाजी का मेला

  • स्थान :- सालासर, चूरू 
  • आयोजन :- चैत्र पूर्णिमा 

मेहंदीपुर बालाजी मेला 

  • स्थान :- मेंहदीपुर बालाजी , दौसा 
  • आयोजन :- चैत्र पूर्णिमा 

 वैशाख माह के मेले 


गोरिया गणगौर मेला 

  • स्थान :- गोरिया , बाली ( पाली )
  • आयोजन :- वैशाख शुक्ल सप्तमी 

पीपलाज माता मेला 

  • स्थान :- पीपलाज, दौसा 
  • आयोजन :- वैशाख शुक्ल अष्टमी 

नारायणी माता मेला 

  • स्थान :- सरिस्का, अलवर 
  • आयोजन :- वैशाख शुक्ल एकादशी 
  • नारायणी माता का मंदिर वरवा की डूंगरी पर है , नारायणी माता नाई समाज की आराध्य देवी है ।
  • यहां मीणा और नाई समाज में पूजा को लेकर विवाद है ।

बाणगंगा मेला 

  • आयोजन :- वैशाख पूर्णिमा 
  • स्थान       :- विराटनगर ( कोटपुतली बहरोड़)

मातृ कुंडिया मेला 

  • स्थान :- राश्मि ,चितौड़गढ़ 
  • आयोजन :- वैशाख पूर्णिमा
  • इस स्थान को ( राश्मि ,चितौड़गढ़ ) को राजस्थान मेवाड़ का हरिद्वार कहते हैं।

गौतमेश्वर महादेव मेला 

  • स्थान :- अरनोद, प्रतापगढ़ 
  • आयोजन :- वैशाख पूर्णिमा 

नक्की झील मेला 

  • स्थान :- माउन्ट आबू , सिरोही 
  • आयोजन :- वैशाख पूर्णिमा

गौतमी सागर मेला 

  • स्थान :- झालरापाटन 
  • आयोजन :- वैशाख पूर्णिमा

जयेष्ठ माह के मेले 


सीताबाड़ी का मेला 

  •  स्थान :- केलवाड़ा, बारां 
  •  आयोजन :- जयेष्ठ अमावस 
  •  यह मेला हाड़ोती प्रदेश का सबसे बड़ा मेला है ।
  •  यह मेला सहरिया जनजाति से सम्बन्धित है ।


गंगा दशहरा मेला 

  •   जयेष्ठ शुक्ल सप्तमी से जयेष्ठ शुल्क द्वादशी
  •  कामां ( डींग)

श्रावण माह के मेले 


कल्पवृक्ष मेला 

  •  श्रावण अमावस
  • मांगलियावास , अजमेर 

गुरुद्वारा बुड्ढा जोहड़ मेला 

  •  श्रावण अमावस 
  • रायसिंह नगर , अनूपगढ़ 

छोटी तीज मेला 

  •  श्रावण शुक्ल तृतीया 
  • जयपुर

चारभुजानाथ मेला 

  • श्रावण शुल्क एकादशी 
  • मेड़ता, नागौर 

वीरपुरी मेला 

  • श्रावण माह के अंतिम सोमवार 
  • मंडोर, जोधपुर

भाद्रपद माह के मेले 


कजली तीज मेला 

  • भाद्रपद कृष्ण तृतीय 
  • बूंदी 
  • इस मेले में कंजर जाती की महिलाएं चकरी नृत्य करती हैं ।

जन्माष्टमी मेला 

  • भाद्रपद कृष्ण अष्टमी 
  • नाथद्वारा, राजसमंद 

गोगाजी का मेला 

  • भाद्रपद कृष्ण नवमी 
  • गोगामेड़ी, नौहर ( हनुमानगढ़)

रानी सती मेला 

  • भाद्रपद अमावस 
  • झुंझुनूं 

बाबा रामदेव मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल द्वितीय से भाद्रपद शुक्ल एकादशी तक 
  • रामदेवरा , रूणेचा ( जैसलमेर)
  • इसे मारवाड़ का कुम्भ कहते हैं ।
  • पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा मेला ।
  • रामदेव जी के भक्तों को जातरु कहते हैं ।
  • यह सांप्रदायिक सद्भाव का सबसे बडा मेला हैं।
  • इस मेले का प्रमुख आकर्षण तेरह ताली नृत्य हैं।

गणेश जी मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी 
  • रणथंभौर ( सवाई माधोपुर )

चुंघी तीर्थ मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी 
  • चूंघीतीर्थ ( जैसलमेर )

नाग पंचमी मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल पंचमी 
  • मंडोर,जोधपुर 

तीर्थराज मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल षष्ठी 
  • मचकुंड ( धौलपुर)
  • मचकुंड को तीर्थों का भांजा भी कहते हैं।

सवाई भोज मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल षष्ठी से भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तक।
  • आसींद, भीलवाड़ा 

भर्तृहरि मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल अष्टमी 
  • भर्तृहरि, अलवर
  • इस मेले को मत्स्य का कुम्भ और कनफटे नाथों का कुम्भ भी कहते हैं।

राधाष्टमी मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल अष्टमी 
  • सलेमाबाद, निंबार्क नगर (अजमेर )
  • इसका संबंध निंबार्क संप्रदाय से है।

तेजा जी मेला

  • भाद्रपद शुक्ल दशमी 
  • परबतसर , डीडवाना कुचामन ( नागौर )

खेजड़ली शहीद मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल दशमी 
  • खेजडली जोधपुर 
  • विश्व का एक मात्र वृक्ष मेला है ।

डिग्गी कल्याण जी मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल एकादशी 
  • डिग्गी, मालपुरा ( टोंक)

चारभुजा मेला 

  • भाद्रपद शुक्ल एकादशी 
  • गढ़बौर, राजसमंद 
  • इसे देवझुलनी मेला भी कहते हैं ।

आश्विन माह के मेले 


दशहरा मेला 

  • आश्विन शुक्ल दशमी 
  • कोटा 

मीरा महोत्सव 

  • आश्विन पूर्णिमा
  • चित्तोडगढ़ 

कार्तिक माह के मेले 


अन्नकूट मेला 

  • कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 
  • नाथद्वारा ( राजसमंद)
  • इस मेले का भीलों की लूट दृश्य प्रसिद्ध है ।

गरुड़ मेला 

  • कार्तिक शुक्ल तृतीया 
  • वंशी पहाड़पुर ( भरतपुर )

रामेश्वरम मेला 

  • कार्तिक पूर्णिमा
  • सवाई माधोपुर 
  • त्रिवेणी संगम - चंबल , बनास, सीप 
  • अन्य नाम - मीनाओं का प्रयागराज कहा जाता है ।

कपिलमुनी मेला 

  • कोलायत झील के किनारे , बीकानेर 
  • कार्तिक पूर्णिमा 
  • इस मेले का दीपदान दृश्य प्रसिद्ध है ।
  • इसे जांगल का कुम्भ भी कहा जाता है , इसमें चारण समाज के लोग भाग नहीं लेते हैं ।

पुष्कर मेला 

  • कार्तिक पूर्णिमा 
  • पुष्कर, अजमेर 
  • उपनाम - राजस्थान का कुम्भ 
  • राजस्थान का रंगीला मेला 
  • मेरवाड़ा का कुम्भ
  • ऊंट बिक्री मेला
  • विदेशी सैलानियों का मेला 

साहबा मेला 

  • कार्तिक पूर्णिमा ( गुरु नानक देव जयंती )
  • साहबा , चूरू 
  • सिक्खों का सबसे बड़ा मेला ।

कपिल धारा मेला 

  • कार्तिक पूर्णिमा
  • बारां 

नीला पानी मेला 

  • कार्तिक शुल्क चतुर्दशी से पूर्णिमा तक 
  • हाथौड़, डुंगरपुर 
  • यह आदिवासियों का मेला नाम से भी जाना जाता है।

चंद्रभागा मेला 

  • कार्तिक पूर्णिमा 
  • झालरापाटन ( झालावाड़)
  • इसे हाड़ोती के सुरंगा मेला भी कहते हैं।

पौष माह के मेले 



नाकोड़ा जी का मेला 

  • पौष कृष्ण दशमी 
  • मेवानगर, बाड़मेर 
  • यह मेला जैन धर्म से संबंधित है ।

सुइयों मेला 

  • पौष अमावस 
  • चौहटन, बाड़मेर 
  • यह मेला 4 वर्ष में एक बार भरता है।
  • इस मेले को अर्द्धकुंभ कहा जाता है।

माघ माह के मेले 


चौथ माता मेला 

  • माघ कृष्ण चतुर्थी 
  • चौथ का बरवाड़ा ( सवाई माधोपुर)
  • इस मेले में कंजर जाती सर्वाधिक भाग लेती है।

ब्राह्मणी माता मेला 

  • माघ शुल्क सप्तमी 
  • सौरसेन, बारां
  • इसे गधों का मेला भी कहा जाता है 
  • यह हाड़ोती का सबसे बड़ा मेला है ।
  • ब्राह्मणी माता की पीठ की पूजा, दर्शन , श्रृंगार होता है ।

नोट:- गधों की माता - खलकानी माता ( लुनियावास , जयपुर )
लुनियावास, जयपुर में राजस्थान का सबसे बड़ा गधों का मेला लगता है।

बेणेश्वर मेला 

  • माघ पूर्णिमा 
  • सबला, डूंगरपुर 
  • माही , सोम , जाखम तीन नदियों के संगम पर इस मेले का आयोजन होता है।
  • उपनाम :- दक्षिणी राजस्थान का कुम्भ , आदिवासियों का कुम्भ , बांगड़ का कुम्भ ।
  • आदिवासियों के सर्वाधिक संबंध इसी मेले में तय होते हैं।

फाल्गुन माह के मेले 


शिवरात्रि मेला

  • फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी 
  • सिवाड ( सवाई माधोपुर )

एकलिंग जी मेला 

  • फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी
  • कैलाशपुरी , याद्यपूर्त

हरनी महादेव मेला 

  • फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी
  • भीलवाड़ा 

चनणी चेरी मेला 

  • फाल्गुन शुल्क सप्तमी 
  • देशणोक , बीकानेर

खाटूश्याम मेला

  • फाल्गुन शुल्क एकादशी से फाल्गुन शुल्क द्वादशी 
  • खाटू, सीकर ।



आज के इस ब्लॉग्स के माध्यम में हमने राजस्थान के सभी प्रमुख मेले को महत्वपूर्ण जानकारी के साथ पूर्ण करवाया है , आपको अगर हमारे प्रयास अच्छे लग रहे हैं तो आप ज्यादा से ज्यादा इस ब्लॉग्स को आपके साथी विद्यार्थी के साथ शेयर करें और अपने सुझाव कॉमेंट्स  के माध्यम से हमें बता सकते हैं।







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