मेवाड़ राजवंश : राणा संग्राम सिंह, रतन सिंह , विक्रमादित्य का इतिहास

 मेवाड़ राजवंश : राणा संग्राम सिंह, रतन सिंह , विक्रमादित्य का इतिहास 



राणा सांगा/  संग्राम सिंह (1509- 1528ई ०)


  • माता - श्रृंगार कंवर
  • पिता - रायमल 
  • राणा सांगा अपने भाई पृथ्वीराज सिसोदिया ( उड़ना राजकुमार) व जयमल सिसोदिया के डर से भागकर सेवंत्री रूपनारायण मंदिर चले गए ।
  • इनकी सहायता जैतमालोत ने अपना घोड़ा देकर की , जैतमालोत की हत्या जयमल और पृथ्वीराज ने कर दी 
  • राणा सांगा यहां से श्रीनगर अजमेर चले गए , श्रीनगर में कर्मचंद पंवार ने इनको शरण दी ।
  • अपने दोनों भाइयों के मृत्यु के बाद राणा सांगा वापिस मेवाड़ आ गए और 1509 ईस्वी में मेवाड़ के शासक बने ।


राणा सांगा के सैन्य अभियान


राणा सांगा और दिल्ली 

खातोली का युद्ध ,1517 ईस्वी

  • खातोली ( कोटा ) का युद्ध दिल्ली बादशाह इब्राहिम लोदी और राणा सांगा के मध्य हुआ ।
  • इस युद्ध में राणा सांगा की विजय हुई ।


बाड़ी ( धौलपुर ) का युद्ध, 1518 ईस्वी

  • एक बार पुनः दिल्ली के बादशाह इब्राहिम लोदी और राणा सांगा के मध्य युद्ध  हुआ ।
  • इस युद्ध में भी विजय राणा सांगा की हुई ।


राणा सांगा और मालवा 


  • मेवाड़ के राणा सांगा और मालवा के महमूद खिलजी द्वितीय के मध्य युद्ध का कारण चंदेरी के शासक मेदिनिराय था ।
  • मेदिनिराय ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया ,इसमें राणा सांगा ने उसकी मदद की ।

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गागरोन का युद्ध 1519 

  • गागरोन ( झालावाड़) का युद्ध राणा सांगा और मालवा शासक महमूद खिलजी द्वितीय के मध्य हुआ 
  • इस युद्ध में राणा सांगा की जीत हुई ।


राणा सांगा और गुजरात 

  • राणा सांगा और गुजरात के शासक मुज्जफर शाह द्वितीय के मध्य ईडर राज्य के उत्तराधिकार को लेकर संघर्ष हुआ ।


ईडर का युद्ध 1520 ईस्वी 

  • राणा सांगा ने रायमल को राजा बनाने के लिए और मुज्जफर शाह ने भारमल को राजा बनाने के लिए युद्ध हुआ ।

  • इस युद्ध में राणा सांगा की जीत हुई , और रायमल के ईडर का राजा बनाया।


राणा सांगा और मुगल संघर्ष 


बयाना का युद्ध - 16  फरबरी 1527


राणा सांगा और बाबर 

  • इस युद्ध में बाबर ने स्वयं ने भाग नहीं लिया ।
  • बाबर ने अपने दो सेनापति मेंहदी ख्वाजा और सुल्तान मिर्जा को भेजा ।
  • इस युद्ध में राणा सांगा की जीत हुई।


खानवा का युद्ध 17 मार्च 1527 


बयाना के युद्ध में हार मिलने के बाद बाबर ने अपनी सेना को संगठित और मनोबल बढ़ाने के लिए निम्न घोषणाय की ।

  • जिहाद 
  • इस्लाम को लड़ाई 
  • शराबबंदी 
  • तमगा कर हटाया 

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राणा सांगा ने खानवा के युद्ध में सहयाता के लिए राजपुताने के सभी राजाओं को पाती परबन ( पीली चिट्ठी)भेजा 

राणा सांगा की तरफ से भाग लेने वाले राजा और सामंत 

  • आमेर - पृथ्वीराज कच्छवाहा 
  • मारवाड़ - मालदेव ( इस समय राव गांगा मारवाड़ के शासक थे )
  • बीकानेर - कल्याणमल ( राजा - जेतसी)
  • मेड़ता - विरमदेव 
  • बाजोली - रतनसिंह ( मीरा बाई के पिता )
  • सादड़ी - झाला अज्जा 
  • सिरोही - अखैराज देवड़ा 
  • बागड़ा - ऊदयसिंह 
  • जगनेर - अशोक परमार 
  • देवलिया - बाघसिंह 
  • ईडर - भारमल
  • चंदेरी - मेदीनिराय 
  • मेवात - हसन खां मेवाती 
  • महमूद लोदी - इब्राहिम लोदी का भाई 
  • नागौर - खानजादे मुसलमान और रायसीन के शलहदी तंवर ( इन दोनों ने राणा सांगा के साथ धोखा किया ).


  • खानवा के युद्ध में राणा सांगा की हार हुई ।
  • इस युद्ध में जीत के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की ।

खानवा के युद्ध में राणा सांगा की हार के कारण 

  • राजपूत शासकों द्वारा भारी हथियारों का प्रयोग 
  • राजपूतों द्वारा हाथियों का उपयोग 
  • राजपूतों में एकता की कमी 
  • बयाना के युद्ध के बाद समय अंतराल 
  • बाबर का तोपखाना 
  • बाबर की तुलुगामा युद्ध पद्धति।


राणा सांगा की उपाधियां 

  • हिंदूपत 
  • सैनिकों का भग्नावेश 


  • राणा सांगा को उनके साथियों द्वारा इरीच उत्तरप्रेद्श में जहर दे दिया ।
  • राणा सांगा का इलाज बसवा दौसा में हुआ ।
  • राणा सांगा की मृत्यु कालपी मध्य प्रदेश में हुई ।
  • राणा सांगा की छतरी मांडलगढ़ भीलवाडा में बनी हुई है ।



राणा रतनसिंह ( 1528 - 1531 ईस्वी )

  • राणा सांगा की मृत्यु के बाद रतनसिंह मेवाड़ के शासक बने ।
  • इन्होंने केवल ३ वर्षों तक शासन किया ।


राणा विक्रमादित्य ( 1531- 1536 ईस्वी )

  • पिता :- राणा सांगा 
  • माता :- हाड़ी रानी कर्मावती 

रानी कर्मावती विक्रमादित्य की संरक्षिका थी ।


1533, बहादुर शाह ( गुजरात ) का आक्रमण 

  • 1533 में मेवाड़ पर गुजरात शासक बहादुर शाह ने आक्रमण किया ।
  • रानी कर्मावती ने बहादुर शाह के साथ समझौता करके रणथंभौर दुर्ग बहादुर शाह को दे दिया ।


चित्तौड़गढ़ का दूसरा साका 


  • 1534- 35 में बहादुर शाह ने पुनः मेवाड़ पर आक्रमण किया , रानी कर्मावती ने सहायता के लिए मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी।
  • हुमायु द्वारा मेवाड़ की कोई मदद नहीं की गई।

  • बहादुर शाह के  आक्रमण के कारण चित्तौरगढ़ दुर्ग का दूसरा साका ( 1535) में हुआ ।

  • इसमें देवलिया के सामंत बाघसिंह के नेतृत्व में केसरिया और रानी कर्मावती ने जौहर किया ।


दासी पुत्र बनवीर 

विक्रमादित्य के छोटे होने के बनवीर ( उड़ना राजकुमार पृथ्वीराज सिसोदिया का दासी पुत्र) को मेवाड़ का प्रशासक नियुक्त किया ।


1536 विक्रमादित्य की हत्या 

  • बनवीर ने राज्य के लालच में विक्रमादित्य की हत्या कर दी ।
  • बनवीर उदयसिंह को भी मारना चाहता था परंतु पन्नाधाय ने अपने पुत्र चंदन की बलि देकर उदयसिंह की रक्षा की ।


बनवीर द्वारा चित्तौरगढ़ दुर्ग में निर्माण कार्य 

  • चित्तौरगढ़ दुर्ग में तुलजा भवानी का मन्दिर बनवाया ।
  • नौलखा भंडार का निर्माण करवाया ।


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