आमेर का कच्छवाहा वंश :- ईश्वरी सिंह से सवाई मानसिंह द्वितीय तक का इतिहास

आमेर का कच्छवाहा वंश :- ईश्वरी सिंह से सवाई मानसिंह द्वितीय तक का इतिहास ll Kachchwaha dynasty of Amer:- History from Ishwari Singh to Sawai Mansingh II




दोस्तों हम आमेर के कच्छवाहा वंश के शासकों के बारे में पढ़ रहे थे , जिसमें हमने सवाई जयसिंह तक के इतिहास के सभी महत्वपूर्ण एक्जाम संबंधी प्रश्नों को हल कर लिया था , आज के ब्लॉग में सवाई मानसिंह के बाद ईश्वरी सिंह से लेकर सवाई मानसिंह द्वितीय तक की जानकारियां पढ़ेंगे।

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सवाई ईश्वरी सिंह ( 1700 - 1743 ईस्वी )

उत्तराधिकार संघर्ष 

  • सवाई जयसिंह के बड़े बेटे ईश्वरी सिंह और माधोसिंह के मध्य उत्तराधिकार संघर्ष हुआ ।
  • ईश्वरी सिंह का साथ भरतपुर जाट शासक सूरजमल जाट ने दिया तथा माधोसिंह का साथ दलेल सिंह ( कोटा ) , जगतसिंह द्वितीय ( मेवाड़) , उम्मेद सिंह ( बूंदी) व मराठों ने साथ दिया ।


राजमहल ( टोंक) का युद्ध - 1747 ईस्वी 

  • इस युद्ध में ईश्वरी सिंह की जीत हुई ।
  • इस युद्ध की जीत की याद में सवाई ईश्वरी सिंह ने ईशरलाट ( सरगासूली) इमारत बनवाई।


बगरू ( जयपुर) का युद्ध - 1748 ईस्वी 

  • इस युद्ध में माधोसिंह की जीत हुई ।
  • इस युद्ध में जीत के बाद  माधोसिंह व ईश्वरी सिंह के मध्य समझौता हुआ ।
  • माधोसिंह को सामंत बनाया गया ( इनको पांच परगने दिए गए)
  • बूंदी का राजा उम्मेदसिंह को माना जाए ।


  • मराठों के युद्ध हर्जाने से परेशान होकर ईश्वरी सिंह ने ईसरलाट से कूद कर आत्महत्या कर ली ।

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सवाई माधोसिंह ( 1750 - 1768 ईस्वी )

मराठों का कत्लेआम 

  • 10 जनवरी 1751 ईस्वी को माधोसिंह ने मराठों का जयपुर में कत्लेआम करवाया ।


काकोड़ ( टोंक) का युद्ध - 1759 ईस्वी 

  • माधोसिंह और मराठों के मध्य लड़ा गया।
  • इस युद्ध में माधोसिंह विजय हुए।

भटवाड़ा ( बारां) का युद्ध - 1761ईस्वी

  • माधोसिंह और कोटा के राजा शत्रुसाल के सेनापति शालिम सिंह झाला के मध्य लड़ा गया ।
  • इस युद्ध में माधोसिंह की हार हुई।

निर्माण कार्य 

  • शीलडूंगरी - चाकसू में शीतला माता का मन्दिर बनवाया ।
  • मोतीडूंगरी महल ( जयपुर ) बनवाया।
  • 1763 ईस्वी में सवाई माधोपुर की स्थापना की ।


सवाई प्रताप सिंह (1778 - 1803 ईस्वी )

तूंगा ( जयपुर ) का युद्ध - 1787 ईस्वी 

  • सवाई प्रताप सिंह के साथ मारवाड़ शासक विजयसिंह और मराठा सेनापति महाद जी सिंधिया के मध्य हुआ ।
  • इस युद्ध में सवाई प्रताप सिंह की जीत हुई ।


पाटन ( जयपुर ) का युद्ध - 1784 ईस्वी 

  • मारवाड़ शासक विजयसिंह व सवाई प्रताप सिंह और मराठा सेनापति डी ० बोई के मध्य हुआ ।
  • इस युद्ध में मराठों की विजय हुई।


मालपुरा ( टोंक ) का युद्ध - 1800ईस्वी

  • मारवाड़ शासक भीमसिंह व सवाई प्रताप सिंह और मराठा सेनापति दौलतराव सिंधिया के मध्य हुआ।
  • इस युद्ध में मराठों की जीत हुई ।


सवाई प्रताप सिंह की स्थापत्य कला 

  • जयपुर में 1799 ईस्वी में हवालमहल का निर्माण करवाया ।
  • सवाई प्रताप सिंह का काल जयपुर चित्रकला का स्वर्ण काल कहा जाता है ।
  • लोकनाट्य तमाशा के कलाकारों को सर्वप्रथम राजस्थान जयपुर में लाए।
  • सवाई प्रताप सिंह के दरबार में 22 विद्वान थे , जिन्हें प्रताप बाईसी या गंधर्व बाईसी कहा जाता है ।
  • इन गंधर्व बाईसी विद्वानों का निवास स्थान गुणी जन खाना कहलाता था ।
  • जयपुर में संगीत सम्मेलन का आयोजन किया ।
  • इसके अध्यक्ष बृजपाल भट्ट थे ।
  • इस पर एक पुस्तक लिखी गई जिसका नाम राधा गोविंद संगीत सार था ।
  • सवाई प्रताप सिंह के काव्य गुरु - गणपति भारती 
  • संगीत गुरू - चांद खां 
  • सवाई प्रतापसिंह बृजनिधि के नाम से कविताएं लिखते थे । 


सवाई जगत सिंह द्वितीय ( 1803 - 1818 ईस्वी )

  • 1818 ईस्वी में अंग्रेजों के साथ संधि कर ली ।


गिंगौली का युद्ध ( नागौर - पर्वतसर) 1807 ईस्वी 

  • मेवाड़ की कृष्णा कुमारी का विवाद हुआ ।
  • यह युद्ध मारवाड़ के राव मानसिंह और आमेर के जगातसिंह द्वितीय के मध्य हुआ ।
  • इस युद्ध में जगतसिंह द्वितीय की जीत हुई ।


रसकपूर 

  • जगतसिंह द्वितीय के शासनकाल में इनकी प्रेमिका रसकपूर का हस्तछेप रहा ।


जयसिंह तृतीय ( 1818 - 1835 ईस्वी )

रूपा भंडारण प्रकरण 

  • जयपुर के शासक जयसिंह तृतीय की हत्या का आरोप इनकी दासी रूपा भंडारण पर लगा ।
  • इसकी जांच के लिए दो अंग्रेज आधिकारी ओल्विच और ब्लैक आए ।
  • जयपुर की आक्रोशित जनता ने ब्लैक की हत्या कर दी ।


सवाई रामसिंह द्वितीय ( 1835 - 1880 ईस्वी )

  • इनके संगरक्षक " जॉन लुडलो" बने ।
  • बहुत कम उम्र में जयपुर के राजा बने ।
  • प्रिंस अल्बर्ट के आगमन पर अल्बर्ट हॉल बनवाया। इसके वास्तुकार स्टीफन जैकब थे ।
  • अल्बर्ट हॉल का उद्घाटन माधोसिंह द्वितीय के शासनकाल में एडवर्ड ब्रेडफोर्ड ने किया ।
  • जयपुर की प्रसिद्ध ब्लू पॉटरी का विकास इन्ही के शासनकाल में हुआ ।
  • जयपुर शहर को गुलाबी रंग से रंगवाया।


शिक्षा के क्षेत्र में योगदान 

मदरसा ए हुनरी 1857 

  • इसमें हाथ के हुनर का ज्ञान दिया जाता था ।
  • वर्तमान में इसे राजस्थान स्कूल ऑफ़ आर्ट एंड क्राफ्ट कहा जाता है ।


कन्या महाविद्यालय

  • जयपुर में कन्या महाविद्यालय का निर्माण करवाया ।


  • जयपुर में महाराजा कॉलेज और संस्कृत विश्वविधालय का निर्माण करवाया ।


  • रामप्रकाश थियेटर बनवाया ।
  • रामनिवास बाग बनवाया।


माधोसिंह द्वितीय ( 1880 - 1922 ईस्वी )

  • जयपुर में मुबारक महल का निर्माण करवाया ।
  • नाहरगढ़ में अपनी 9 दासियों के नौ महल बनवाये ।
  • इनको बब्बर शेर कहते थे ।
  • राजस्थान में सर्वप्रथम डांक सेवा प्रारंभ की ।


सवाई मानसिंह द्वितीय 

  • आजादी के समय जयपुर के शासक।
  • राजस्थान के एक मात्र राज प्रमुख 
  • इनकी तीसरी पत्नी गायत्री देवी ने अपनी आत्मकथा एक पुस्तक में लिखी " ए प्रिंसेस रिमेंबर्स ऑफ महारानी जयपुर " ।
  • इनकी पत्नी गायत्री देवी राजस्थान की प्रथम महिला सांसद भी थी।


आज के इस ब्लॉग से हमने राजस्थान इतिहास के सभी प्रमुख राजवंशियों के इतिहास से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण जानकारियां जो एक्जाम की दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण हैं जो एक तरह से सारांश है । आपको यह ब्लॉग सीरीज कैसी लगी अपने जवाब हमें कॉमेंट्स के माध्यम से दें। 







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