राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएं - कालीबंगा, बागोर, गणेश्वर सभ्यताओं का ज्ञान

राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएं - कालीबंगा, बागोर, गणेश्वर सभ्यताओं का ज्ञान  ||Major Civilizations of Rajasthan - Knowledge of Kalibanga, Bagor, Ganeshwar Civilizations




कालीबंगा सभ्यता 

कालीबंगा राजस्थान की एक प्रमुख पुरातात्त्विक साइट है, जो हड़प्पा सभ्यता से पूर्व की सभ्यता का प्रतिनिधित्व करती है। इस ब्लॉग में हम कालीबंगा की विशेषताओं, उत्खनन, और इससे प्राप्त प्रमुख अवशेषों पर चर्चा करेंगे।


कालीबंगा का संक्षिप्त विवरण


- स्थान:- हनुमानगढ़ जिला, राजस्थान

- काल:- 2350 ई. पू. से 1750 ई. पू.

- प्रमुख खोजकर्ता:- अमलानंद धोब (1952)

- उत्खनन:- 1961-1969 (बी. बी. लाल, सी. के. भापर, जे. बी. जोशी, एम. डी. खरे, के. एम. श्रीवास्तव, एस. जी. जैन)


उत्खनन और खोज


कालीबंगा में दो टीलों का उत्खनन किया गया था जो समतल भूमि से 12 मीटर ऊँचाई पर स्थित थे। यहाँ पर काले रंग की चूड़ियों के कारण इसका नाम कालीबंगा पड़ा। उत्खनन से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर इसे दो भागों में विभाजित किया गया है:


1. प्राक-हड़प्पा सभ्यता (पूर्व-हड़प्पा कालीन चरण)

2. हड़प्पा सभ्यता


प्राक-हड़प्पा सभ्यता के विशेषताएँ


- नगर निर्माण:- समचतुर्भुजाकार नगर, जिनमें सुरक्षा प्राचीर द्वारा घिरे हुए आवास थे।

- सड़कें:- पक्की सड़कें जिनकी चौड़ाई 5-5.5 मीटर थी। 


हड़प्पा सभ्यता के विशेषताएँ


- आवास:- कच्ची ईंटों से निर्मित मकान, जिनमें दालान, बड़े और छोटे कमरे तथा चबूतरे शामिल थे। मकानों की छत मिट्टी से निर्मित थी और लकड़ी की बल्लियों से बनाई जाती थी।

- जल निकासी:- पक्की ईंटों का प्रयोग जल निकासी और शौचालयों में किया गया।

- मृदाश्म और मिट्टी के बर्तन:- यहाँ से प्राप्त बर्तनों पर लाल घरातल पर काले और सफेद रंग की रेखाएँ खींची गई हैं। 


 कृषि और जलवायु

- खेत:- जुते हुए खेतों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहाँ के खेत तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के हैं और ये सबसे प्राचीन ज्ञात खेत हैं।

- फसलों की विविधता:- चना और सरसों की एक साथ खेती की जाती थी।


कला और मूर्तिकला

- मूर्तिकला:- मिट्टी से बनी प्रतिमाएँ जैसे कुत्ता, भेड़िया, चूहा, बगुला, और मानव प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं।

- मुहरें:- बेलनाकार और मेशोपोटामिया की मुहरें यहाँ से प्राप्त हुई हैं।


अंत्येष्टि क्रिया और चिकित्सा

-अंत्येष्टि विधियाँ:- पूर्ण समाधीकरण, आंगिक समाधीकरण, और दाह-संस्कार। 

- चिकित्सा:- एक बच्चे की खोपड़ी में 8 छिद्र मिले हैं, जो मस्तिष्क शोध बीमारियों के इलाज का प्रमाण हो सकते हैं।


कालीबंगा का महत्व

कालीबंगा को "सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी" के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ से प्राप्त अवशेष, जैसे कि मृदाश्म, मुहरें, और अन्य वस्तुएँ, हड़प्पा काल की विशिष्टताओं को दर्शाती हैं।




परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण बिंदु

      

विवरणजानकारी
स्थलहनुमानगढ़ जिला, राजस्थान
काल2350 ई. पू. से 1750 ई. पू.
खोजकर्ताअमलानंद धोब (1952)
उत्खनन समय1961-1969
मुख्य विशेषताएँप्राक-हड़प्पा और हड़प्पा काल की विशेषताएँ
आवास की विशेषताएँकच्ची ईंट, पक्की सड़कें, दालान और चबूतरे
जल निकासी प्रणालीपक्की ईंटों का प्रयोग
मृदाश्म और मिट्टी के बर्तनलाल बर्तन पर काले और सफेद रंग की रेखाएँ
खेत और कृषिजुते हुए खेत, चना और सरसों की खेती
कला और मूर्तिकलामिट्टी की मूर्तियाँ, बेलनाकार मुहरें
अंत्येष्टि विधियाँसमाधीकरण, आंगिक समाधीकरण, दाह-संस्कार
चिकित्सा अवशेषमस्तिष्क शोध बीमारियों के संकेत

बागोर सभ्यता 

 राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की मांडल तहसील में स्थित एक महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थल है। यह स्थल मध्य पाषाणकालीन सभ्यता का एक प्रमुख उदाहरण प्रस्तुत करता है। यहाँ की सभ्यता के अवशेष 4000-5000 ईसा पूर्व के माने जाते हैं। इस ब्लॉग में हम बागोर की विशेषताओं, उत्खनन, और यहाँ से प्राप्त अवशेषों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

बागोर का संक्षिप्त विवरण


स्थान: मांडल तहसील, भीलवाड़ा जिला, राजस्थान
काल: 4000-5000 ईसा पूर्व
उत्खनन: 1967-1968 (डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. एल. एस. लेखिका, डेक्कन कॉलेज पुणे, और राजस्थान पुरातत्व विभाग)

उत्खनन और खोज

बागोर में 1967-1968 के दौरान उत्खनन कार्य किया गया, जिसमें प्रागैतिहासिक रल की सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए। यहाँ से प्राप्त अवशेषों को 'आगिम संस्कृति का संग्रहालय' माना जाता है।

उत्खनन के दौरान प्राप्त प्रमुख अवशेष:


स्तर:- यहाँ तीन स्तरों के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
कृषि: - 14 प्रकार की कृषि के अवशेष मिले हैं।
धातु उपकरण: - पाँच तांबे के उपकरण मिले हैं, जिनमें एक 10.5 सेमी. की सूई विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
पशुपालन: - कृषि और पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
पाषाण उपकरण: - बड़ी संख्या में लघुपाषाण उपकरण प्राप्त हुए हैं, जैसे ब्लेड, छिद्रक, स्कैंपर, आदि।

बागोर की विशेषताएँ

कृषि और पशुपालन:- 
बागोर में प्राप्त कृषि अवशेष विभिन्न प्रकार की फसलों के उगाए जाने का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
यहाँ से पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं, जो उस समय के आर्थिक और सामाजिक जीवन को दर्शाते हैं।

पाषाण उपकरण:- 
लघुपाषाण उपकरण जैसे ब्लेड, छिद्रक, और स्कैंपर यहाँ प्रमुखता से पाए गए हैं।
ये उपकरण बतलाते हैं कि यहाँ के निवासियों ने विभिन्न शिकार और कृषि कार्यों के लिए इनका उपयोग किया होगा।

धातु उपकरण:
तांबे के उपकरण जैसे सूई इस बात का प्रमाण देते हैं कि उस समय धातु विज्ञान का एक अच्छा ज्ञान था।
विशेष रूप से 10.5 सेमी. की सूई का खोज इस सभ्यता की तकनीकी क्षमताओं को दर्शाता है।

बागोर का महत्व

बागोर मध्य पाषाणकालीन सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है जो प्राचीन कृषि और पशुपालन की प्रथाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। यहाँ से प्राप्त लघुपाषाण उपकरण और धातु के उपकरण सभ्यता की तकनीकी और सांस्कृतिक प्रगति को दर्शाते हैं।


परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण बिंदु
विवरणजानकारी
स्थानमांडल तहसील, भीलवाड़ा जिला, राजस्थान
काल4000-5000 ईसा पूर्व
उत्खननकर्ताडॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. एल. एस. लेखिका, डेक्कन कॉलेज पुणे, राजस्थान पुरातत्व विभाग
प्रमुख अवशेषतीन स्तरों के अवशेष, 14 प्रकार की कृषि के अवशेष, पाँच तांबे के उपकरण, लघुपाषाण उपकरण
धातु उपकरण10.5 सेमी. की सूई
कृषि और पशुपालनप्राचीनतम साक्ष्य
पाषाण उपकरणब्लेड, छिद्रक, स्कैंपर
सभ्यता की विशेषता'आगिम संस्कृति का संग्रहालय'


गणेश्वर सभ्यता 

राजस्थान के सीकर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण प्राचीन स्थल है, जो ताम्रयुगीन सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है। गणेश्वर की सभ्यता का काल 2800 ईसा पूर्व माना जाता है और यह प्राचीन ताम्रयुगीन सभ्यताओं में से एक है। इस ब्लॉग में हम गणेश्वर की विशेषताओं, उत्खनन, और यहाँ से प्राप्त प्रमुख अवशेषों पर चर्चा करेंगे।

गणेश्वर का संक्षिप्त विवरण


स्थान: सीकर जिला, राजस्थान
काल: 2800 ईसा पूर्व (डी. पी. अग्रवाल के अनुसार)

उत्खनन:- 
1977 (रतनचंद्र अग्रवाल)
1979-1980 (विजय कुमार)

उत्खनन और खोज:- 

गणेश्वर में उत्खनन कार्य रतनचंद्र अग्रवाल और विजय कुमार द्वारा किया गया। इस उत्खनन से बहुत से महत्वपूर्ण ताम्र युगीन अवशेष प्राप्त हुए, जो गणेश्वर को ताम्रयुगीन सभ्यताओं के प्राचीनतम स्थलों में से एक बनाते हैं।

उत्खनन के दौरान प्राप्त प्रमुख अवशेष:


ताम्र उपकरण और आभूषण:
लगभग 2000 ताम्र आयुध और उपकरण प्राप्त हुए, जिनमें तीर, भाले, सूइयां, चूड़ियाँ और अन्य ताम्र आभूषण शामिल हैं।
गणेश्वर से प्राप्त ताम्र के उपकरणों में 99 प्रतिशत ताम्र की मात्रा पाई गई, जो यहाँ ताम्र के प्रचुर मात्रा में होने का प्रमाण है।

मृदाश्म और मिट्टी के बर्तन:
काले और नीले रंग से अलंकृत मिट्टी के बर्तन, प्याले, तश्तरियाँ, और कुंडियाँ प्राप्त हुई हैं।
मृदाश्म बर्तन के अतिरिक्त, गणेश्वर में मिट्टी के घड्ढेदार बर्तन भी मिले हैं।

बस्ती निर्माण:
मकानों के लिए पत्थर का उपयोग किया गया।
बस्ती को बाढ़ से बचाने के लिए पत्थर के बांध भी बनाए गए थे।

लघुपाषाण उपकरण:
ताम्र आयुधों के साथ लघुपाषाण उपकरण भी प्राप्त हुए, जैसे कि ब्लेड और छिद्रक।

गणेश्वर की विशेषताएँ

ताम्रयुगीन सभ्यता:- 
गणेश्वर को "भारत में ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी" कहा जाता है। यहाँ से प्राप्त ताम्र उपकरण और आभूषण, ताम्रयुगीन तकनीक की उन्नति को दर्शाते हैं।

ताम्र की प्रचुरता:- 
गणेश्वर से प्राप्त ताम्र के उपकरण और पात्रों में ताम्र की प्रचुर मात्रा, इस स्थल की ताम्र उद्योग के महत्व को प्रमाणित करती है।

मृदाश्म कला:
यहाँ प्राप्त मृदाश्म बर्तन की कला, ताम्रयुगीन काल के कलात्मक विकास को दर्शाती है।
सामाजिक और तकनीकी विकास:

पत्थर के मकानों और बाढ़ संरक्षण के उपाय, इस सभ्यता के सामाजिक और तकनीकी विकास को दर्शाते हैं।



विवरणजानकारी
स्थानसीकर जिला, राजस्थान
काल2800 ईसा पूर्व
उत्खननकर्तारतनचंद्र अग्रवाल (1977), विजय कुमार (1979-1980)
प्रमुख अवशेषताम्र उपकरण, आभूषण, मृदाश्म बर्तन, लघुपाषाण उपकरण
ताम्र उपकरणतीर, भाले, सूइयां, चूड़ियाँ
मृदाश्म बर्तनप्याले, तश्तरियाँ, कुंडियाँ, घड्ढेदार बर्तन
बस्ती निर्माणपत्थर का उपयोग, बाढ़ संरक्षण के पत्थर के बांध
लघुपाषाण उपकरणब्लेड, छिद्रक
विशेषताएँभारत में ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी, ताम्र की प्रचुरता

कालीबंगा, बागोर और गणेश्वर सभ्यता: FAQs


1. कालीबंगा क्या है और इसकी महत्वता क्या है?
   - कालीबंगा एक प्रमुख पुरातात्त्विक स्थल है, जो हनुमानगढ़ जिले, राजस्थान में स्थित है। यह स्थल हड़प्पा सभ्यता से पूर्व की सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है और इसे प्राचीन ताम्रयुगीन सभ्यताओं में महत्वपूर्ण माना जाता है। कालीबंगा का महत्व इसके प्राक-हड़प्पा और हड़प्पा कालीन अवशेषों की खोज में है, जो नगर निर्माण, कृषि, कला, और अंत्येष्टि विधियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

2. कालीबंगा के उत्खनन के प्रमुख तथ्य क्या हैं?
   - उत्खनन काल:- 1961-1969
   - प्रमुख खोजकर्ता:- अमलानंद धोब, बी. बी. लाल, सी. के. भापर, जे. बी. जोशी, एम. डी. खरे, के. एम. श्रीवास्तव, एस. जी. जैन
   - विशेषताएँ:- प्राक-हड़प्पा और हड़प्पा सभ्यता के अवशेष, जैसे कि कच्ची ईंटों के मकान, पक्की सड़कें, जुते हुए खेत, और मिट्टी की मूर्तियाँ।

3. बागोर की सभ्यता का महत्व क्या है?
   - बागोर मध्य पाषाणकालीन सभ्यता का एक प्रमुख उदाहरण है, जो भीलवाड़ा जिले की मांडल तहसील में स्थित है। यहाँ से प्राप्त अवशेष, जैसे कि कृषि उपकरण, धातु के उपकरण, और लघुपाषाण उपकरण, प्राचीन कृषि और पशुपालन की प्रथाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। बागोर का महत्व इसके प्राचीनतम कृषि और तकनीकी क्षमताओं के प्रमाण के कारण है।

4. बागोर के उत्खनन के प्रमुख तथ्य क्या हैं?
   - उत्खनन काल:- 1967-1968
   - प्रमुख खोजकर्ता:- डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. एल. एस. लेखिका, डेक्कन कॉलेज पुणे, राजस्थान पुरातत्व विभाग
   - विशेषताएँ:- तीन स्तरों के अवशेष, 14 प्रकार की कृषि के अवशेष, पाँच तांबे के उपकरण, और लघुपाषाण उपकरण।

5. गणेश्वर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
   - गणेश्वर- राजस्थान के सीकर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण ताम्रयुगीन स्थल है। यह स्थल 2800 ईसा पूर्व का माना जाता है और ताम्रयुगीन सभ्यताओं में से एक प्राचीनतम स्थल है। गणेश्वर का ऐतिहासिक महत्व इसके ताम्र उपकरण और आभूषण के प्रचुर मात्रा में प्राप्त होने के कारण है, जो ताम्रयुगीन तकनीक की उन्नति को दर्शाते हैं।

6. गणेश्वर के उत्खनन के प्रमुख तथ्य क्या हैं?
   - उत्खनन काल:- 1977 (रतनचंद्र अग्रवाल), 1979-1980 (विजय कुमार)
   - विशेषताएँ:- ताम्र उपकरण और आभूषण, जैसे कि तीर, भाले, सूइयां, चूड़ियाँ; काले और नीले रंग से अलंकृत मिट्टी के बर्तन; और पत्थर के मकानों और बाढ़ संरक्षण के उपाय।

7. कालीबंगा, बागोर, और गणेश्वर की सभ्यताओं में क्या समानताएँ और भिन्नताएँ हैं?
   - समानताएँ:- तीनों स्थल प्राचीन भारतीय सभ्यताओं के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं और प्राचीन कृषि, शिल्प, और कला के अवशेष प्रदान करते हैं।
   - भिन्नताएँ:- कालीबंगा में प्राक-हड़प्पा और हड़प्पा काल के अवशेष हैं, बागोर मध्य पाषाणकालीन सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि गणेश्वर ताम्रयुगीन सभ्यता का प्रमुख उदाहरण है। प्रत्येक स्थल की अपनी विशेषताएँ, जैसे कि नगर निर्माण, कृषि प्रथाएँ, और शिल्प कला, इसे अद्वितीय बनाती हैं।

8. इन स्थलों से प्राप्त प्रमुख अवशेष क्या हैं?
   - कालीबंगा:- कच्ची ईंटों के मकान, पक्की सड़कें, जुते हुए खेत, चना और सरसों की खेती, मिट्टी की मूर्तियाँ, बेलनाकार मुहरें।
   - बागोर:- तीन स्तरों के अवशेष, 14 प्रकार की कृषि के अवशेष, तांबे के उपकरण, लघुपाषाण उपकरण।
   - गणेश्वर:- ताम्र उपकरण और आभूषण, मृदाश्म बर्तन, पत्थर के मकान, लघुपाषाण उपकरण।

ये FAQs कालीबंगा, बागोर, और गणेश्वर की सभ्यताओं के बारे में सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं और आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए सहायक हो सकते हैं।

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