राजस्थान कला और संस्कृति : लोकदेवता ( तेजा जी , देवनारायण भगवान,देव बाबा , मल्लिनाथ जी , तल्लीनाथ जी , कल्ला जी राठौड़, डुंग जी -जवाहर जी , मामादेव,वीर बिग्गा जी, पनराज जी, वीर फत्ता जी )

राजस्थान कला और संस्कृति : लोकदेवता ( तेजा जी , देवनारायण भगवान,देव बाबा , मल्लिनाथ जी , तल्लीनाथ जी , कल्ला जी राठौड़, डुंग जी -जवाहर जी , मामादेव,वीर बिग्गा जी, पनराज जी, वीर फत्ता जी ) || Rajasthan Art and Culture: Folk deities (Tejaji, Devnarayan Bhagwan, Dev Baba, Mallinathji, Tallinathji, Kallaji Rathore, Dungji-Jawaharji, Mamadev, Veer Biggaji, Panrajji, Veer Fattaji)



 राजस्थान कला और संस्कृति के एक महत्त्वपूर्ण टॉपिक राजस्थान के लोकदेवता में पंच पीर के बारे पिछले ब्लॉग्स में आपको बताया , आज हम राजस्थान के प्रमुख लोकदेवताओं के बारे में जानकारी शेयर करेंगे और यह ब्लॉग आपको एक्जाम की दृष्टि से काफी ज्यादा मददगार रहेगा।


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वीर तेजा जी 

  • जन्म :- खरनाल, नागौर ( माघ शुक्ल चतुर्दशी)
  • माता - रामकुंवरी 
  • पिता - ताहड जी
  • पत्नी - पेमल दे ( अजमेर के पास पनेर गांव )
  • जाति - जाट , धोलिया गोत्र, नाग वंश
  • सवारी - लिलन ( सिनगारी) घोड़ी 
  • मृत्यु - सैंदरिया, अजमेर
  • तेजा जी के पुजारी घुड़ला कहलाते हैं।
  • कर्मस्थली - बांसी डूंगरी, बूंदी 
  • पूजा स्थल - थान
  • गीत - तेजा टेर 
  • इन्होंने मेर के मीणाओं से लाछा गुर्जरी की गायों की रक्षा के लिए युद्ध किया ।
  • उपनाम :- 

काला बाला का देवता

कृषि उपकारक

धोलिया वीर

गायों व सांपों के मुक्ति दाता 

  • तेजा जी के मंदिर 
  • खरनाल गांव , नागौर 
  • पर्वतसर, डीडवाना- कूचामन ( इनका प्रमुख मेला तेजा दशमी , भाद्रपद शुक्ल दशमी को यहां भरता है)
  • सैंदरियां, अजमेर
  • सुरसरा, अजमेर
  • भांवता, अजमेर ( यहां गौमूत्र से सर्पदंश का इलाज़ किया जाता हैं)
  • इनकी मूर्ति जोधपुर महाराज अभयसिंह ने सुरसरा से पर्वतसर में स्थापित की ।
  • इनकी मूर्ति तलवार धारी अश्वरोही योद्धा (जीभ पर सर्पदंश) की है ।


जय देवनारायण भगवान 

  • जन्म :- आसींद , भीलवाड़ा 
  • पिता - सवाई भोज 
  • माता - सेडू खटानी 
  • जाति - बगड़ावत, गुर्जर 
  • इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है ।
  • सवारी - लीलागर घोड़ा 
  • भगवान देवनारायण जी का मूल नाम उदयसिंह था ।
  • पत्नी - पीपल दे 
  • ननिहाल - देवास, मध्यप्रदेश ( इनकी शिक्षा भी इनके ननिहाल में हुई )
  • देवनारायण जी ने भिनाय के राजा दुर्जनशाल की हत्या कर अपने पूर्वजों की हत्या का बदला लिया तथा अपने बड़े भाई महेंद्र को भिनाय का राजा बनाया।
  • इसलिए इन्हें राज्य क्रांति का जनक कहा जाता है ।
  • उपनाम :- 

पशु उपचारक देवता

आयुर्वेदाचार्य ( नीम को औषधि के रूप में प्रयोग करते थे)

  • पूजा - ईटो की 
  • भोग - छाछ - राबड़ी 
  • मेला - सवाई भोज मेला
  • समाधि - देवमाली, ब्यावर ( भाद्रपद शुक्ल सप्तमी )
  • गुर्जर जाति व राणा सांगा के आराध्य देव ।
  • 2 सितंबर 1992 को भारत सरकार ने देवनारायण जी की फड़ पर 5 रुपे का डाक टिकट जारी किया।
  • मंदिर 

आसींद - भीलवाड़ा

मालासेरी - भीलवाड़ा

देवमाली - ब्यावर 

देवधाम जोधपुरिया - निवाई, टोंक 

( देवधाम जोधपुरियां को बगड़ावतों का गांव कहा जाता है )

देव डूंगरी - चित्तौड़गढ़ ( इस मंदिर का निर्माण राणा सांगा ने करवाया था ,)

  • सबसे बड़ी व सबसे छोटी फड़ भी देवनारायण जी की हैं , इसका वाचन बगड़ावत भोपो द्वारा जंतर वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है ।
  • राजस्थान सरकार ने वर्ष 2023 में पहली बार देवनारायण जयंती ( माघ शुक्ल षष्ठी)का राजकीय अवकाश घोषित किया ।
  • इन्हें राजस्थान में क्रांतिकारी देवता भी कहा जाता है।


देव बाबा 

  • जन्म :- नगला जहाज, वैर भरतपुर 
  • जाति - गुर्जर 
  • उपचार - पशुओं का ( नीम का झाड़ा)
  • मंदिर - नगला जहाज
  • मूर्ति - भैंसे पर सवार योद्धा, जिसके एक हाथ में लाठी तथा दुसरे हाथ में नीम का झाड़ा होता है ।
  • मेला - चैत्र शक्ल व भाद्रपद शुक्ल पंचमी 
  • उपनाम - उपचारक, ग्वालों के पालन हार।
  • प्रतीक - ग्वालों को भोजन 
  • देव बाबा के बारे में कहा जाता है की इन्होंने अपनी मृत्यु के बाद अपनी बहन इलादी का मायरा भरा था ।
  • देव बाबा का पूजा स्थल नीम के पेड़ का नीचे होता है।


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मल्लीनाथ जी

  • जन्म - तिलवाड़ा , बालोतरा 
  • माता - जानी दे
  • पिता - राव सलखां 
  • पत्नी - रूपा दे
  • जाति - राठौड़, राजपूत 
  • गुरु - उगमदास भाटी 
  • इनका संबंध जोधपुर राजघराने से है ।
  • मंदिर - तिलवाड़ा 
  • मेला - मल्लीनाथ पशु मेला ( बालोतरा , लूनी नदी के किनारे )
  • युद्ध 
  • " तेरह तूंगा भागिया, माले सालखानी"  यह दोहा मल्लीनाथ के बारे कहा गया है , क्युकी इन्होंने 1378 ईस्वी में फिरोज शाह तुगलक तथा मालवा के निजामुद्दीन की संयुक्त सेना को हराया था ।
  • मल्लीनाथ जी ने 1399 ईस्वी में तिलवाड़ा में संतों का सत्संग करवाया और ' कुंडा पंथ ' की स्थापना की ।
  • इस बालोतरा क्षेत्र को ' मालानी क्षेत्र ' कहा जाता है और इनके नाम से ' मालानी नस्ल ' के पशु प्रसिद्ध हैं।
  • मल्लीनाथ जी की पत्नी ' रूपा दे ' का मन्दिर लूनी नदी के किनारे "मालाजाल गांव" तिलवाड़ा में बना हुआ है , इनको इस क्षेत्र में "बरसात की देवी" के रूप में पूजा जाता है ।


तल्लीनाथ जी 

  • पिता - विरमदेव 
  • मूल नाम - गांगदेव राठौड़ ( शेरगढ़ के ठिकानेदार)
  • जाति - राठौड़, राजपूत 
  • गुरु - जालंधर नाथ 
  • मंदिर - पंचमुखी ( पंचोटा) जालौर 
  • मूर्ति - घोड़े पर सवार 
  • इन्होंने वनों की काटने पर रोक लगाई थी और वनों को विकसित किया । 
  • इनके वनों को ओरण या देववन कहा जाता है ।
  • वृक्ष काटने पर रोक लगाने वाले एक मात्र लोक देवता तल्लीनाथ जी हैं।


कल्ला जी राठौड़ 

  • जन्म - सामियान, मेड़ता नागौर  1544 ईस्वी ( आश्विन कृष्ण दशमी)
  • पिता - आस सिंह / आसकरण 
  • मंगेतर - शिवगढ़ की राजकुमारी कृष्णा कंवर 
  • ताऊ जी - जयमल
  • जाति - राठौड़, राजपूत
  • बुआ - मीरा बाई 
  • उपनाम - 

दो सिर और चार हाथों वाले देवता 

बाल ब्रह्मचारी 

वचन सिद्धपुरूष 

चमत्कारिक योद्धा 

  • इनको शेषनाग का अवतार माना जाता है ।
  • गुरु - योगी भैरवनाथ 
  • मूर्ति - पत्थर पर शेषनाग 
  • मुख्य थान - रनेला, उदयपुर 
  • अन्य स्थल - सामलिया, डुंगरपुर 
  • इनके थान पर पागल कुत्ते के काटे का उपचार किया जाता है ।
  • 24 फरबरी 1568 ईस्वी में चित्तौड़गढ़ दुर्ग की रक्षा में अकबर की सेना से जयमल को अपने कंधे पर बैठाकर लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए ।
  • इनकी मंगेतर कृष्णा ने रूंडेला गांव में कल्ला जी के साथ सती हुई ।
  • सामलिया गांव , डुंगरपुर में भील कल्ला जी की मूर्ति पर केसर चढ़ाते हैं ।
  • गुजरात में कल्ला जी को भाती खत्री नाम से पूजा जाता है ।


डुंगर जी - जवाहर जी 

  • जन्म - बाठौड, पाटोदा, सीकर 
  • जाति - शेखावत, राजपूत
  • उपनाम - 

काका भतीजा लोक देवता 

लुटेरे लोकदेवता 

गरीबों के लोक देवता 

  • इन्होंने 1847 ईस्वी में नसीराबाद छावनी में अपने सहयोगी करणीया मीणा तथा लोटिया जाट के साथ मिलकर लूट की ।
  • इनकी मदद बीकानेर महाराजा रतनसिंह राठौड़ ने की 
  • इनके वीर रस के गीत को शेखावाटी क्षेत्र में छावली कहा जाता है ।
  • इनको मारवाड़ शासक तख्त सिंह ने गिरफ्तार किया ।
  • ये दोनो शेखावाटी क्षेत्र में धनवानों का धन लूट कर अजमेर के पुष्कर घाट पर दान करते थे ।
  • अंगेजों ने डुंगर जी को गिरफ्तार कर " आगरा छावनी" में डाल दिया था , तब जवाहर जी करणीया व लोटियां की मदद से डुंगर जी को मुक्त करा लाए ।

 

मामादेव 

  • मुख्य स्थल :- सयालदौड़ा गांव, नीम का थाना 
  • इनके मंदिर नहीं होते हैं परंतु लकड़ी का तोरण द्वार होता है ।
  • इनका उपनाम - बरसात के देवता व खारा मामा 
  • इनके तोरण द्वार के सामने भैंसा की बलि दी जाती

 है ।


वीर बिग्गा जी 

  • जन्म :- रीड़ी गांव, बीकानेर 
  • पिता - मेहन जी
  • माता - सुल्तानी देवी 
  • जाति - जाखड़ जाट 
  • आराध्य - जाखड़ समाज 
  • मन्दिर - रीड़ी गांव 
  • वीर बिगगा जी मुस्लिम लूटेरों से गायों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए ।


पनराज जी 

  • जन्म :- नयागांव, जैसलमेर 
  • मंदिर :- पनराजसर गांव , जैसलमेर 
  • इनके मंदिर पर तोतले बच्चो का इलाज किया जाता है ।
  • नया गांव का नाम बदलकर पनराजसर रख दिया 

गया ।


वीर फत्ता जी 

  • मंदिर :- सांथू गांव , जालौर 
  • मेला - चैत्र शक्ल नवमी 
  • गायों की रक्षा करते हुए वीर गति को प्राप्त हुए ।


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