मेवाड़ राजवंश :- महाराणा कर्णसिंह, जगतसिंह प्रथम , राजसिंह से संग्रामसिंह द्वितीय तक का इतिहास ||Mewar Dynasty: - History from Maharana Karn Singh, Jagat Singh I, Raj Singh to Sangram Singh II

 मेवाड़ राजवंश :- महाराणा कर्णसिंह, जगतसिंह प्रथम , राजसिंह से संग्रामसिंह द्वितीय तक का इतिहास 



महाराणा कर्णसिंह ( 1620 - 1628 ईस्वी )

  • महाराणा अमरसिंह प्रथम के पुत्र।
  • इन्होंने कर्ण विलास महल ( उदयपुर) में बनवाया ।
  • दिलखुश महल ( उदयपुर ) का निर्माण करवाया ।
  • जग मन्दिर महल का निर्माण कार्य शुरू करवाया , इसके अंदर मुगल शहजादे खुर्रम ( शाहजहां) को शरण दी ।

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जगत सिंह प्रथम ( 1628 - 1652 ईस्वी )

  • जग मन्दिर महल, उदयपुर का निर्माण कार्य पूर्ण करवाया ।
  • जगन्नाथ मंदिर , उदयपुर का निर्माण करवाया ।
  • जगन्नाथ मंदिर  के उपनाम - जगदीश मंदिर 

                                     सपनों का मंदिर 

  • इन्होंने अपनी धाय मां नौजूबाई के लिए भगवान विष्णु का मंदिर बनवाया , इस मंदिर को नौजुबाई का मन्दिर , उदयपुर नाम से जाना जाता है ।


राजसिंह ( 1652 - 1680 ईस्वी )

  • चित्तोडगढ़ दुर्ग का पुनर्निमान शुरू करवाया , जिसे बाद में मुगल बादशाह शाहजहां के सेनापति सादुल्ला खान ने रुकवा दिया ।
  • मुगल उत्तराधिकार संघर्ष में औरंगजेब का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन किया ।
  • टीका दौड़ का आयोजन करवाया , टीका दौड़ का अर्थ है की मुगल अधिकृत मेवाड़ क्षेत्र को पुनः जीता 
  • हिंदू मंदिरों की रक्षा की ।
  • हिंदू राजकुमारियों की मुगलों से रक्षा की ।

  • राठौड़ - सिसोदिया गठबंधन बनाया 

 इस गठबंधन  में मारवाड़ के राव अजीतसिंह और मेवाड़ के महाराणा राजसिंह के मध्य हुआ ।


  • 1679 ईस्वी में जजिया कर का विरोध किया ।
  • 1680 ईस्वी उदयपुर ( देवारी ) का युद्ध
  • मेवाड़ और मारवाड़ तथा औरंगजेब के मध्य हुआ ।

इस युद्ध में औरंगजेब की विजय हुई ।


हाड़ी रानी सहल कंवर 

  •  रूपनगढ़ की राजकुमारी - चारुमति से औरंगजेब शादी करना चाहता था , लेकिन चारुमती ने मेवाड़ महाराणा राजसिंह को पत्र लिखकर उनसे शादी करने का आग्रह किया ।
  • राजसिंह जी ने उनका आग्रह स्वीकार करके उसने शादी करने जाते हैं तथा सलूंबर से सामंत रतन सिंह चुंडावत को युद्ध का बुलावा भेजते हैं ।
  • रतनसिंह चुंडावत जी की शादी हाड़ी रानी सहल कंवर से हुईं, हाड़ी रानी से जब चुंडावत जी युद्ध में जाने से पूर्व उनकी निशानी मांगी तो हाड़ी रानी सहल कंवर ने अपना शीश कटकर अपने पति को दे दिया ।
  • मेघराज मुकुल ने अपनी कविता सेनानी हाड़ी रानी सहल कंवर को समर्पित की है

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निर्माण कार्य 

  • राजसमंद झील का निर्माण करवाया ।
  • नाथद्वारा ( सिहाड़) में श्रीनाथ जी का मंदिर बनवाया।
  • कांकरोली में द्वारिकाधिश मंदिर का निर्माण करवाया 
  • इनकी रानी राम रस दे ने त्रिमुखी बावड़ी का निर्माण करवाया ।
  • इनकी माता जाना दे राठौड़ ने जनसागर तालाब का निर्माण करवाया ।


महाराणा राजसिंह की उपाधियां 

  • विजयकट कातु 
  • हाइड्रोलिक रूलर 


दरबारी विद्वान और उनकी रचनाएं 

  • किशोर दास - राज प्रकाश 
  • सदाशिव भट्ट - राज रत्नाकर 
  • रणछोड़ भट्ट तैलंग - अभय काट्य वंशावली 

                             राज प्रशस्ति 

  • गिरधर दान - संगत रासौ 
  • कवि मान - राज प्रकाश 
  • कल्याणदास - गुण गोविंद 


जयसिंह ( 1680 - 1698 ईस्वी )

  • 1 जनवरी 1681 में अकबर (औरंगजेब का पुत्र ) को नाडौल में बादशाह घोषित किया ।
  • इनके समय में राठौड़ सिसोदिया गठबंधन टूटा तथा मुगल बादशाह औरंगजेब के साथ पुनः संधि हुई ।
  • इन्होंने जयसमंद झील का निर्माण करवाया ।


अमरसिंह द्वितीय ( 1698 - 1710 ईस्वी )

  • देवारी समझौता 1708 ईस्वी
  • मेवाड़ महाराणा अमरसिंह द्वितीय, आमेर के शासक सवाई जयसिंह व मारवाड़ शासक अजीतसिंह के मध्य मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के विरोध में हुआ ।


संधि की शर्तें 

  • अमरसिंह द्वितीय की पुत्री चंद्रकंवर का विवाह सवाई जयसिंह के साथ किया जाएगा ।
  • सवाई जयसिंह और चंद्रकंवर का पुत्र आमेर का अगला शासक बनेगा ।


संग्राम सिंह द्वितीय ( 1710 - 1734 ईस्वी )

  • 1711 ईस्वी में मराठों ने राजस्थान में सर्वप्रथम चौथ कर मेवाड़ से लिया ।
  • अपनी पुत्री के लिए उदयपुर में सहेलियों की बावड़ी का निर्माण करवाया ।
  • माता देवकुवरी के लिए सिसाराना में वैधनाथ मन्दिर बनवाया ।
  • बांदनवाड़ा का युद्ध

इस युद्ध में मुगल सेनापति रणबाज खां को मारा ।

  • सवाई जयसिंह के साथ मिलकर हूरडा सम्मेलन की। योजना बनाई ।


जगतसिंह द्वितीय ( 1734 - 1751 ईस्वी )

  • हूरडा सम्मेलन( 17 जुलाई 1734 ईस्वी ,भीलवाड़ा ) को अध्यक्षता की ।

हूरडा सम्मेलन

  • मराठों के मालवा के पास मेवाड़ तथा राजपुताने की अंदर बढ़ते आक्रमण से परेशान होकर आमेर शासक सवाई जयसिंह द्वितीय और संग्राम सिंह द्वितीय ने सभी रियासतों को मराठों के खिलाफ एक जुट करने की लिया हूरडा सम्मेलन का आयोजन करवाया ।
  • संग्राम सिंह द्वितीय की मृत्यु हो जाने के बाद इसकी अध्यक्षता मेवाड़ के शासक जगत सिंह द्वितीय ने की।
  • इसमें भाग लेने वाले प्रमुख राजा

आमेर के सवाई जयसिंह द्वितीय

मेवाड़ के जगत सिंह द्वितीय

मारवाड़ के अभयसिंह 

नागौर के बख्त सिंह 

बीकानेर के जोरावर सिंह ( इस समय बीकानेर के राजा सुजानसिंह थे )

किशनगढ़ के राजसिंह 

बूंदी के दलेल सिंह

कोटा के दुर्जनशाल व करौली के गोपालसिंह ने भाग लिया ।


  • निर्णय:- मराठों के खिलाफ रामपुरा कोटा का स्थान तय किया गया परंतु आपसी मनमुटाव के कारण यह सम्मेलन असफल रहा ।
  • परिणामस्वरूप मराठों ने मेवाड़ पर आक्रमण किया ।
  • महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने मराठों को 1.50 लाख चौथ दी।


भीमसिंह ( 1784 - 1824 ईस्वी )

इनके समय में कृष्णा कुमारी विवाद हुआ ।


  • मेवाड़ के शासक भीमसिंह की पुत्री कृष्णा कुमारी का विवाह मारवाड़ के राव भीमसिंह के साथ तय किया ।
  • भीमसिंह की मृत्यु हो जाने के कारण जयपुर के जगत सिंह द्वितीय के साथ सगाई कर दी गई , जिसके कारण तीनों रियासतों के मध्य विवाद उत्त्पन हुआ ।
  • इसी कारण 1807 ईस्वी में गिंगोली ( परवतसर) का युद्ध हुआ।
  • मारवाड़ के शासक राव मानसिंह तथा जयपुर का शासक जगतसिंह द्वितीय के मध्य हुआ 
  • इस युद्ध में जगतसिंह द्वितीय की जीत हुई।
  • मारवाड़ के शासक राव मानसिंह ने अमीर खा पिंडारी को शादी रोकने के लिए सौदा किया ।
  • अमीर खां पिंडारी और अजीतसिंह चुंडावत ने कृष्णा कुमारी को जहर देकर उनकी हत्या कर दी ।
  • कृष्णा कुमारी की मृत्यु के बाद तीनों रियासतों में शांति कायम हो गई ।



आज के ब्लॉग के साथ मेवाड़ के इतिहास के सभी पार्ट्स पूर्ण हो गए हैं , दोस्तों अगर आपको हमारे ब्लॉग पसंद आ रहे हैं तो अपने साथी विद्यार्थियों के साथ ब्लॉग्स को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, हमारे व्हाट्सएप चैनल तथा टेलीग्राम ग्रुप को जॉइन करें ।







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