राजस्थान की लोक देवियां :- सुगाली माता , दधिमती माता , अबुर्दा देवी , ब्राह्मणी माता , बाणमाता, आवरी माता , बड़ली माता , त्रिपुर सुंदरी माता , भदाना माता , घेवर माता और विवाह की देवियां

 : - Sugali Mata, Dadhimati Mata, Aburda Devi, Brahmani Mata, Banamata, Avari Mata, Badli Mata, Tripura Sundari Mata, Bhadana Mata, Ghevar Mata and goddesses of marriage


Folk goddesses of Rajasthan


राजस्थान की कला व संस्कृति के लोकदेवियां के दूसरा ब्लॉग के साथ हमने अभी तक राजस्थान इतिहास के लगभग सभी महत्वपूर्ण प्रश्न कवर किए हैं और साथ साथ ही हम जल्दी ही एक टेस्ट सीरीज जारी करेगें जिसमे ४५ मिनट का समय होगा और आपको जल्दी ही इसकी जानकारी Rj News के व्हाट्सएप चैनल व फेसबुक पेज पर उपलब्ध करवा दी जायेगी ।


राजस्थान की लोकदेवियाँ 

सुगाली माता 

  • मुख्य मंदिर - आहुआ ( पाली )
  • आहूआ के ठाकुर कुशाल सिंह की इष्ट देवी ।
  • 10 सिर और 54 हाथ वाली देवी ।
  • राजस्थान में इन्हे 1857 की क्रांति की देवी के नाम से जाना जाता है ।


स्वांगिया माता 

  • मंदिर - जैसलमेर दुर्ग में 
  • भाटी राजवंश की कुल देवी 
  • प्रतीक चिन्ह:- शगुन चिड़ी के हाथ में मुड़ा हुआ भाला है ।

बाकल माता/ विरात्रा माता :-

  • मुख्य मंदिर - चौहटन, बाड़मेर 
  • भोपाें की कुल देवी 
  • यहां वर्ष में चैत्र, भाद्रपद और माघ माह की शुक्ल चतुर्दशी को मेला भरता है ।

नागणेची माता :- 

  • मुख्य मंदिर :- नागाणा ( बालोतरा)
  • निर्माता :- राव धुहड़ 
  • राठौड़ राजवंश की कुल देवी ।
  • उपनाम - चक्रेश्वरी माता 
  • कन्नौज के लुंबा नामक ब्राह्मण कर्नाटक से देवी की मूर्ति लेकर आया ।
  • प्रतीक चिन्ह - बाज/सयन/चील पक्षी 
  • अन्य मंदिर :- मेहरानगढ़ दुर्ग , जूनागढ़ दुर्ग , नागौर दुर्ग ।
  • मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह ने उदयपुर में इनका मंदिर बनवाया ।


सच्चीयाय माता 

  • मुख्य मंदिर :- ओसियां ( जोधपुर )
  • ओसवाल जाती की कुल देवी ।
  • गुर्जर प्रतिहार शैली ( महामारू शैली) में बना हुआ है।


लटियाल माता 

  • मुख्य मंदिर :- फलोदी 
  • कल्ला ब्राह्मणों की कुल देवी ।
  • उपनाम - खेजड़ बेर राय भवानी 


चामुड़ा माता 

  • मुख्य मंदिर :- मेहरानगढ़ दुर्ग 
  • निर्माता - राव जोधा 
  • प्रतिहारों की कुल देवी ।
  • मारवाड़ राठौर शासकों की आराध्य देवी ।


तनोट माता 

  • मुख्य मंदिर - तनोट , जैसेलमेर 
  • निर्माता - तनु राव भाटी 
  • उपनाम - थार की वैष्णो देवी 

             रुमालों की देवी

             सैनिकों की देवी 

  • इस देवी के मंदिर को युद्ध मंदिर कहा जाता है ।
  • 1965 में भारत सरकार द्वारा विजय स्तम्भ बनवाया गया, जो भारत का सबसे नवीनतम विजय स्तम्भ है ।


दधिमती माता 

  • मंदिर - गोठ मंगलोद ( नागौर)
  • दधीचि ब्राह्मणों की कुल देवी ।


अबुर्दा माता 

  • मंदिर - माउंटआबू ( सिरोही )
  • यहां देवी के अधरों (होठों) की पूजा होती है ।
  • इन्हें राजस्थान की वैष्णो देवी तथा अधर देवी भी कहा जाता है ।


ब्राह्मणी माता 

  • मंदिर - सोरसेन (बारां)
  • देवी की पीठ की पूजा होती है ।
  • माघ शुल्क सप्तमी को मेला भरता है ।


बाणमाता 

  • मंदिर - नागदा , उदयपुर 
  • गुहील तथा सिसोदिया राजवंश की कुल देवी ।


आवरी माता 

  • मंदिर - निकुंभ (चित्तौड़)
  • लकवाग्रस्त व्यक्तियों का इलाज किया जाता है।


बड़ली माता 

  • मंदिर - आकोला (चित्तौड़)
  • यहां एक धागा (माता जी की तांती) से बच्चों का इलाज किया जाता है ।


त्रिपुर सुंदरी माता /तुरतई माता 

  • मुख्य मंदिर - तलवाड़ा (बांसवाड़ा)
  • 18 भुजाओं वाली देवी ।
  • पांचाल जाती की कुल देवी ।


भदाणा माता

  • मंदिर - भदाणा गांव (कोटा )
  • मूठ चपेट का इलाज किया जाता है ।


घेवर माता 

  • मंदिर - राजसमंद झील के किनारे 
  • घेवर माता ने राजसमंद झील की नीव रखी ।
  • एक मात्र देवी जो बिना पति के सती हुई ।


विवाह की देवियां 

  • छींक माता - गोपाल जी का रास्ता , जयपुर 
  • घीघ माता - बांसवाड़ा 
  • चौथ माता - चौथ का बरवाड़ा, सवाई माधोपुर।



प्रमुख देवियां और उनके मंदिर


  • भद्रकाली माता - हनुमानगढ़
  • मनसा माता - चूरू
  • शारदा देवी - पिलानी ( झुंझुनूं)
  • रानी भटियानी सा/ भुआ सा - जसोल गांव (बालोतरा)
  • भवाल माता - भवाल गांव (नागौर)

इनके मंदिर में 2½प्याला शराब चढ़ाई जाती है ।

  • कैवाय माता - किनसरिया ( परबतसर, डिंडवाना - कुचामन)
  • हिचकी माता - जयपुर
  • धोलागढ देवी - अलवर 
  • जिलागी माता - कोटपुतली बहरोड़ 

इन्होने लोगों को इस्लाम धर्म ग्रहण करने से बचाया ।

  • राजेश्वरी माता - भरतपुर 

भरतपुर जाट राजवंश की कुल देवी ।

  • पीपला माता - ओसियां (जोधपुर)
  • पीपलाद माता - राजसमंद 
  • आमजा माता - केलवाड़ा (उदयपुर)
  • मरकंडी माता - निमाज (ब्यावर)
  • रक्तदंती माता - बूंदी 
  • कंठेश्वरी माता - आदिवासियों की कुल देवी ।




आज के इस ब्लॉग के साथ हमने राजस्थान की। लोकदेवियां अध्याय को अच्छे से कवर कर लिया और अगर दोस्तों आपको हमारे ब्लॉग्स पसंद आ रहे हैं तो अधिक से अधिक अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमारे व्हाट्सएप चैनल और फेसबुक पेज को join करें।




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ