Folk saints and sects of Rajasthan: - Nimbarka, Ramsnehi, Ramanandi, Ramanuja, Vallabha, Parnami, Laldasi, Nishkalank, Charandas, Gudad sect
राजस्थान के कला और संस्कृति के लोक संत और संप्रदाय के अध्ययन में अभी तक हमने विश्नोई संप्रदाय व जसनाथी संप्रदाय और उनके प्रवर्तक जाम्भो जी व जसनाथ जी के बारे में सभी एक्जाम सम्बन्धित नोट्स को कवर किया ।
आज के ब्लॉग में हम राजस्थान के प्रमुख संप्रदाय के बारे में जानेंगे जिसमें निबार्क, रामस्नेही, रामानुज, वल्लभ, परनामी, लालदासी, निष्कलंक, चरणदासी और गुदड संप्रदाय का अध्ययन करेंगे।
निंबार्क संप्रदाय
- प्रवर्तक - निम्बाकाचार्य
- निम्बाकाचार्य का उपनाम - भास्कर
- प्रधान पीठ - वृंदावन
- राजस्थान में प्रमुख पीठ - सलेमाबाद, अजमेर
- प्रमुख ग्रंथ - वेदान्त परिजात
- इनके अनुयाई राधा जी को श्री कृष्ण की पत्नि मानकर युगल रूप में पूजते हैं।
- सलेमाबाद में इस संप्रदाय की प्रधान पीठ की स्थापना - परशुराम देव द्वारा की गई।
- जयपुर शासक जगतसिंह व किशनगढ़ के शासक सावंत सिंह भी इनके अनुयाई थे ।
निबार्क संप्रदाय 8 अन्य संप्रदाय में विभाजित है जो निम्नानुसार हैं
ट्रिक - सनकी तू हंस ना मैंने दो पशुओं का भेद नीम सा जाना है ।
- सनकी - सनकादिक संप्रदाय
- हंस - हंस संप्रदाय
- ना - नारद संप्रदाय
- दो - द्वेताद्वेत संप्रदाय
- पशु - परशुराम संप्रदाय
- भेद - भेदाभेद संप्रदाय
- नीम - निम्बावत साध
- नीम - निंबार्क संप्रदाय
रामस्नेही संप्रदाय
- प्रवर्तक - रामचरण जी
- प्रधान पीठ - शाहपुरा
- गुरु - कृपाराम जी
- प्रमुख ग्रंथ - अणर्भवाणी , अणभैवाणी
- इनके अनुयायी राम राम जी या राम - राम कहकर अभिवादन करते हैं व गुलाबी वस्त्र धारण करते हैं।
- शाहपुरा में फूल डोल मेला भी आयोजित किया जाता है।
रामानंदी संप्रदाय
- प्रवर्तक - गुरु रामानुज
- अग्रदास जी ( रैवासा, सीकर)
- मुख्य केंद्र - रैवासा, सीकर
- इसे रसिक संप्रदाय भी कहते हैं
- भगवान श्री राम की पूजा रसिक नायक के रूप में की जाती हैं।
रामानुज संप्रदाय
- प्रवर्तक - कृष्णदास पयोहरी
- गुरु - रामानंद जी
- प्रधान पीठ - गलता जी ( इसे राजस्थान का उत्तर तोतार्दी , गालव तीर्थ और मंकी वैली भी कहते हैं।)
वल्लभ संप्रदाय
- प्रवर्तक - वल्लभाचार्य
- उपनाम - पुष्टिमार्ग संप्रदाय
- अष्ट अध्याय कवि मंडली की स्थापना - विट्ठलनाथ जी
- अनुभाष्य ग्रंथ की रचना - वल्लभाचार्य
- इस संप्रदाय में मंदिरों को हवेली कहा जाता है ।
परनामी सम्प्रदाय
- प्रधान पीठ - पन्ना ( मध्य प्रदेश)
- संस्थापक - संत प्राणनाथ जी
- राजस्थान में पीठ - आदर्श नगर,जयपुर
लालदासी संप्रदाय
- प्रवर्तक - लालदास जी
- इनका जन्म धोलीदूब, अलवर में हुआ ।
- इनके गुरु का नाम - गदन चिस्ती
- प्रधान पीठ - नगला जहाज, भरतपुर
- इस सम्प्रदाय के साधु स्वय कमा कर खाते हैं।
निष्कलंक सम्प्रदाय
- प्रवर्तक - संत माव जी
- जन्म - साबला, डुंगरपुर
- प्रधान पीठ - साबला
- प्रमुख ग्रन्थ - चोपड़ा ( वाद विवाद शैली पर रचित)
- इस ग्रन्थ का वाचन मकर सक्रांति व दीपावली के अवसर पर किया जाता है व इस ग्रंथ से भविष्यवाणी की जाती थी ।
- संत माव जी का संबंध बेणेश्वर धाम से है व इनके अनुयाई इन्हें कल्कि का अवतार मानते हैं ।
चरणदासी सम्प्रदाय
- प्रवर्तक - चरणदास जी
- इनका जन्म डेहरा, अलवर में हुआ ।
- गुरु का नाम - मुनि शुक्रदेव
- इनका बचपन का नाम रणजीत था।
- इन्होने नादिर शाह के आक्रमण की भविष्यवाणी की थी।
- इस सम्प्रदाय में 42 नियम हैं जिनका इनके अनुयाई द्वारा पालन किया जाता है ।
- प्रधान पीठ - दिल्ली
- प्रमुख ग्रंथ - ब्रह्म चरित्र, ज्ञान सागर, ज्ञान स्वरोदय, धर्म जहाज, अष्टांग योग, भक्ति सागर, दान लीला, राम स्वरोदय, नासकेत लीला, शुक्र वर्णन, वज्र चरित्र और अमरलोक - अखण्डधाम ।
- इनकी प्रमुख शिष्या - दया बाई व सहजो बाई
- दया बाई द्वारा रचित ग्रन्थ - दया बोध व विनय मलिका।
- सहजो बाई द्वारा रचित ग्रन्थ - सहज प्रकाश।
नवल सम्प्रदाय
- प्रवर्तक - नवल दास जी
- प्रधान पीठ - जोधपुर।
गुदड सम्प्रदाय
- प्रवर्तक - संत नाथ जी
- प्रधान पीठ - दांतडा गांव, भिलवाड़ा।
राजस्थान की धार्मिक विविधता और लोक संतों के योगदान पर इस ब्लॉग में हमने गहराई से चर्चा की है। राजस्थान के प्रमुख संप्रदायों और उनके प्रवर्तकों के बारे में जानना न केवल हमारे सांस्कृतिक धरोहर को समझने में मदद करता है, बल्कि यह हमें स्थानीय धार्मिक परंपराओं के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है।
हमारे ब्लॉग के माध्यम से हमने विभिन्न संप्रदायों जैसे निंबार्क, रामस्नेही, रामानंदी, वल्लभ, परनामी, लालदासी, निष्कलंक, चरणदासी, नवल, और गुदड के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। यह जानकारी विशेष रूप से परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी हो सकती है, और हम आशा करते हैं कि इससे आपको बेहतर तैयारी में मदद मिलेगी।
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