Folk saints of Rajasthan: - Saint Dhanna Ji, Saint Pipa Ji, Dadu Dayal, Saint Haridas Ji, Meera Bai, and Khwaja Moinuddin Chishti
राजस्थान कला और संस्कृति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय राजस्थान के लोक संत का अन्तिम भाग आज के ब्लॉग के माध्यम से पूरी तरह कवर कर लिया जाएगा , दोस्तों अगर आपको हमारे ब्लॉग्स से अपनी एक्जाम की तैयारियों को मदद मिल रही है तो हमें ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और हमारे व्हाट्सएप और टेलीग्राम चैनल को जॉइन करें।
राजस्थान के प्रमुख लोक संत
संत धन्ना जी
जन्म :- 1415, धुवान कला , टोंक।
जाति :- जाट
गुरु :- रामानंद जी
जाती पाती का विरोध किया व गुरु की महत्ता को बढ़ावा दिया ।
संत धन्ना के प्रवचन गुरु ग्रन्थ साहिब में भी मिलते हैं।
इनका मंदिर - बोरानाडा ( जोधपुर ग्रामीण ) में बना हुआ है।
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संत पीपा जी
जन्म :- गागरोंन, झालावाड़
वास्तविक नाम - प्रताप सिंह
जाति - खींची, राजपूत
गुरु - रामानंद जी
दर्जी समाज के आराध्य देव ।
मंदिर - समदड़ी ( बालोतरा)
गुफा - टोडा ( टोंक/ केकड़ी)
संत पीपा जी की छतरी -गागरोंन झालावाड़
प्रमुख ग्रंथ - पीपा री परची, पीपा री वाणी, चितावनी
संत दादूदयाल जी
जन्म - 1544, अहमदाबाद
संत दादूदयाल जी साबरमती नदी में बहते हुए लोदीराम ब्राह्मण को मिले ।
दादूदयाल जी का प्रथम उपदेश - सांभर में
दादू पंथ की स्थापना - 1574, सांभर में
उपनाम - राजस्थान का कबीर
सत्संग स्थल - अलख दारिवा
समाधि स्थल - भैराना, दादू - खोल
प्रमुख ग्रन्थ - दादू वाणी , अलख स्तुति प्रकाश
दादू जी ने फतेहपुर सीकरी में अकबर से मुलाकात की।
गुरु - वृद्धानंद (बुडो जी)
दादू जी के कुल 152 शिष्य थे जिनमें प्रमुख 52 शिष्य इनके 52 स्तंभ कहलाते हैं।
प्रमुख शिष्य - सुंदरदास जी , रज्जब जी, यखना जी, मिसकिंदास जी, वालिंद जी, गरीबदास जी, माधोदास जी आदि।
इनके अनुयाई अभिवादन करते समय सत्यराम का उदबोधन करते हैं।
दादू जी के उपदेश के भाषा - ढूढाडी भाषा है।
दादूदयाल जी के पंचतीर्थ
नरयाना, आमेर , सांभर, भैराणा, कल्याणपुर
याद करने की ट्रिक - नरा आसा भैरा कल्याण।
दादू सम्प्रदाय की शाखाएं
विरक्त - रमते फिरते साधु
खालसा - गुरू परंपरा को मानने वाले
उत्तरा दे - उत्तर दिशा में जाने वाले साधु
खाकी - खाकी भस्म लगाने वाले
नागा - सेना / सैनिक ( हथियारधारी)
नागा शाखा की स्थापना करने वाले संत सुंदर दास जी ने की।
दादू जी कुछ प्रमुख शिष्य
सुंदरदास जी
गैटोलाय, दौसा के निवासी
इन्होंने 42 ग्रंथों की रचना की - ज्ञान सागर, ज्ञान सवैया, सुंदर सार, सुंदर ग्रंथावली आदि।
रज्जब जी
सांगानेर के निवासी
आजीवन दूल्हे के भेष में रहे
इनकी प्रमुख रचना - सर्वगी और वाणी
गरीबदास जी
दादू जी के बाद गद्दी पर विराजमान हुए
दादू जी के पुत्र ।
संत हरिदास जी
जन्म - कापडोद, डीडवाना
मूल नाम - हरिसिंह सांखला
निरजनी सम्प्रदाय के प्रवर्तक
इन्हे कलयुग का वाल्मीकि कहा जाता है।
प्रधान पीठ - गाढ़ा, डीडवाना
इन्होंने परमात्मा को अलख निरंजन कहा ।
प्रमुख ग्रंथ - मंत्र राजप्रकाश, हरी पुरुष की वाणी।
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ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती
जन्म - 1153,सिस्तान , फारस
1192 ईस्वी में मोहम्मद गौरी के साथ भारत आए।
पिता का नाम - ख्वाजा गियासुद्दीन हसन
माता - साहेनुर
गुरु - उस्मान चिश्ती
उपनाम - गरीब नवाज
इनका उर्ष अजमेर में रज्जब माह के पहली रज्जब से छटी रज्जब तक भरता है।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह
स्थान - अजमेर
अन्य नाम - भारत का मक्का , दूसरा मक्का।
दरगाह का निर्माण प्रारंभ- इल्तुतमिश द्वारा
दरगाह का निर्माण पूर्ण - हुमायू के काल में
इसके गुंबदों व पक्की मजार का निर्माण गियासुद्दीन खिलजी द्वारा करवाया गया।
जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहा द्वारा 2 लाख 40 हजार रूपे में करवाया।
बुलंद दरवाजा - महमूद खिलजी द्वारा प्रारंभ और ग्यासुद्दीन खिलजी द्वारा पूर्ण करवाया।
ऊंचाई - 75 फीट
बड़ी देग - अकबर द्वारा 1567 ईस्वी में
छोटी देग - जहांगीर द्वारा 1613ईस्वी में
निजाम द्वार - हैदराबाद निजाम मीर उस्मान अली खान द्वारा ।
मुख्य मजार का द्वार - जहांआरा द्वारा
पहली बार आने वाला सुल्तान - मोहम्मद बिन तुगलक।
विक्टोरिया टैंक - रानी मैरी के यात्रा के अवसर पर ब्रिटिश सरकार द्वारा।
मीरा बाई
इन्होने दासी सम्प्रदाय की स्थापना की ।
जन्म - 1498 , मेड़ता नागौर
पालन पोषण - कुड़की
पिता - रतन सिंह राठौड़
बचपन का नाम - पेमल
उपनाम - राजस्थान की राधा
पति का नाम - भोजराज (1516 में विवाह )
राणा सांगा की पुत्रवधु थी m
गुरु का नाम - रूप गोस्वामी / जीव गोस्वामी
बाद में इन्होंने संत रौदास को गुरु बनाया ।
इनकी रचनाएं - सत्यभामा जी नू रासनु, राग गोविंद ,मीरा री गरीबी, रुक्मणि मंगल , नरसी मेहता री हुंडी आदि ।
अंतिम समय मीरा बाई का द्वारका में गुजरा।
इनकी मृत्यु डाकोर में हुई ।
मीरा बाई के निर्देशन में रत्ना खाती ने नरसी रो मायरो पुस्तक लिखी ।
मीरा बाई का प्रमुख मंदिर - मेड़ता नागौर में बना हुआ है ।
Rj news की राज एक्जाम के पाठयक्रम अनुसार सभी महत्वपूर्ण अध्याय जिसमें आज के इस ब्लॉग के साथ कला और संस्कृति का प्रमुख टॉपिक राजस्थान के लोक संत और संप्रदाय पूर्ण हो गया है ।
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