बीकानेर,चित्तौड़गढ़ , राजसमंद पाली, सिरोही और जोधपुर जिले के प्रमुख मंदिर
दोस्तों, राजस्थान प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए RJNews की ब्लॉग सीरीज में आपका स्वागत है। आज हम राजस्थान के प्रमुख मंदिरों पर विस्तृत नोट्स प्रस्तुत कर रहे हैं, जो आपके एग्जाम के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होंगे।
बीकानेर जिले के प्रमुख मंदिर
बीकानेर, राजस्थान का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर है, जहाँ अनेक प्रमुख मंदिर स्थित हैं। ये मंदिर धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक हैं। आइए, बीकानेर जिले के प्रमुख मंदिरों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
1. करणी माता मंदिर - देशनोक
उपनाम: चूहों वाला मंदिर
करणी माता मंदिर, देशनोक में स्थित है और यह बीकानेर के राठौड़ वंश की कुल देवी है। इस मंदिर को चूहों वाला मंदिर कहा जाता है क्योंकि यहाँ हजारों चूहे रहते हैं, जिन्हें श्रद्धालु पवित्र मानते हैं। यह मंदिर चारण समाज की आराध्य देवी के रूप में भी पूजा जाता है। इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है।
विशेषताएँ:
- कुल देवी: राठौड़ वंश
- चारण समाज की आराध्य देवी
2. भंडासार जैन मंदिर - बीकानेर
उपनाम: घी वाला मंदिर
भंडासार जैन मंदिर, बीकानेर में स्थित है और इसे घी वाला मंदिर कहा जाता है क्योंकि इसकी नींव घी से भरी गई थी। यह मंदिर जैन तीर्थंकर सुमतिनाथ जी को समर्पित है। इसकी वास्तुकला और शिल्पकला भक्तों को आकर्षित करती है।
विशेषताएँ:
- समर्पित: जैन तीर्थंकर सुमतिनाथ जी
- विशेषता: नींव में घी का उपयोग
3. हरंभगणपति मंदिर - बीकानेर
हरंभगणपति मंदिर, बीकानेर में स्थित है, जहाँ सिंह पर सवार गणेश जी की मूर्ति स्थापित है। यह मंदिर गणेश जी की आराधना के लिए प्रसिद्ध है और भक्त यहाँ अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करने के लिए आते हैं।
विशेषताएँ:
- विशेष मूर्ति: सिंह पर सवार गणेश जी
4. कपिल मुनि मंदिर - बीकानेर
कपिल मुनि मंदिर, कोलायत झील के किनारे स्थित है और कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रणेता के रूप में प्रसिद्ध हैं। इस झील में दीपदान का महत्व है और कार्तिक पूर्णिमा पर यहाँ मेला भरता है। यह स्थान भक्तों के लिए विशेष धार्मिक अनुभव प्रदान करता है।
विशेषताएँ:
- स्थान: कोलायत झील के किनारे
- महत्व: दीपदान का आयोजन, कार्तिक पूर्णिमा का मेला
चित्तौड़गढ़ जिले के प्रमुख मंदिर
1. कुंभ श्याम मंदिर
कुंभ श्याम मंदिर का पुनर्निर्माण राणा कुम्भा द्वारा करवाया गया था। यह मूल रूप से सूर्य मंदिर है और इसकी वास्तुकला दर्शनीय है।
2. श्रृंगार चंवरी मंदिर
इस मंदिर को शांतिनाथ जैन मंदिर भी कहा जाता है। इसका नाम राणा कुम्भा की पुत्री चवरी (रमाबाई) की याद में पड़ा है। यह मंदिर जैन संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
3. मीरा मंदिर
इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की काले रंग की प्रतिमा स्थापित है, और संत रैदास जी की छतरी भी यहां बनी हुई है। यह स्थान भक्तों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है।
4. समिधेश्वर मंदिर
समिधेश्वर मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में परमार राजा भोज ने करवाया था। इसे भोज मंदिर, त्रिभुवन नारायण मंदिर और मोकल मंदिर भी कहा जाता है। राणा मोकल द्वारा पुनर्निर्माण के बाद इसे मोकल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
5. मातृकुंडिया मंदिर, राशमी
इस मंदिर को राजस्थान का हरिद्वार और मेवाड़ का हरिद्वार कहा जाता है। यहां लक्ष्मण झूला भी लगा हुआ है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।
राजसमंद जिले के प्रमुख मंदिर
राजसमंद, राजस्थान का एक ऐतिहासिक जिला है, जहाँ अनेक महत्वपूर्ण मंदिर स्थित हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी जाने जाते हैं। आइए जानते हैं राजसमंद जिले के कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में:
1. द्वारिकाधीश मंदिर - कांकरोली
द्वारिकाधीश मंदिर, जो कांकरोली में स्थित है, पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय (वल्लभ) से संबंधित है। यह मंदिर विशेष रूप से श्रीनाथ जी की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जिसे मथुरा से लाकर यहाँ स्थापित किया गया। राजसमंद के आसोटिया गांव में स्थित यह मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इसकी वास्तुकला और धार्मिक महत्व इसे विशेष बनाते हैं।
विशेषताएँ:
- संप्रदाय: पुष्टिमार्ग (वल्लभ)
- स्थापना: मथुरा से लायी गई श्रीनाथ जी की मूर्ति
- स्थान: आसोटिया गाँव, कांकरोली
2. नाथद्वारा मंदिर - राजसमंद
नाथद्वारा मंदिर, जिसे प्राचीन नाम सिंहाड के नाम से भी जाना जाता है, राणा राजसिंह के समय में गोस्वामी भक्तों द्वारा मथुरा से लाकर स्थापित की गई श्रीकृष्ण की प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर वल्लभ सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ है और यहाँ के मंदिर हवेली कहलाते हैं। भक्तों की भीड़ और धार्मिक उत्सवों के कारण यह मंदिर हमेशा जीवंत रहता है।
विशेषताएँ:
- प्राचीन नाम: सिंहाड
- संप्रदाय: वल्लभ सम्प्रदाय
- स्थान: नाथद्वारा, राजसमंद
3. चारभुजानाथ मंदिर - राजसमंद
चारभुजानाथ मंदिर, जो गढ़बौर में स्थित है, को मेवाड़ का बारीनाथ कहा जाता है। यहाँ पांडवों द्वारा पूजी गई एक प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर होली और जलझूलनी एकादशी जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों पर मेले का आयोजन करता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस मंदिर की भव्यता और पौराणिक कथाएँ इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती हैं।
विशेषताएँ:
- उपनाम: मेवाड़ का बारीनाथ
- पांडवों द्वारा पूजी गई प्रतिमा
- त्योहार: होली, जलझूलनी एकादशी
वल्लभ सम्प्रदाय के 7 प्रमुख पीठ एवं मंदिर
वल्लभ सम्प्रदाय, जिसे पुष्टिमार्ग भी कहा जाता है, भारतीय भक्ति आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस सम्प्रदाय के प्रमुख मंदिरों की उपस्थिति न केवल धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि ये भारतीय संस्कृति और इतिहास के महत्वपूर्ण केंद्र भी हैं। आइए जानते हैं वल्लभ सम्प्रदाय के 7 प्रमुख मंदिरों के बारे में:
1. श्रीनाथ जी / विट्ठलनाथ जी मंदिर - नाथद्वारा
नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथ जी का मंदिर वल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख केंद्र है। यहाँ श्रीनाथ जी की प्रतिमा की पूजा की जाती है, जो भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय है। विट्ठलनाथ जी की उपासना भी यहाँ विशेष रूप से की जाती है। इस मंदिर की अद्भुत वास्तुकला और भक्ति भाव इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाते हैं।
2. द्वारिकाधीश मंदिर - कांकरोली
कांकरोली में स्थित द्वारिकाधीश मंदिर वल्लभ सम्प्रदाय का एक अन्य महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ श्री कृष्ण की प्रतिमा को भक्तों द्वारा श्रद्धा से पूजा जाता है। यह मंदिर धार्मिक उत्सवों और अनुष्ठानों का केंद्र है, जो हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
3. मथुरेश जी - कोटा
कोटा में स्थित मथुरेश जी का मंदिर भी वल्लभ सम्प्रदाय का एक प्रमुख स्थान है। यहाँ भगवान श्री कृष्ण की उपासना की जाती है और यह स्थान भक्तों के लिए एक तीर्थ के समान है। इस मंदिर की धार्मिक महत्ता और इसकी सुंदरता भक्तों को आकर्षित करती है।
4. मदनमोहन जी - करौली
करौली में स्थित मदनमोहन जी का मंदिर वल्लभ सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ भगवान श्री कृष्ण की एक सुंदर प्रतिमा स्थापित है, और यह मंदिर भक्ति और आस्था का प्रतीक है। भक्तजन यहाँ अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करने के लिए आते हैं।
5. गोकुलचंद जी - कामां (डिंग)
कामां (डिंग) में स्थित गोकुलचंद जी का मंदिर भी वल्लभ सम्प्रदाय का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ भगवान श्री कृष्ण की उपासना की जाती है, और यह स्थान भक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। इस मंदिर में विशेष त्योहारों पर भव्य आयोजन होते हैं।
6. गोकुलनाथ जी - गोकुल (उत्तरप्रदेश)
गोकुल में स्थित गोकुलनाथ जी का मंदिर वल्लभ सम्प्रदाय का एक प्रमुख स्थल है। यहाँ भगवान श्री कृष्ण की बाल रूप की पूजा की जाती है, जो भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय है। इस मंदिर की धार्मिक महत्ता और सांस्कृतिक धरोहर इसे विशेष बनाते हैं।
7. बालकृष्ण मंदिर - सूरत (गुजरात)
सूरत में स्थित बालकृष्ण मंदिर वल्लभ सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ भगवान श्री कृष्ण की बाल रूप की प्रतिमा की पूजा की जाती है। यह मंदिर भक्ति भाव और आस्था का प्रतीक है और भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
पाली, सिरोही और जोधपुर जिले के प्रमुख मंदिर
राजस्थान के पाली, सिरोही और जोधपुर जिले ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कई मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि यहाँ की समृद्ध संस्कृति और शिल्पकला को भी दर्शाते हैं। आइए, इन प्रमुख मंदिरों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पाली जिले के प्रमुख मंदिर
1. रणकपुर जैन मंदिर - पाली
रणकपुर जैन मंदिर, जिसे "स्तंभों का वन" भी कहा जाता है, एक अद्भुत कुम्भाकालीन मंदिर है। इस मंदिर में कुल 1444 खंभे हैं, जो इसकी अद्वितीयता को दर्शाते हैं। इसका निर्माण सेठ धारणक शाह ने करवाया था और इसे शिल्पी देपाक ने बनाया था। यह मंदिर माधई नदी के किनारे स्थित है और यहाँ सूर्यनारायण मंदिर भी है।
विशेषताएँ:
- उपनाम: स्तंभों का वन
- महत्वपूर्ण संरचनाएँ: त्रैलोक्य दीपक, नलिनी गुल्म विमान
2. स्वर्ण मंदिर - फालना
स्वर्ण मंदिर, जिसे "गेटवे ऑफ गोडवाड" के नाम से भी जाना जाता है, फालना में स्थित है। यहाँ पार्श्वनाथ जैन मंदिर भी है। फालना सिटी को "मिनी दुबई" के रूप में जाना जाता है।
3. मुछाला महावीर मंदिर - घाणेराव
यह मंदिर जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी को समर्पित है और जैन समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
4. सेवाड़ी जैन मंदिर - पाली
सेवाड़ी जैन मंदिर भूमिज शैली का सबसे प्राचीन मंदिर है, जो अपने उत्कृष्ट शिल्प के लिए प्रसिद्ध है।
5. परशुराम महादेव मंदिर - कुंभलगढ़
यह मंदिर कुंभलगढ़ अभ्यारण के पास स्थित है और यहाँ फूटा देवल मेला भरता है। यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है।
सिरोही जिले के प्रमुख मंदिर
1. देलवाड़ा जैन मंदिर - माउंट आबू
देलवाड़ा जैन मंदिर, पांच मंदिरों का समूह है:
- विमलशाही मंदिर: इस मंदिर की तुलना कर्नल जेम्स टॉड ने ताजमहल से की है। इसे 1031 ईस्वी में चालुक्य (सोलंकी) शासक के मंत्री विमल शाह ने बनवाया।
- लुवनशाही मंदिर: इसे 1230 ईस्वी में चालुक्य राजा धवल के मंत्री तेजपाल और वास्तुपाल ने बनवाया। यह मंदिर नेमीनाथ जी को समर्पित है।
2. अबुर्दा माता मंदिर - माउंट आबू
यह मंदिर परमार वंश की कुल देवी का है और इसे राजस्थान की वैष्णो देवी कहा जाता है। यहाँ माता के अधर की पूजा की जाती है।
जोधपुर जिले के प्रमुख मंदिर
1. ओसियां के जैन मंदिर - जोधपुर ग्रामीण
यह मंदिर गुर्जर प्रतिहार कालीन है और महावीर स्वामी मंदिर का निर्माण वत्सराज ने करवाया था। यहाँ सूर्य मंदिर भी है।
2. महामंदिर - जोधपुर
यह नाथ सम्प्रदाय से संबंधित है और इसका निर्माण जोधपुर शासक महाराजा मानसिंह ने करवाया। इसमें जालंधर नाथ की मूर्ति स्थापित है।
3. रावण मंदिर - मंडोर
यह उत्तर भारत का पहला मंदिर है और यहाँ 33 करोड़ देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ बनी हुई हैं।
4. आई माता मंदिर - बिलाड़ा
यह मंदिर सीरवी समाज की कुल देवी का है, जिनकी ज्योति से केसर टपकती है। यहाँ गुर्जर जाती का प्रवेश निषेध है।
5. तीजा मांगी मंदिर - जोधपुर
यह मंदिर भी महाराजा मानसिंह द्वारा निर्मित है और यहाँ ज्वालामुखी मंदिर भी स्थित है।
राजस्थान के ये मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि यहाँ की समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर को भी दर्शाते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ये नोट्स आपके लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।
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