जीव विज्ञान:- कोशिका का सम्पूर्ण विवरण
कोशिका (Cell) का अध्ययन जीवविज्ञान में एक महत्वपूर्ण विषय है। कोशिका जीवन की मूलभूत इकाई है और सभी जीवों की संरचना और क्रियात्मक कार्यों की इकाई होती है। इसके इतिहास से संबंधित कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
1. कोशिका की खोज (1665): रॉबर्ट हुक ने सबसे पहले 1665 ई. में कॉर्क के पतले टुकड़े को माइक्रोस्कोप से देखा। उन्हें मृत कोशिकाएँ दिखीं, जिनमें केवल कोशिका भित्ति ही दिखाई दी। रॉबर्ट हुक ने अपनी पुस्तक *माइक्रोग्राफिया* में इस खोज का वर्णन किया, और इसीलिए कोशिका की खोज का श्रेय उन्हें दिया जाता है।
2. मैल्पीची का योगदान (1661): रॉबर्ट हुक से पहले 1661 में मैल्पीची ने कोशिकाओं को देखा था और उन्हें *यूट्रिक्यूलाई* एवं *सैक्यूलस* (Utricles & Saccules) नाम दिया था।
3. जीवित कोशिका की खोज: 1672-74 के दौरान ल्यूवॉन होंक (Antonie van Leeuwenhoek) ने सर्वप्रथम जीवित कोशिका का अवलोकन किया और रक्त कोशिकाएं (RBC), जीवाणु और शुक्राणु को देखा।
4. केन्द्रक की खोज (1831): रॉबर्ट ब्राउन ने ऑर्किड पौधों की जड़ों में कोशिका के केन्द्रक (Nucleus) को खोजा। यह खोज कोशिका संरचना के अध्ययन में एक बड़ा कदम था।
5. कोशिका सिद्धांत (1838): श्लाइडन और श्वान ने 1838 में कोशिका सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने बताया कि सभी जीव कोशिकाओं से बने होते हैं, और ये कोशिकाएँ शरीर की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाइयाँ होती हैं।
6. **कोशिका विभाजन का सिद्धांत (1855)**: रुडोल्फ विचो ने बताया कि नई कोशिकाओं का निर्माण पूर्ववर्ती कोशिकाओं से होता है। उनका कथन था: *Omnis Cellula e Cellula*, जिसका अर्थ है "प्रत्येक कोशिका पूर्ववर्ती कोशिका से उत्पन्न होती है।"
कोशिका की संरचना
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कोशिका की संरचना
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कोशिका संगठन और संरचना के आधार पर कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं:
प्रोकैरियोटिक या असीमकेन्द्रकी कोशिका: इसमें स्पष्ट केन्द्रक और झिल्ली-बद्ध अंगक (मेम्ब्रेन-बाउंड ऑर्गेनेल) नहीं होते हैं। डीएनए एक साधारण वृत्ताकार संरचना के रूप में होता है।
यूकैरियोटिक या सीमकेन्द्रकी कोशिका: इसमें एक स्पष्ट केन्द्रक होता है, जिसमें डीएनए संलग्न होता है। इसमें झिल्ली-बद्ध अंगक जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, गॉल्जीकाय आदि पाए जाते हैं।
प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक कोशिकाओं में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं, जो इनके संरचना और कार्य में अंतर करते हैं। आइए इन्हें सरल भाषा में समझते हैं:
प्रोकैरियोटिक कोशिका (असीम केन्द्रक वाली कोशिका)
1. केन्द्रक की संरचना: इनमें केन्द्रक अल्प विकसित होता है और इसके चारों ओर केन्द्रक झिल्ली (Nucleus Membrane) नहीं होती है।
2. DNA: DNA नग्न (खुला) होता है, जो केन्द्रक के बाहर के हिस्से में वृत्ताकार प्लाज्मिड के रूप में पाया जाता है।
3. राइबोसोम: इनमें 70S राइबोसोम होते हैं।
4. कोशिका के अंग: इनमें विभिन्न प्रकार के कोशिकांग (जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, गॉल्जीकाय, लाइसोसोम) नहीं पाए जाते।
5. कोशिकाद्रव्य और केन्द्रकद्रव्य: इसमें कोशिकाद्रव्य और केन्द्रकद्रव्य में कोई स्पष्ट विभाजन नहीं होता है।
उदाहरण: बैक्टीरिया, साइनोबैक्टीरिया (नीला-हरा शैवाल)।
यूकैरियोटिक कोशिका (सुविकसित केन्द्रक वाली कोशिका)
1. केन्द्रक की संरचना: इनमें केन्द्रक सुविकसित होता है और इसके चारों ओर दोहरा केन्द्रक आवरण पाया जाता है।
2. DNA: DNA आवरण से ढका होता है और यह केन्द्रक के अंदर सर्पिलाकार, द्वि-रज्जुकी (Double Stranded) संरचना में होता है।
3. राइबोसोम: इनमें 80S राइबोसोम होते हैं।
4. कोशिका के अंग: इनमें माइटोकॉन्ड्रिया, लवक (Plastid), लाइसोसोम, राइबोसोम, अंतःप्रद्रव्यी जालिका (ER), सेंट्रोसोम, गॉल्जीकाय आदि सुविकसित कोशिकांग होते हैं।
5. कोशिकाद्रव्य और केन्द्रकद्रव्य: कोशिकाद्रव्य और केन्द्रकद्रव्य एक दूसरे से स्पष्ट रूप से विभेदित होते हैं।
उदाहरण: पौधों और जानवरों की कोशिकाएँ, कवक आदि।
जन्तु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर:
1. कोशिका भित्ति:
- पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली के चारों ओर सेल्यूलोज़ से बनी कोशिका भित्ति होती है।
- जन्तु कोशिका में कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है।
2. केन्द्रक का स्थान:
- पादप कोशिका में केन्द्रक छोटा और परिधि की ओर स्थित होता है।
- जन्तु कोशिका में केन्द्रक बड़ा और कोशिका के केन्द्रीय भाग में स्थित होता है।
3. रिक्तिकाएँ (Vacuoles):
- पादप कोशिका में रिक्तिकाएँ बड़े आकार की होती हैं।
- जन्तु कोशिका में रिक्तिकाएँ छोटी-छोटी और कोशिकाद्रव्य में बिखरी होती हैं।
4. गॉल्जीकाय (Golgi bodies):
- पादप कोशिका में गॉल्जीकाय अल्प विकसित और छोटे आकार के होते हैं, जिन्हें "डिक्टियोसोम" कहा जाता है।
- जन्तु कोशिका में गॉल्जीकाय सुविकसित और बड़े आकार के होते हैं।
5. तारककाय (Centrosome):
- पादप कोशिका में तारककाय अनुपस्थित होता है।
- जन्तु कोशिका में तारककाय उपस्थित होता है, जो कोशिका विभाजन में सहायक होता है।
कोशिका भित्ति (Cell Wall)
- कोशिका भित्ति एक बाहरी आवरण है, जो पौधों, कवक, और बैक्टीरिया की कोशिकाओं में पाई जाती है। यह जंतु कोशिकाओं में नहीं पाई जाती है।
- यह कोशिका द्वारा निर्मित होती है और मृत (निर्जीव) होती है, लेकिन उपापचय (Metabolism) में भाग लेती है।
- इसकी औसत मोटाई 0.1 माइक्रोमीटर = 10⁶ माइक्रोमीटर तक हो सकती है।
कोशिका भित्ति की मुख्य तीन परतें होती हैं:
1. प्राथमिक संस्तर (Primary Lamella):
- पौधों में यह मुख्य रूप से सेल्यूलोज से बना होता है।
- बैक्टीरिया में यह पेप्टिडीग्लाइकेन से बनी होती है।
- इसमें पेक्टिन भी पाया जाता है, जो इसे लचीलापन प्रदान करता है।
2. मध्य संस्तर (Middle Lamella):
- यह दो कोशिकाओं के बीच स्थित होता है और कैल्शियम (Ca) एवं मैग्नीशियम (Mg) के पेक्टेट लवणों से बना होता है।
- यह दो कोशिकाओं को आपस में जोड़े रखने का कार्य करता है, इसलिए इसे कोशिकीय सीमेंट (Cellular Cement) भी कहा जाता है।
- फलों के पकने पर ये लवण जल में घुलने लगते हैं, जिससे फल नरम हो जाते हैं।
3. द्वितीयक संस्तर (Secondary Lamella):
- यह परिपक्व कोशिकाओं में प्राथमिक संस्तर के अंदर की ओर पाई जाती है।
- इसमें लिग्निन, सुबेरिन, और क्यूटिन जैसे पदार्थ होते हैं, जो इसे कठोरता प्रदान करते हैं।
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कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)
- कोशिका झिल्ली की खोज श्वान ने की, जबकि इसे 'प्लाज्मा मेम्ब्रेन' नाम प्लोव ने दिया।
- नगेली और केमर ने इसे कोशिका झिल्ली कहा।
- यह सभी प्रकार की कोशिकाओं में पाई जाती है और इसकी औसत मोटाई लगभग 75 एंगस्ट्रॉम होती है।
- यह जल के लिए अर्द्धपारगम्य (Semi-permeable) और विलेपों (Solutes) के लिए चयनात्मक पारगम्य (Selectively permeable) होती है।
- कोशिका झिल्ली मुख्य रूप से फॉस्फोलिपिड्स और प्रोटीन से बनी होती है।
तरल मोजेक मॉडल: कोशिका झिल्ली की संरचना को समझाने के लिए सिंगर और निकोल्सन ने तरल मोजेक मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें बताया गया कि यह झिल्ली तरल होती है और इसमें प्रोटीन के विभिन्न प्रकार के अणु पाई जाते हैं।
जीव विज्ञान के इसी ब्लॉग के अगले पार्ट में हम आपको कोशिकांग और उनके विभिन्न पार्ट्स के बारे व मानव शरीर में उपस्थित DNA,RNA और गुणसूत्रों के बारे में अच्छे से अध्ययन करेंगे। अगर आप लोगों को हमारे ब्लॉग्स पसंद आ रहे हैं तो ज्यादा से ज्यादा पाने दोस्तों के साथ शेयर करें जिससे आपके एक शेयर करने से किसी अन्य का भी भला हो सके ।
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