राजस्थान के भौतिक प्रदेशों का विस्तृत वर्गीकरण

 राजस्थान के भौतिक प्रदेशों का विस्तृत वर्गीकरण 


राजस्थान के भौतिक प्रदेशों का विस्तृत वर्गीकरण



राजस्थान का भूगोल और भौतिक प्रदेशों का वर्गीकरण राज्य के प्राकृतिक संसाधनों, स्थलाकृति और मिट्टी के प्रकारों को समझने में सहायक है। प्रो. वी. सी. मिश्रा और डॉ. हरिमोहन सक्सेना के शोध से राजस्थान को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जो निम्न प्रकार से हैं:

प्रो. वी. सी. मिश्रा द्वारा सात भौगोलिक प्रदेशों का वर्गीकरण (1966-68)

  1. पश्चिमी शुष्क मैदान: जैसलमेर, बाड़मेर, दक्षिण-पूर्वी बीकानेर, पश्चिमी जोधपुर आदि।
  2. अर्द्ध शुष्क प्रदेश: जालोर, पाली, नागौर, सीकर, झुंझुनू आदि।
  3. नहरी क्षेत्र: श्रीगंगानगर, पश्चिमी बीकानेर, उत्तरी जैसलमेर।
  4. अरावली प्रदेश: उदयपुर, पाली, सिरोही और पश्चिमी डूंगरपुर।
  5. पूर्वी कृषि औद्योगिक प्रदेश: जयपुर, अजमेर, भरतपुर, अलवर, कोटा आदि।
  6. दक्षिण-पूर्वी कृषि प्रदेश: कोटा, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, पूर्वी डूंगरपुर।
  7. चम्बल बीहड़ प्रदेश: धौलपुर और सवाई माधोपुर।

डॉ. हरिमोहन सक्सेना और प्रो. तिवारी द्वारा चार भौगोलिक प्रदेशों का वर्गीकरण (1968)



(1) पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश (धार का मरुस्थल)
धार का मरुस्थल भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्यों (हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान) में विस्तृत है। राजस्थान में धार के मरुस्थल का विस्तार राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 61.11% है। इस प्रदेश का विस्तार बारह जिलों में है:

- पूर्ण मरुस्थल: बाड़मेर, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर
- अर्द्ध मरुस्थलीय: जालोर, पाली, नागौर, चूरू, झुंझुनू, सीकर

इस क्षेत्र का न्यूनतम जनघनत्व और टर्शियरी कालीन अवसादी चट्टानों की प्रधानता है। मृदा का वैज्ञानिक वर्गीकरण एन्टीसोल और एरिडिसोल मृदा के अनुसार है।

राजस्थान में मरुस्थल के प्रकार:
1. हम्मादा: चट्टानी/पथरीला मरुस्थल (पोकरण, फलौदी, बालोतरा)
2. रेग: मिश्रित मरुस्थल (जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर)
3. इर्ग: सम्पूर्ण मरुस्थल (जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, नागौर, चूरू, सीकर, झुंझुनूं)

(2) अरावली पर्वतीय प्रदेश
राजस्थान में अरावली का लगभग 80% भाग स्थित है। अरावली पर्वतीय प्रदेश का विस्तार राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 9% है। यह प्रदेश दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में फैला है और सिरोही से खेतड़ी तक विस्तारित है। 

अरावली पर्वतीय प्रदेश राजस्थान के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 9% भाग है। राजस्थान में अरावली का विस्तार दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में है। अरावली का विस्तार राज्य के 9 जिलों सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, अजमेर, जयपुर, दौसा, अलवर, सीकर व झुंझुनूं में है। 

अरावली पर्वतीय प्रदेश में लाल मृदा (पर्वतीय मृदा, इन्सेप्टीसोल) का विस्तार है। 

अरावली पर्वतमाला को राजस्थान में आदिवासियों की आश्रय स्थली कहा जाता है।
 उत्तरी अरावली उत्तरी अरावली प्रशासनिक दृष्टि से पाँच जिलों जयपुर, अलवर, दौसा, सीकर व झुंझुनूं में है। उत्तरी अरावली का विस्तार सांभर पूर्व में है। 

उत्तरी अरावली की प्रमुख चोटियाँ निम्नलिखित है- (1) रघुनाथगढ़ (सीकर)- 1,055 मीटर
 (11) खोह (जयपुर)-920 मीटर 
(iii) भैराच (अलवर)- 792 मीटर 
(iv) बरवाड़ा (जयपुर)- 786 मीटर 
(v) बाबाई (झुंझुनूँ) 780 मीटर 
(vi) बिलाली (अलवर)- 775 मीटर 
(vii) बैराठ (जयपुर)-704 मीटर 
(viii) सरिस्का (अलवर) - 677 मीटर
 (ix) भानगढ़ (अलवर) 649 मीटर 
(x) नाहरगढ़ (जयपुर)- 599 मीटर 

मध्य अरावली 
मध्य अरावली का विस्तार अजमेर-जयपुर जिले में विस्तृत है। 
मध्य अरावली की प्रमुख चोटियाँ निम्नलिखित हैं। 

(1) गोरमाजी अजमेर 934 मीटर 
(2) मेरियाजी (टॉडगढ़)-अजमेर- 933 मीटर
(3)तारागढ़ अजमेर- 873 मीटर
(4) नागपाहड़ अजमेर-795 मीटर

अरावली के प्रमुख पठार-
 (1) उड़िया का पठार- सिरोही में स्थित राजस्थान का सबसे ऊँचा पठार (1,360 मीटर ऊँचाई)।
 (ii) आबू का पठार- सिरोही
 (iii) भोराट का पठार गोगुन्दा (उदयपुर) से कुम्भलगढ़ (राजसमंद) के मध्य। इस पठार को जल संभर की संज्ञा दी गई है।
 (iv) मेसा का पठार- चित्तौड़गढ़ में बेडच तथा गम्भीरी नदियों द्वारा अपरदित पठार। 
( vi) लसाड़िया का पठार- जयसमंद झील के पूर्व में स्थित विच्छेदित एवं अपरदित पठारी क्षेत्र (राजस्थान का सबसे कटा-फटा पठार है।) 
(vii) देशहरो का पठार- उदयपुर में जरगा तथा रागा की पहाड़ियों के मध्य स्थित वर्षभर हरा-भरा रहने वाला पठारी क्षेत्र।
 (viii) भोमट का पठार- उदयपुर डूंगरपुर बाँसवाड़ा के मध्य स्थित पठारी क्षेत्र जहाँ भोमट जनजाति निवास करती है।

अरावली के प्रमुख पर्वत एवं पहाड़ियों-
 (1) गिरवा- उदयपुर के आस पास पाई जाने वाली अर्द्धचंद्राकार या तश्तरीनुमा पहाड़ियाँ
 (ii) मेबल- डूंगरपुर, बॉसवाड़ा के मध्य स्थित पहाड़ियों 
 (iii) मगरा- उदयपुर के उत्तर पश्चिम में स्थित अवशिष्ट पहाड़ियों   

अरावली पर्वतीय प्रदेश की प्रमुख चोटियाँ

  1. गुरुशिखर (सिरोही) - 1,722 मीटर

  2. सेर (सिरोही) - 1,597 मीटर

  3. देलकड़ा (सिरोही) - 1,442 मीटर

  4. जरगी (उदयपुर) - 1,431 मीटर (उदयपुर/राजसमंद का सर्वोच्च शिखर)

  5. अचलगढ़ (सिरोही) - 1,380 मीटर

  6. कुम्भलगढ़ (राजसमंद) - 1,224 मीटर

  7. ऋषिकेश (सिरोही) - 1,017 मीटर

  8. कमलनाथ (उदयपुर) - 1,001 मीटर

  9. सज्जनगढ़ (उदयपुर) - 938 मीटर 

  10. सायरा (उदयपुर) - 900 मीटर


(3) पूर्वी मैदानी प्रदेश
1. चम्बल बेसिन: बीहड़ चम्बल नदी द्वारा अवनतिका अपरदन से निर्मित उत्खात स्थलाकृति।
2. बनास-बाणगंगा बेसिन: जयपुर से भरतपुर के मध्य बाणगंगा और यमुना नदियों के मध्य स्थित मैदानी प्रदेश।

  • मालपुरा करौली मैदान 
मालपुरा (टोंक) से करौली के मध्य बनास तथा बाणगंगा नदियों के मध्य स्थित दोआब प्रदेश 
  •  खोराड़ प्रदेश 
जहाजपुर (भीलवाडा) से टॉक के मध्य बनास नदी द्वारा निर्मित मैदान।
  •  पीडमॉण्ट का मैदान -
 देवगढ़ (राजसमंद) से भीलवाड़ा के मध्य बनास नदी द्वारा निर्मित जवशिष्ट पहाड़ी युक्त मैदान।

3. माही बेसिन छप्पन का मैदान 
प्रतापगढ़ से बाँसवाड़ा के मध्य माही नदी के किनारे स्थित छप्पन गाँवों या नदी नालों का समूह। 
  •  कांठल का मैदान 
  • प्रतापगढ़ में स्थित माही नदी कर तटवर्ती मैदान। बागड़ प्रदेश
 डूंगरपुर व बाँसवाड़ा के मध्य स्थित माही नदी द्वारा निर्मित विखंडित पहाडी क्षेत्र। 
  •  प्राचीन काल में माही बेसिन को पुष्प प्रदेश कहा जाता था।

(4) दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश (हाड़ौती प्रदेश)
1. अन्द्राकार पर्वत श्रेणियाँ:
   - बूंदी की पर्वत श्रेणियाँ: दोहरी पर्वतमाला जो उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक फैली है।
   - मुकुन्दरा की पर्वत श्रेणियाँ: हाडौती के मध्य उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व में फैली पर्वतमाला।

2. नदी निर्मित क्षेत्र: 
चम्बल और उसकी सहायक नदियों द्वारा उपजाऊ मिट्टी का जमाव।

3. शाहबाद का उच्च क्षेत्र: 
बारां के पूर्वी क्षेत्र में स्थित।

4. झालावाड़ का पठार: 
मुकुन्दरा की श्रेणियों के दक्षिण में स्थित पठारी क्षेत्र।

5. जग-गंगधर उच्च प्रदेश:
 हाड़ौती के पठार के दक्षिण-पश्चिम में विस्तृत क्षेत्र।

राजस्थान के भौतिक प्रदेशों की इस विस्तृत जानकारी से यह स्पष्ट होता है कि राज्य का हर क्षेत्र अपने आप में अनूठा और महत्वपूर्ण है, जो राजस्थान की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को और भी समृद्ध बनाता है।

यहां प्रस्तुत जानकारी और वर्गीकरण न केवल छात्रों के लिए उपयोगी है बल्कि शोधकर्ताओं, भूगोलविदों और राज्य की भौगोलिक संरचना में रुचि रखने वाले लोगों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। राजस्थान का यह भौगोलिक अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे विभिन्न भौतिक प्रदेश राज्य की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना को प्रभावित करते हैं और उसे एक विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं।


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