गति :- गति के प्रकार और नियम व समीकरण

गति :- गति के प्रकार और नियम व समीकरण 

गति :- गति के प्रकार और नियम व समीकरण



 राजस्थान की कंपीटीशन एग्जाम ही नहीं भारत की सभी कंपीटिशन एक्जाम में दैनिक विज्ञान के प्रश्न आते हैं , दैनिक भौतिक विज्ञान के प्रथम पार्ट भौतिक राशियां और उनके मात्रक को पिछले ब्लॉग के माध्यम से हमने पूर्ण करवाया आज के इस ब्लॉग में हम गति और उसके प्रकार व नियम के बारे में जानेंगे।


गति ( Motion)

किसी व्यक्ति या वस्तु की एक दूसरे के सापेक्ष समय के साथ स्थिति में परिवर्तन को गति कहते हैं।

 उदाहरण के लिए - किसी रेलगाड़ी में आमने सामने बैठे दो व्यक्ति एक दूसरे के सापेक्ष स्थिर है परन्तु बाहर से देखने वाले व्यक्ति के सापेक्ष गतिशील हैं।


गति दो तरह से होती है - 

१.एक समान गति - जब किसी वस्तु द्वारा समान समय में समान दूरी तय की जाती है l

जैसे - किसी वस्तु द्वारा 5 मिनट में 1 किलोमीटर की दूरी व अगले 5 मिनट में भी 1 किलोमीटर की दूरी तय की जाए तो यह एक समान गति होती है।


२. असमान गति - जब किसी वस्तु द्वारा समान समय या निश्चित समय में असमान दूरी तय की जाती है ।

जैसे - किसी बस द्वारा प्रथम 3 मिनट में 10 किलोमीटर व दूसरे 3 मिनट में 8 किलोमीटर दूरी तय की जाए तो यह असमान गति होती है।


गति के अध्ययन के लिए निम्न राशियों का ज्ञान आवश्यक है 

  • दूरी (Distance)
  • विस्थापन (Displacement)
  • चाल (Speed)
  • वेग (Velocity)
  • त्वरण (accelation)
  • संवेग (momentum)


इन राशियों को समझने के लिए हमें इनको तुलनात्मक अध्ययन से समझना होगा - 


दूरी और विस्थापन 

दूरी किसी वस्तु द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के दौरान जो रास्ता तय किया जाता है ,उसे दूरी कहते हैं अर्थात् तय किए गए रास्ते की कुल लंबाई ।

जबकि विस्थापन किसी वस्तु की प्रारंभिक अवस्था से अन्तिम अवस्था की सबसे न्यूनतम दूरी अर्थात कोई हवाई जहाज दिल्ली से चलकर जयपुर पहुंचाता है तो दिल्ली से जयपुर की न्यूनतम दूरी उसका विस्थापन होगी।


दूरी कभी शून्य नहीं हो सकती है क्योंकि दूरी तय किया गया रास्ता है जबकि विस्थापन शून्य हो सकता है क्योंकि यह प्रारम्भिक अवस्था से अन्तिम अवस्था की न्यूनतम दूरी है ।

दूरी के अनेक मान संभव है जबकि विस्थापन का एक ही मान सम्भव है।

दूरी सदैव धनात्मक होती है जबकि विस्थापन शून्य, ऋणात्मक, धनात्मक भी हो सकता है।

दूरी आदिश राशि है जबकि विस्थापन सदिश राशि है।

दूरी और विस्थापन दोनों का S.I मात्रक मीटर है।



चाल और वेग 

चाल किसी वस्तु द्वारा निश्चित (एकांक) समय में तय की गई दूरी को चाल कहते हैं।

चाल - दूरी /समय 

चाल का मात्रक - मीटर / सेकंड 

वेग किसी वस्तु द्वारा निश्चित समय में तय किया गया विस्थापन को वेग कहते हैं।

वेग - विस्थापन/समय

वेग का मात्रक - मीटर/सेकंड 


त्वरण 

किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं ।

त्वरण - वेग में परिवर्तन / समय

a - dv/dt 

मात्रक - मीटर /सेकंड /सेकंड = मीटर /सेकंड ²


संवेग 

किसी वस्तु के द्रव्यमान को उसके वेग से गुणा करने पर प्राप्त राशि संवेग होती है ।

संवेग - द्रव्यमान × वेग

P - mv

मात्रक  - किलोग्राम × मीटर /सेकंड 



गति के प्रकार ( types of motion )

- एक विमीय गति (1- D)

- द्वि विमीय गति (2- D)

- त्रि विमीय गति (3- D)


एक विमीय गति (1- D)

किसी वस्तु की सीधी रेखा में गति अर्थात् किसी एक अक्ष के अनुदिश गति ।

उदाहरण - सीधी रेखा में दौड़ता हुआ बालक।


द्वि विमीय गति (2- D)

किसी वस्तु की दो अक्षों  के अनूदिश गति ।

उदाहरण - पानी में नाव की गति , सतह पर चींटी की गति , कक्षा में पढ़ाते हुए अध्यापक की गति ।


त्रि विमीय गति (3- D)

किसी वस्तु की संभव तीनों अक्ष के अनुदिश गति 

उदाहरण - हवा में पतंग की गति , हवाई जहाज की गति , पानी में मछली की गति ।


वृत्तीय गति 

किसी वस्तु की वृत्ताकार पथ पर गति ।

उदाहरण - पत्थर को रस्सी से बांधकर घुमाना।


आवर्त गति 

किसी वस्तु की वह गति ,जिसमें वस्तु निश्चित समय के बाद अपने पथ को दोहराती है ।

उदाहरण - घड़ी को सुइयों की गति ।


सरल आवर्त गति 

किसी वस्तु की एक माध्य अवस्था के आस पास गति , सरल आवर्त गति होती है ।

उदाहरण - झूले की गति 

               घड़ी के पेंडुलम की गति 

                सरल लोलक की गति 

दोलन गति 

किसी बिंदु के आस पास होने वाली कंपन गति ।

उदाहरण - स्प्रिंग की गति , तने हुए तार की गति ।


परवलय गति 

किसी वस्तु को एक निश्चित कोण से गति देने पर वह अधिकतम ऊंचाई प्राप्त करके पुनः धरातल पर आती है ।

उदाहरण - तोप से गोला दागना, पत्थर को हवा में फेकना।


गति के नियम ( laws of motion)

न्यूटन ने अपनी पुस्तक "प्रिंसीपिया" में गति के तीनों नियम दिए ।

१. जड़त्व का नियम

२. संवेग संरक्षण का नियम

३.क्रिया प्रतिक्रिया का नियम 


जड़त्व का नियम - 

जड़त्व - किसी वस्तु की अवस्था परिवर्तन के दौरान किया गया विरोध, जड़त्व कहलाता है ,जिसे द्रव्यमान की माप माना जाता है।

जड़त्व के नियमानुसार यदि कोई वस्तु गतिशील है , तो गतिशील तथा स्थिर है तो स्थिर रहने का प्रयास करती है जब तक की उसके ऊपर कोई बाह्य बल कार्य नहीं करे।

उदाहरण - अचानक गाड़ी चलने पर पीछे की ओर धक्का लगाना ।

पेड़ को हिलाने पर फल व पत्तियों का गिरना ।


संवेग संरक्षण का नियम 

इस नियम के अनुसार वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर बाह्य बल के समानुपाती होती है ।

F ~ dp/dt

उदाहरण - कांच की वस्तु को पैक करते समय थर्माकोल का प्रयोग करना ।

खिलाड़ी द्वारा कैच करते समय पीछे की ओर ले जाना ।

यह नियम बल को परिभाषित करता है ,इस नियम के अनुसार किसी वस्तु पर लगने वाला बल उस वस्तु के द्रव्यमान तथा उसमें उत्पन्न त्वरण कर गुणनफल के बराबर होता है ।

बल = द्रव्यमान × त्वरण 

F=ma


क्रिया प्रतिक्रिया का नियम 

इस नियमानुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर विपरीत प्रतिक्रिया अवश्य होती है ।

उदाहरण - बंदूक से गोली चलाने पर पीछे की ओर धक्का लगना।

नाव से उतरते समय नाव का पीछे की ओर जाना ।

रॉकेट प्रक्षेपण।


गति के समीकरण 

गति के समीकरण (equations of motion) का उपयोग एक वस्तु की गति का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ये समीकरण वस्तु की प्रारंभिक स्थिति, गति, समय और त्वरण के आधार पर उसकी स्थिति की भविष्यवाणी करते हैं। मुख्य गति के समीकरण निम्नलिखित हैं:

  1. प्रथम समीकरण:
    v=u+atv = u + at
    जहाँ:

    • vv = अंतिम वेग
    • uu = प्रारंभिक वेग
    • aa = त्वरण
    • tt = समय
  2. द्वितीय समीकरण:
    s=ut+12at2s = ut + \frac{1}{2}at^2
    जहाँ:

    • ss = विस्थापन
  3. तृतीय समीकरण:
    vV²= u²+2as


गति भौतिकी का एक महत्वपूर्ण भाग है, और इसके अध्ययन से हम न केवल विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं को समझ सकते हैं, बल्कि तकनीकी विकास में भी योगदान कर सकते हैं। गति के विभिन्न प्रकार, नियम और समीकरण हमें वस्तुओं की गति का सटीकता से विश्लेषण करने की क्षमता प्रदान करते हैं। यदि आपके पास किसी विशेष विषय पर अधिक जानकारी चाहिए, तो बेझिझक पूछें!







एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ