राजस्थान की मृदा और जलवायु: परीक्षा तैयारी के लिए संपूर्ण गाइड

 राजस्थान की मृदा और जलवायु: परीक्षा तैयारी के लिए संपूर्ण गाइड

"राजस्थान की मृदा और जलवायु: परीक्षा तैयारी के लिए संपूर्ण गाइड"



मृदा (मिट्टी) के प्रकार, उनके वितरण और विशेषताओं का राजस्थान में विशेष महत्व है। राज्य में विभिन्न प्रकार की मृदा पाई जाती है, जिनका वर्गीकरण वैज्ञानिक आधार पर किया गया है।

  1. एरिडीसोल्स (शुष्क मृदा) - यह मृदा मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाई जाती है और विशेष रूप से शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में व्यापक है।

  2. एन्टीसोल्स (रेतीली/बलुई मृदा) - राजस्थान की यह सबसे विस्तारित मृदा है और पश्चिमी राजस्थान के अनेक भागों में पाई जाती है। इसकी विशेषता इसका पीला-भूरा रंग है।

  3. इन्सेप्टीसोल्स (लाल मृदा) - यह अर्द्ध-शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों, विशेषकर अरावली पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है।

  4. एल्फीसोल्स (जलोढ़ मृदा) - पूर्वी राजस्थान में पाई जाती है और इसमें नाइट्रोजन का स्थिरीकरण तीव्र होता है, जो इसे कृषि के लिए उपयुक्त बनाता है।

  5. वर्टिसोल्स (काली मिट्टी) - हाड़ौती के पठार में पाई जाती है। इस मिट्टी में अधिक क्ले (मिट्टी) होने के कारण इसमें नमी को धारण करने की क्षमता अधिक होती है, इसलिए यह कपास की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

मृदा के रंग, उपजाऊपन और विशेषताओं के आधार पर प्रकार

  1. मरुस्थलीय मृदा - पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर आदि जिलों में पाई जाती है।

  2. लैटेराइट मृदा - दक्षिणी राजसमंद, उदयपुर और डूंगरपुर में पाई जाती है, और मक्का, चावल, गन्ना की खेती के लिए उपयुक्त होती है।

  3. लाल-पीली मृदा - राजसमंद, उदयपुर, सिरोही आदि जिलों में पाई जाती है।

  4. काली मिट्टी - दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ जिलों में पाई जाती है और कपास की खेती के लिए उपयुक्त होती है।

  5. मिश्रित लाल व काली मिट्टी - बाँसवाड़ा, उदयपुर और चित्तौड़गढ़ में पाई जाती है।

  6. कछारी मिट्टी - उत्तरी-पूर्वी जिलों जैसे हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, भरतपुर आदि में पाई जाती है।

मृदा संरक्षण

राजस्थान में मृदा अपरदन के मुख्य कारण वायु और जल अपरदन तथा वनों का कटाव है। मृदा की उर्वरता पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ती है। मृदा संरक्षण के लिए प्रमुख उपायों में मेड़बंदी, समोच्च कृषि और नियंत्रित पशुचारण शामिल हैं।


राजस्थान के कृषि विभाग द्वारा राज्य की मृदा का वर्गीकरण विभिन्न प्रकारों में किया गया है, जो क्षेत्रीय विशेषताओं, रंग और संरचना पर आधारित हैं। यह वर्गीकरण फसलों के लिए मृदा की उपयुक्तता को समझने में सहायक है:

  1. साई रोजेक्स - श्रीगंगानगर में पाई जाती है।
  2. रेवेरिना - श्रीगंगानगर में पाई जाती है।
  3. मरुस्थली मृदा - जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर, सीकर, नागौर, चूरू, झुंझुनूं, श्रीगंगानगर में मिलती है।
  4. जिप्सीफेरस - बीकानेर में पाई जाती है।
  5. धूसर भूरी जलोढ़ मृदा - नागौर, पाली, सिरोही, जालोर, अजमेर में पाई जाती है।
  6. गैर चूना युक्त भूरी मृदा - नागौर, सीकर, झुंझुनूं, जयपुर, अजमेर, अलवर में पाई जाती है।
  7. नवीन जलोढ़ मृदा - जयपुर, सवाई माधोपुर, भरतपुर, अलवर में पाई जाती है।
  8. पीली भूरी मृदा - भीलवाड़ा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, टोंक, जयपुर, सवाई माधोपुर में मिलती है।
  9. नवीन भूरी मृदा - अजमेर और भीलवाड़ा में पाई जाती है।
  10. पर्वतीय मृदा - कोटा और उदयपुर के पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
  11. लाल-लोमी मृदा - बाँसवाड़ा और डूंगरपुर में पाई जाती है।
  12. काली गहरी मध्यम मृदा - भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, झालावाड़, कोटा, बूँदी, भरतपुर में पाई जाती है।
  13. केल्सी ब्राउन मरुस्थली मृदा - जैसलमेर और बीकानेर में पाई जाती है।
  14. मरुस्थल एवं बालुका स्तूप - बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर में विस्तारित हैं।

यह वर्गीकरण विभिन्न फसलों की उपयुक्तता का निर्धारण करने के साथ-साथ मृदा संरक्षण और उर्वरक प्रबंधन में भी सहायक है।

नोट: राजस्थान सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का शुभारंभ फरवरी 2015 में सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर) से किया था ताकि किसानों को मृदा की उर्वरता के बारे में जानकारी मिल सके और वे बेहतर तरीके से फसलों की योजना बना सकें।


राजस्थान की जलवायु पर विशेष प्रकार के भौगोलिक और जलवायु कारकों का प्रभाव पड़ता है। यहाँ के विभिन्न जलवायु प्रदेशों, ऋतुओं और विशेषताओं को भारतीय मौसम विभाग, कोपेन, थॉर्नवेट और ट्विार्था के जलवायु वर्गीकरण पर आधारित किया गया है।

जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक:

  1. अक्षांशीय स्थिति - राजस्थान के भौगोलिक स्थान पर निर्भरता।
  2. समुद्र से दूरी - समुद्र से दूरी के कारण राजस्थान में अधिक शुष्क जलवायु होती है।
  3. भूमध्य रेखा से दूरी - भूमध्य रेखा से दूरी के कारण यहाँ तापमान में बदलाव आता है।
  4. समुद्र तल से ऊँचाई - अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में ठंडक अधिक होती है।
  5. अरावली पर्वतमाला की स्थिति - अरावली पर्वतमाला मानसून की हवाओं को रोकती है जिससे प्रदेश में कम वर्षा होती है।
  6. भौगोलिक स्थिति - भौगोलिक संरचना जैसे मरुस्थल, पहाड़ियाँ और पठार जलवायु को प्रभावित करते हैं।

भारतीय मौसम विभाग द्वारा प्रस्तुत राजस्थान के जलवायु प्रदेश:

  1. शुष्क जलवायु प्रदेश: बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, और पश्चिमी जोधपुर में स्थित; यहाँ वार्षिक वर्षा 10-20 सेमी होती है।

  2. अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश: जालोर, पाली, हनुमानगढ़, नागौर आदि में स्थित; यहाँ वार्षिक वर्षा 20-40 सेमी होती है।

  3. उप-आई जलवायु प्रदेश: सीकर, जयपुर, दौसा, अजमेर जिलों में स्थित; यहाँ वार्षिक वर्षा 40-60 सेमी होती है।

  4. आर्द्र जलवायु प्रदेश: भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर आदि में स्थित; यहाँ वार्षिक वर्षा 60-80 सेमी होती है।

  5. अति आर्द्र जलवायु प्रदेश: कोटा, बारां, माउंट आबू आदि में स्थित; यहाँ वार्षिक वर्षा 80-100 सेमी होती है।

राजस्थान में ऋतुएँ

  1. ग्रीष्म ऋतु (मार्च-मध्य जून): सबसे गर्म महीना, अधिकतम तापमान चूरू और फलोदी (जोधपुर) में पाया जाता है।

  2. वर्षा ऋतु (मध्य जून-सितंबर): मानसून की शुरुआत बांसवाड़ा जिले से होती है, जिसे "राजस्थान का मानसून प्रवेश द्वार" कहते हैं।

  3. शीत ऋतु (दिसंबर-फरवरी): सबसे ठंडा महीना जनवरी है, और सबसे ठंडे क्षेत्र चूरू और माउंट आबू हैं।

कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार राजस्थान के जलवायु प्रदेश:

  1. उष्ण कटिबंधीय आई जलवायु प्रदेश (सवाना तुल्य): डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़, झालावाड़, दक्षिणी चित्तौड़गढ़ आदि।

  2. अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश (स्टेपी): जालोर, बाड़मेर, सिरोही, पाली आदि।

  3. उष्ण कटिबंधीय शुष्क जलवायु प्रदेश (जीरोफाइट्स): जैसलमेर, बीकानेर, हनुमानगढ़ आदि।

  4. उपार्द्ध लवायु प्रदेश: अलवर, भरतपुर, धौलपुर, जयपुर आदि।

थॉर्नवेट और ट्विार्था के वर्गीकरण के अनुसार जलवायु प्रदेश:

  1. EA'd (शुष्क कटिबंधीय जलवायु): जैसलमेर, उत्तरी बाड़मेर, दक्षिणी-पश्चिम बीकानेर, पश्चिमी जोधपुर।

  2. DB'w (अर्द्ध शुष्क मिश्रित जलवायु): श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू आदि।

  3. BSh (उष्ण कटिबंधीय अर्द्ध शुष्क): पश्चिमी उदयपुर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर आदि।

  4. Aw (उष्ण कटिबंधीय आई): बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, दक्षिणी उदयपुर।

  5. Cawa (उपोष्ण कटिबंधीय): जयपुर का पूर्वी भाग, बूँदी, सवाई माधोपुर आदि।

जलवायु विशेषताएँ

  • वार्षिक वर्षा: औसत 57.51 सेमी, जो दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर घटती है।
  • आर्द्रता: सबसे अधिक आर्द्रता वाला महीना अगस्त है, जबकि कम आर्द्रता वाला महीना अप्रैल।
  • तापमान: ग्रीष्म ऋतु में अधिक ताप और शीत ऋतु में अधिक ठंड का अनुभव होता है।

इस प्रकार राजस्थान की जलवायु विविधताओं के कारण यहाँ की वनस्पति, कृषि और जीवन शैली में विभिन्न प्रकार के भिन्नताएँ देखने को मिलती है।


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