राजस्थान की बृहत् श्रेणी सिंचाई परियोजनाएँ (Major Irrigation Projects of Rajasthan)
राजस्थान की बृहत् श्रेणी सिंचाई परियोजनाएँ वे परियोजनाएँ हैं जिनका कृषि योग्य कमाण्ड क्षेत्र 10,000 हेक्टेयर से अधिक है और जिनकी लागत 5 करोड़ रुपये से अधिक होती है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य राज्य के सूखे और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कराना है, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि हो। राजस्थान में कई महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाएं संचालित हैं जैसे कि गंगनहर परियोजना, नर्मदा नहर परियोजना, राजीव गांधी सिद्धमुख नोहर परियोजना और जाखम परियोजना।
1. गंगनहर परियोजना
गंगनहर परियोजना राजस्थान और भारत की पहली नहर सिंचाई परियोजना है, जो राजस्थान के बीकानेर क्षेत्र में सतलज नदी का पानी लाने के उद्देश्य से स्थापित की गई थी।
- उद्भव और इतिहास: इस परियोजना की शुरुआत बीकानेर के महाराजा गंगासिंह के प्रयासों से हुई, जिन्होंने सतलज नदी के पानी को राजस्थान तक लाने के लिए बीकानेर और पंजाब राज्य के बीच एक समझौता कराया, जिसे सतलज नदी घाटी समझौता कहा जाता है।
- शिलान्यास और उद्घाटन: गंगनहर का शिलान्यास महाराजा गंगासिंह ने 1925 में किया और इसका उद्घाटन लॉर्ड इरविन ने अक्टूबर 1927 में किया।
- प्रवेश बिंदु और मार्ग: यह नहर सतलज नदी से पंजाब के फिरोजपुर जिले के हुसैनीवाला से निकाली गई है और पंजाब में बहते हुए शिवपुरी हैड (श्रीगंगानगर के पास) के पास राजस्थान में प्रवेश करती है। इस नहर की लंबाई पंजाब में 137 किलोमीटर है और इसके उपशाखाओं की कुल लंबाई 1280 किलोमीटर है।
- सिंचाई क्षेत्र: गंगनहर से सर्वाधिक सिंचाई श्रीगंगानगर जिले में होती है। इसकी प्रमुख शाखाएं लक्ष्मीनारायण, लालगढ़, करणीजी, समीजा गंग शामिल हैं।
- गंगनहर लिंक चैनल: गंगनहर में रिसाव की समस्या के समाधान के लिए गंगनहर लिंक चैनल का निर्माण 1984 में शुरू किया गया था। इसे हरियाणा के लौहगढ़ से निकाला गया है और इसे श्रीगंगानगर के साधुवाली के पास गंगनहर से जोड़ा गया है।
अन्य प्रमुख परियोजनाएं
- नर्मदा नहर परियोजना: यह राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर जिलों में सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है।
- राजीव गांधी सिद्धमुख नोहर परियोजना: यह परियोजना सिंचाई के लिए हनुमानगढ़ और चूरू जिलों में पानी पहुंचाने का काम करती है।
- जाखम परियोजना: यह राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है और इसे माही नदी की सहायक जाखम नदी से पानी मिलता है।
2. राजीव गाँधी सिद्धमुख नोहर परियोजना
राजीव गांधी सिद्धमुख नोहर परियोजना का उद्देश्य राजस्थान के सूखे इलाकों में जल और सिंचाई की आवश्यकताओं को पूरा करना है। इसे रावी-व्यास समझौते के तहत इराडी कमीशन की सिफारिश पर वर्ष 1989 में स्व. श्री राजीव गांधी द्वारा यूरोपीय आर्थिक समुदाय के वित्तीय सहयोग से स्थापित किया गया।
- शिलान्यास: 1989 में स्व. राजीव गांधी द्वारा।
- उद्घाटन: 12 जुलाई, 2002 को श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा।
- वर्तमान नाम: राजीव गांधी नहर परियोजना।
- लाभान्वित जिले: हनुमानगढ़ (नोहर और भादरा तहसील) और चूरू (राजगढ़ तहसील)।
इस परियोजना से क्षेत्र की सिंचाई क्षमता में सुधार हुआ है और कृषि योग्य भूमि में वृद्धि हुई है।
3. नर्मदा नहर परियोजना
नर्मदा नहर परियोजना एक संयुक्त सिंचाई परियोजना है, जो गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के संयुक्त प्रयासों से संचालित होती है। यह नहर गुजरात के सरदार सरोवर बाँध से शुरू होती है और राजस्थान में प्रवेश करती है।
- प्रवेश बिंदु: जालोर जिले के सांचौर तहसील के सीलू गाँव से।
- कुल लंबाई: 532 किमी, जिसमें 458 किमी गुजरात में और 74 किमी राजस्थान में हैं।
- लिफ्ट नहरें: सांचौर, भादरिया, और पानरिया लिफ्ट नहरें।
- सिंचाई लक्ष्य: 2.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य कमांड क्षेत्र।
- लाभान्वित जिले: जालोर और बाड़मेर।
यह परियोजना सिंचाई क्षेत्र में स्प्रिंकलर प्रणाली को अनिवार्य बनाकर जल उपयोग की दक्षता को बढ़ाती है।
4. बीसलपुर परियोजना
बीसलपुर परियोजना का उद्देश्य सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति में सुधार करना है। यह बनास नदी पर टोंक जिले के टोडारायसिंह कस्बे में स्थित है और कंक्रीट से बना हुआ है, जो राजस्थान का सबसे बड़ा कंक्रीट बाँध है।
- निर्माण वर्ष: 1986-87 में प्रारंभ, 1999 में पूर्ण।
- बाँध की लंबाई और ऊँचाई: 580 मीटर लंबाई और 21 मीटर ऊँचाई।
- कमांड क्षेत्र: 81,800 हेक्टेयर।
- लाभान्वित जिले: टोंक, अजमेर, जयपुर।
- उपयोग: सिंचाई और पेयजल आपूर्ति। मार्च 2009 से जयपुर को पेयजल आपूर्ति हो रही है।
बीसलपुर परियोजना का निर्माण अजमेर, जयपुर और टोंक जिलों की जल समस्याओं का समाधान करता है और किसानों की सिंचाई की जरूरतों को पूरा करता है।
5. ईसरदा परियोजना
ईसरदा परियोजना सवाई माधोपुर जिले के ईसरदा गाँव में स्थित है और बनास नदी पर निर्मित है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य जयपुर और टोंक के सीमावर्ती क्षेत्रों को पेयजल उपलब्ध कराना है।
- स्थान: ईसरदा गाँव, सवाई माधोपुर जिला।
- नदी: बनास नदी।
- उपयोग: बनास नदी के अतिरिक्त जल का उपयोग करके सीमावर्ती क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराना।
ईसरदा परियोजना से पेयजल की समस्या में सुधार की उम्मीद है, विशेषकर जयपुर और टोंक के आसपास के क्षेत्रों में।
6. भीखाभाई सागवाड़ा परियोजना
भीखाभाई सागवाड़ा परियोजना वागड़ क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय भीखाभाई के नाम पर है और माही नदी पर स्थित है। यह परियोजना डूंगरपुर जिले में सिंचाई की आवश्यकताओं को पूरा करती है।
- नदी: माही नदी।
- स्थान: डूंगरपुर जिला।
- उद्देश्य: सिंचाई और जल आपूर्ति।
इस परियोजना से क्षेत्र की सिंचाई क्षमता में सुधार हुआ है और इसे किसानों की मदद के लिए विकसित किया गया है।
7. जाखम परियोजना
जाखम परियोजना राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में स्थित है और जाखम नदी पर बनाई गई है। इस परियोजना का उद्देश्य सिंचाई सुविधा में सुधार करना है।
- स्थान: प्रतापगढ़ जिला।
- नदी: जाखम नदी।
- बाँध की विशेषताएँ: 253 मीटर लंबाई और 81 मीटर ऊँचाई।
- लाभान्वित जिले: चित्तौड़गढ़, उदयपुर, और प्रतापगढ़।
जाखम परियोजना इन जिलों में कृषि विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान करती है।
8. गुरुग्राम नहर परियोजना
यह नहर हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है। वर्तमान में इसे यमुना लिंक नहर परियोजना के नाम से जाना जाता है।
- लाभान्वित क्षेत्र: भरतपुर जिले की कामां और डीग तहसीलें।
- उद्देश्य: सिंचाई और जल आपूर्ति।
यह नहर दोनों राज्यों के बीच सिंचाई सुविधा को मजबूत करती है।
9. परवन वृहद बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना
यह परियोजना परवन नदी पर स्थित है और झालावाड़ जिले के खानपुर क्षेत्र में अकावद कला में बन रही है। इसका उद्देश्य सिंचाई, पेयजल, विद्युत, और वन्यजीवों की जल आवश्यकताओं को पूरा करना है।
- स्थान: अकावद कला, खानपुर, झालावाड़।
- नदी: परवन नदी।
- लाभान्वित जिले: कोटा, बारां, और झालावाड़।
- सिंचाई प्रणाली: स्कॉडा नियंत्रित प्रेशराइज्ड पाइप और फव्वारा सिंचाई।
इस परियोजना के माध्यम से क्षेत्र के किसानों और निवासियों को जल आपूर्ति में व्यापक सुधार की उम्मीद है।
0 टिप्पणियाँ
कृपया सम्बन्धित पोस्ट को लेकर अपने सुझाव दें।