राजस्थान की मध्यम श्रेणी सिंचाई परियोजनाएँ || Medium and small scale irrigation projects of Rajasthan
राजस्थान की मध्यम श्रेणी सिंचाई परियोजनाएँ उन परियोजनाओं को संदर्भित करती हैं जिनका कमांड क्षेत्र 2000 से 10,000 हेक्टेयर तक होता है और जिनकी लागत 18 लाख रुपये से 5 करोड़ रुपये के बीच होती है। ये परियोजनाएँ राज्य के कृषि, जल आपूर्ति, और पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाती हैं। यहाँ हम राजस्थान की कुछ महत्वपूर्ण मध्यम श्रेणी सिंचाई परियोजनाओं और उनके तंत्रों का अध्ययन करेंगे।
1. आंतरिक प्रवाह तंत्र
- मोती झील बाँध, भरतपुर
- इसे भरतपुर की जीवन रेखा कहा जाता है। यह बाँध रूपारेल नदी पर बना है और इसका पानी सिंचाई में उपयोग होता है।
2. लूनी नदी तंत्र
- बॉकली बाँध, जालोर
- सूकड़ी नदी पर बना यह बाँध जालोर में स्थित है।
- हेमावास बाँध, पाली
- बांडी नदी पर पाली जिले में स्थित यह बाँध सिंचाई के लिए प्रमुख स्रोत है।
3. पश्चिमी बनास नदी तंत्र
- पश्चिमी बनास परियोजना, सिरोही
- पश्चिमी बनास नदी पर स्थित इस सिंचाई परियोजना का उद्देश्य सिरोही जिले की कृषि भूमि को पानी उपलब्ध कराना है।
4. साबरमती नदी तंत्र
- सेई परियोजना, उदयपुर
- उदयपुर के कोटड़ा तहसील में स्थित यह बाँध जवाई बाँध में पानी की आवक बढ़ाने के लिए बनाया गया है।
- मानसी वाकल परियोजना
- राजस्थान सरकार और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से विकसित यह परियोजना महत्वपूर्ण जल संसाधन उपलब्ध कराती है।
5. माही नदी तंत्र
- सोम-कागदर परियोजना, उदयपुर
- सोम नदी पर स्थित यह परियोजना उदयपुर जिले में कृषि के लिए जल आपूर्ति करती है।
- सोम-कमला-अम्बा परियोजना, डूंगरपुर
- सोम नदी पर स्थित इस परियोजना का उद्देश्य आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराना है।
6. बाणगंगा नदी तंत्र
- अजान बाँध, भरतपुर
- बाणगंगा और गंभीर नदी पर स्थित यह बाँध केवलादेव घाना पक्षी विहार को जलापूर्ति करता है।
7. बनास नदी तंत्र
- नंदसमंद परियोजना, राजसमंद
- बनास नदी पर स्थित यह परियोजना राजसमंद क्षेत्र की सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करती है।
- मेजा बाँध, भीलवाड़ा
- कोठारी नदी पर स्थित यह बाँध भीलवाड़ा जिले में जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत है।
- नारायण सागर बाँध, अजमेर
- खारी नदी पर स्थित यह बाँध अजमेर जिले के कृषि और पीने के पानी की आवश्यकता को पूरा करता है।
- अड्वान बाँध, भीलवाड़ा
- मानसी नदी पर भीलवाड़ा जिले में स्थित यह बाँध आसपास के क्षेत्रों के लिए जल स्रोत है।
- मोरेल बाँध, सवाई माधोपुर
- मोरेल नदी पर स्थित यह बाँध सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
8. चम्बल नदी तंत्र
- हरिश्चन्द्र सागर परियोजना, झालावाड़
- कालीसिंध नदी पर स्थित इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य झालावाड़ जिले की सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करना है।
- गागरोण परियोजना, झालावाड़
- कालीसिंध और आहू नदी पर स्थित इस परियोजना का पानी कृषि और पीने के लिए उपयोग में आता है।
- भीमसागर परियोजना, झालावाड़
- उजाड़ नदी पर स्थित इस परियोजना से आसपास के क्षेत्र में पानी की आपूर्ति होती है।
- अन्य परियोजनाएँ: गरदड़ा (बूँदी), तकली (कोटा), पिपलाद (झालावाड़), ल्हासी (बारों), वैथली (बारा), बिलास (बारों), ओरई (चित्तौड़गढ़), राजगढ़ (झालावाड़)
राजकीय लघु श्रेणी सिंचाई परियोजनाएँ
राजस्थान में ऐसी सिंचाई परियोजनाएँ भी हैं जिनका कमांड क्षेत्र 2000 हेक्टेयर तक होता है और जिनकी लागत 10 लाख रुपये से कम होती है। कुछ प्रमुख परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं:
- आकोली बाँध, जालोर
- बादी बेदहा बाँध, जालोर
- बावरिया बाँध, अलवर
- समर सरोवर, अलवर
- खोह बाँध, करौली
- देवा बाँध, झालावाड़
- भिमती बाँध, झालावाड़
- हड़मतिया बाँध, सिरोही
- बत्तीसा नाला, सिरोही
- वासा बाँध, सिरोही
- संतुँह माताजी बाँध, बूँदी
- भवर सेमला बाँध, प्रतापगढ़
- सरदार समंद बाँध, पाली
- धारिया बाँध, पाली
- जसवंत सागर बाँध, जोधपुर
- चाकण परियोजना, बूँदी
- कनवाडा बाँध, झालावाड़
- अहमदी बाँध, बारों
- खिरिया बाँध, बारों
- गुराडिण बाँध, झालावाड़
- बड़ा नया गाँव बाँध, बूँदी
राजस्थान की अन्य परियोजनाएँ
अंत में, राजस्थान में कुछ अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाएँ भी हैं जो जल संसाधन और पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से महत्त्वपूर्ण हैं।
- माधोसागर बाँध, दौसा
- टोरडी सागर बाँध, टोंक
- डिब्रू सागर बाँध, टोंक
- अनास परियोजना, बाँसवाड़ा
- परवन परियोजना, झालावाड़
ये मध्यम श्रेणी और लघु श्रेणी परियोजनाएँ राजस्थान की कृषि और पर्यावरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनसे न केवल सिंचाई की सुविधा मिलती है बल्कि जल संरक्षण और भू-जल स्तर बनाए रखने में भी सहायता मिलती है।
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